उत्तराखंड में विधानसभा अनुपूरक बजट सत्र के दूसरे दिन दो महत्वपूर्ण विधेयक विधानसभा में ध्वनिमत से पास हो गए हैं। उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 के पास होने के बाद प्रदेश में धर्मान्तरण को लेकर कठोर कानून का प्राविधान हो गया है। इसके अलावा उत्तराखण्ड लोकसेवा (महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2022 से प्रदेश में महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था एक बार फिर से लागू हो जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार की यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। कुछ दिन पूर्व राज्य सरकार ने इन दोनों विधेयकों को कैबिनेट से मंजूरी दी थी। बुधवार को विधानसभा में इन विधेयकों के पास होने से प्रदेश में इसे लागू करने की जल्द अधिसूचना जारी हो जाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड देवभमि है यहां पर धर्मान्तरण जैसी चीजें हमारे लिए बहुत घातक है इसलिए सरकार ने यह निर्णय लिया था कि प्रदेश में धर्मान्तरण पर रोक के लिए कठोर से कठोर कानून बने। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि इस कानून को पूरी दृढ़ता से प्रदेश में लागू किया जाएगा। वहीं उत्तराखण्ड में महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण विधेयक को लेकर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड निर्माण में मातृशक्ति का बहुत बड़ा योगदान है और सरकार ने यह पहले ही तय किया था कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस प्रदेश में मातृशक्ति का सम्मान करते हुए उन्हें इस क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिले। महिलाओं के लिए राज्याधीन सेवाओं में क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था देने करने यह अधिनियम मातृ शक्ति को समर्पित है।
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परिवहन मंत्री चन्दनराम दास मैक्स में भर्ती
परिवहन मंत्री चन्दनराम दास की विधानसभा सत्र के दौरान अचानक बिगड़ी तबियत के बाद कैबिनेट मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने अस्पताल पहुंचकर उनका स्वास्थ्य का हाल जाना।
बुधवार को विधानसभा में सत्र के दूसरे दिन दोपहर बाद परिवहन मंत्री चन्दन रामदास के स्वास्थ्य में अचानक गिरावट देखने को मिली। उन्हें पहले विधानसभा में ही बने चिकित्सको की टीम ने उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया। हालात बिगड़ने पर निजी अस्पताल में भर्ती किया गया।
सत्र की समाप्ति के बाद वित्तमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल सहित स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत उनके स्वास्थ्य का हाल जानने अस्पताल पहुंचे और चिकित्सको से जानकारी ली। वहीं, उन्होंने ईश्वर से उनके जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना की।
विधानसभा में सत्ता और विपक्ष के लोगों ने जनरल को दी श्रद्धांजलि
सीडीएस जनरल बिपिन रावत के युद्ध कौशल से चीन और पाकिस्तान घबराते थे। आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी बहादुरी के किस्से सदियों तक लोगों के जेहन में रहेंगे। गुरुवार को बिपिन रावत के गृह राज्य में उत्तराखंड में हर कोई दुखी था। शोक सभाओं को दौर जारी था। उत्तराखंड के कई इलाकों में बाजार बंद रखे गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत सभी मंत्री, विधायकों और राजनीतिक दलों ने उन्हें भावभीनी विदाई दी। इस दौरान लोग भावुक दिखाई दिए। सीडीएस रावत के निधन को राज्य और देश की बड़ी क्षति करार दिया। देहरादून स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय में, श्रीनगर गढ़वाल विवि में, कोटद्वार, उत्तरकाशी और पौड़ी सहित पूरे राज्य में सीडीएस स्व. बिपिन रावत को श्रद्धांजलि दी गई। उनके पैतृक गांव में भी शोक सभा का आयोजन किया गया। जहां आसपास के गांव के लोग भी पहुंचे।
वहीं उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र गुरुवार से शुरू हो गया है। आज पहले दिन सीडीएस बिपिन रावत को श्रद्धांजलि देने के बाद सदन को स्थगित कर दिया गया। जिसके बाद मुख्यमंत्री दिल्ली रवाना हो गए। वह दिल्ली में जनरल बिपिन रावत की अंत्येष्टि में शामिल होंगे। सत्र का पहला दिन सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन पर शोक संवेदना और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए समर्पित रहा। इस क्रम में शीतकालीन सत्र के प्रथम दिवस पर आज सदन में प्रवेश करने से पूर्व उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व अन्य मंत्री विधायकों ने जनरल बिपिन रावत के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। इसके अलावा सत्र की अवधि एक दिन बढ़ाई गई है। 11 दिसंबर को भी सदन संचालित किया जाएगा। कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सदन की कार्यवाही का एजेंडा तय किया गया।
