एम्स, ऋषिकेश कॉलेज ऑफ नर्सिंग में विभिन्न कक्षाओं के नर्सिंग स्टूडेंट्स की ओर से स्तन कैंसर जनजागरुकता कार्यक्रम के तहत रैली निकाली गई। जिसके माध्यम से महिलाओं को स्तन कैंसर के प्रति जागरुक किया गया। रैली में विद्यार्थियों के साथ ही नर्सिंग फैकल्टी सदस्यों ने भी प्रतिभाग किया।
शनिवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में कॉलेज ऑफ नर्सिंग के बीएससी अंतिम वर्ष व एमएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों ने असिटेंट प्रोफेसर डा. राज राजेश्वरी व प्रसुन्ना जैली की अगुवाई में स्तन कैंसर जनजागरुकता रैली निकाली। रैली को संस्थान के संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली एम्स के गेट नंबर-एक से शुरू हुई और आस्था पथ बैराज, एम्स गेट नंबर-2 होते हुए कॉलेज ऑफ नर्सिंग में संपन्न हुई।
इस अवसर पर एम्स अस्पताल के नॉन कोविड एरिया में बीएससी नर्सिंग की छात्राओं ने स्तन कैंसर जनजागरुकता पर आधारित नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया और महिलाओं को स्तन कैंसर के कारण, सावधानियां, बचाव व उपचार संबंधी संदेश दिया। उन्होंने महिलाओं को स्तन कैंसर संबंधी स्वास्थ्य शिक्षा के तहत स्वस्थ जीवनशैली एवं पोषक खाद्य पदार्थों के सेवन से जुड़ी जानकारियों से अवगत कराया, जिसका उद्देश्य स्तन कैंसर से बचाव को लेकर महिलाओं को जागरुक करना था।
इस दौरान महिलाओं द्वारा स्तन कैंसर बीमारी से जुड़े सवाल भी पूछे गए, जिनका नर्सिंग फैकल्टी व स्टूडेंट्स के द्वारा उत्तर दिया गया। इस अवसर पर कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्रिंसिपल जेवियर बेलसियाल, फैकल्टी डा. राज राजेश्वरी, प्रसुन्ना जैली, मीनाक्षी, गीतिका, कालेश्वरी, अवधूत, दिव्या, विश्वास आदि मौजूद रहे।
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प्रतिवर्ष देश में बढ़ रहे स्तन कैंसर के मामले, डब्ल्यूएचओ ने भी जताई चिंता
महिलाओं की आम बीमारी में शामिल ब्रेस्ट कैंसर के मामले देश में साल दर साल बढ़ रहे हैं। जनजागरुकता की कमी से इस बीमारी की ओर शुरुआत में ध्यान नहीं देने के कारण यह गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है। लिहाजा इस रोग के बढ़ते ग्राफ को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चिंता जाहिर की है। उपचार में देरी और बीमारी को छिपाने से यह बीमारी जानलेवा साबित होती है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश के निदेशक प्रो. रवि कांत का कहना है कि महिलाएं अक्सर इस बीमारी के प्रति जागरुक नहीं रहतीं। लिहाजा जागरुकता के अभाव के चलते प्रतिवर्ष देश में औसतन 30 में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से ग्रसित हो जाती हैं। उनका कहना है कि सूचना और संचार के इस युग में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है।
निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की सभी विश्वस्तरीय आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध हैं। संस्थान में इसके लिए विशेषतौर पर ’एकीकृत स्तन उपचार केंद्र’ की स्थापना की गई है। जिसमें महिलाओं से जुड़ी इस बीमारी से संबंधित सभी तरह के परीक्षण और उपचार अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा एक ही स्थान पर किया जाता है।
संस्थान के इंटिग्रेडेड ब्रेस्ट कैंसर क्लिनिक ’एकीकृत स्तन उपचार केंद्र ’ की प्रमुख व वरिष्ठ शल्य चिकित्सक प्रोफेसद डाॅ. बीना रवि जी ने इस बाबत बताया कि ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत अधिकांशतरू 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पाई जाती है। उन्होंने बताया कि 80 प्रतिशत महिलाओं में इन्वेसिव डक्टल काॅर्सिनोमा के कारण कैंसर होता है। यह कैंसर मिल्क डक्ट में विकसित होता है। शुरुआत में यदि इस पर ध्यान नहीं दिया तो धीरे-धीरे यह गंभीर स्थिति में पहुंचकर ब्रेन, लीवर और रीढ़ की हड्डी तक पहुंचकर पूरे शरीर में फैल जाता है।
आईबीसीसी प्रमुख प्रो. बीना रवि जी ने बताया कि संस्थान के ’एकीकृत स्तन उपचार केंद्र’ में इस बीमारी की सघनता से जांच कर बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध है। जिसमें विस्तृत जांचों के आधार पर कैंसर के स्टेज का पता लगाया जाता है। साथ ही केंद्र में सर्जरी के माध्यम से गांठ को निकालने और रेडिएशन देने की सुविधा भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि महिला का इलाज करने के दौरान ट्रिपल असिस्मेंट की विधि अपनाई जाती है। जिसमें चरणबद्ध तरीके से मेमोग्राफी, बायोस्पी और महिला की काउन्सिलिंग के 3 चरण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं की छाती में गांठ है अथवा उन्हें ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत है, उन्हें इस तरह के लक्षणों को छिपाना नहीं चाहिए बल्कि समुचित उपचार के लिए तत्काल अस्पताल पहुंचकर अनुभवी चिकित्सकों से परामर्श लेना चाहिए।
ब्रेस्ट कैंसर के प्रारंभिक लक्षण- स्तन में या बांहों के नीचे गांठ का उभरना, स्तन का रंग लाल होना, स्तन से खून जैसा द्रव बहना, स्तन पर डिंपल बनना, स्तन का सिकुड़ जाना अथवा उसमें जलन पैदा होना, पीठ अथवा रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहना।
बचाव-
इस बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरुक रहकर नियमिततौर पर छाती की स्वयं जांच करना जरूरी है। महिलाओं को चाहिए कि इस प्रकार के लक्षण नजर आते ही वह समय पर अपना इलाज शुरू करें, ताकि गंभीर स्थिति आने से पहले ही इस बीमारी का निदान किया जा सके।
कारण-
खराब खान-पान और अनियमित दिनचर्या, धूम्रपान और शराब के सेवन। इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर आनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है।
दूध पिलाने से खतरा कम-
बच्चे को अपना स्तनपान कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। आईबीसीसी की चेयरपर्सन प्रो. बीना रवि जी के अनुसार बच्चे को मां का दूध पिलाने से स्तन में गांठें नहीं बनती। साथ ही बच्चे को मां के दूध के माध्यम से संपूर्ण पौष्टिक तत्व भी प्राप्त हो जाते हैं। उनका सुझाव है कि सभी महिलाएं अपने बच्चे को कम से कम 2 साल की उम्र तक स्तनपान जरूर कराएं। बच्चे को अपना दूध पिलाने से महिला में एक विशिष्ट प्रकार के कैंसर की संभावना कम हो जाती है।