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने जनरल बिपिन रावत के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पहले दिन श्रद्धांजलि अर्पित करने का प्रस्ताव रखा, जिस पर समिति के सदस्यों ने सहमति प्रकट की। बुधवार को विधानसभा भवन स्थित सभागार में स्पीकर अग्रवाल की अध्यक्षता में दलीय नेताओं और कार्य मंत्रणा की बैठक में निर्णय लिया गया कि शोक संवेदना के साथ ही सदन पूरे दिन के लिए स्थगित रहेगा। सदन की गैलरी में सभी सदस्यों की ओर से स्व.विपिन रावत के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। पहले दिन शोक संवेदना व्यक्त कर सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और भारतीय सेना के अधिकारियों व सैनिकों की हेलीकॉप्टर हादसे में मृत्यु बेहद दुखद और पीड़ादायी है। जनरल रावत के निधन से देश ने वीर सपूत खो दिया। वह भारत राष्ट्र और उत्तराखंड के गौरव थे। गुरुवार को सदन में जनरल रावत को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत के आकस्मिक निधन पर प्रदेश में तीन दिन (9 से 11 दिसंबर) का राजकीय शोक घोषित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड निवासी सीडीएस जनरल रावत अपनी विलक्षण प्रतिभा, परिश्रम, अदम्य साहस व शौर्य के बल पर सेना के सर्वाेच्च पद पर पहुंचे। जनरल रावत ने देश की सुरक्षा व्यवस्था और भारतीय सेना को नई दिशा दी। सीमाओं की सुरक्षा और देश की रक्षा के लिए उनके द्वारा कई साहसिक निर्णय लिए गए। साथ ही सैन्य बलों के मनोबल को हमेशा ऊंचा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनरल रावत के आकस्मिक निधन से न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश की अपूरणीय क्षति हुई है। हम सबको अपने इस महान सपूत पर हमेशा गर्व रहेगा। उन्होंने दुर्घटना में दिवंगतों की आत्मा की शांति और शोक संतप्त स्वजनों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत जवाबी कार्रवाई के एक्सपर्ट थे। सैम मानेक शॉ के बाद वह दूसरे ऐसे जनरल थे जो युद्ध रणनीति में माहिर थे और स्वयं युद्ध क्षेत्रों में पहुंचते थे। उनके रणनीतिक कौशल के चलते चीन और पाकिस्तान की सेनाएं भी उनसे घबराती थीं। यह कहना है कि सेना के ले. कर्नल (रिटायर्ड) एसपी गुलेरिया का। कर्नल गुलेरिया ने कहा कि चीन ने भूटान और सिक्किम के बॉर्डर पर गतिविधियां बढ़ाईं लेकिन जनरल बिपिन रावत की रणनीति ने चीन को भूटान के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करने से रोके रखा।
सीमा पर चल रहीं गतिविधियों को रोकने के लिए उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक भी कराई। मेजर जनरल रहने के दौरान यूएनओ में शांति सेना का भी उन्होंने नेतृत्व किया था। उनका युद्ध करने का जो तरीका था, वह अपने आप में अनूठा था। वे दुर्गम और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध का विशेष अनुभव रखते थे। सेनाध्यक्ष रहने के दौरान उन्हीं की रणनीति से पाकिस्तान की सीमा से घुसपैठ की घटनाओं में कमी आई और सीमा पर जवानों की मौतों में कमी आई। उनके अनुभव और कौशल से ही पाकिस्तान और चीन को डर था कि उनकी सेनाएं जनरल बिपिन की रणनीति के सामने नहीं टिक पाएंगी।
कर्नल गुलेरिया ने कहा कि जनरल रावत ने सुरक्षा के क्षेत्र में देश के लिए बहुत कुछ किया। उनका निधन देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। देश को उनकी कमी हमेशा खलेगी। सीडीएस जनरल बिपिन रावत वर्ष 2017 में थल सेनाध्यक्ष रहने के दौरान सीमांत पिथौरागढ़ जिले में भी आए थे। तब उन्होंने पूर्व सैनिकों की समस्याओं को भी सुना था और उन्हें समस्याओं के समाधान करने का भरोसा भी दिया था। सेना ब्रिगेड में अधिकारी, जवानों और सेवानिवृत्त सैनिकों को संबोधित करने के दौरान उन्होंने भूतपूर्व सैनिकों और वीरांगनाओं का पूरा ध्यान रखने का आश्वासन दिया था। उन्होंने इसके लिए सेना के अधिकारियों को भी पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों से पूरा मेल-मिलाप रखने के निर्देश दिए थे।
जानिए, सीएम धामी ने कैबिनेट में किन फैसलों पर सहमति दी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सोमवार शाम को कैबिनेट बैठक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में आयोजित की गई। मंत्रिमंडल ने देवस्थानम बोर्ड को रद् करने पर हामी भर दी है। बोर्ड को कैंसिल करने का प्रस्ताव अब विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। इसके साथ ही पुरानी व्यवस्थाओं को लागू किया जाएगा। इसके तहत श्री बदरीनाथ केदारनाथ टेंपल कमेटी अस्तित्व में आ जाएगी। धामी सरकार ने पूर्व सैनिकों को सातवें पे-कमीशन का लाभ दिए जाने पर भी मुहर लगा दी है।
नजूल नीति में जमा पैसों के अनुसार ही अब लाभार्थियों को मालिकाना हक मिल सकेगा। उत्तराखंड के सभी सरकारी अस्प्तालों, स्वास्थ्य केंद्रों आदि में अब सभ्ज्ञी दवाएं मुफ्त दी जाएंगी। कोई भी डॉक्टर अगर बाहर की दवा लिखते हुए पाया जाएगा तो कारण बताओ नोटिस भी दिया जाएगा। पॉलिटेक्निक सेंटरों में संविदा कर्मियों को नियमितीकरण करने का भी फैसला लिय गया है। मंत्रिमंडल ने फैसला लिया है कि अतिथि शिक्षकों को अब उनके मूल जनपदों में ही तैनाती दी जाएगी।
इन्हें मिलेगा लाभ-
शहरों में 100 वर्ग मीटर भूमि पर यदि भवन बना है, या बनाना है, तो महज 100 रुपये में पानी का कनेक्शन मिलेगा। कैबिनेट ने 100 रुपये में पानी का कनेक्शन देने का निर्णय किया है। अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में एक रुपये में पानी का कनेक्शन देने का नियम बनाया गया था। सरकार ने शहरों में 100 रुपये में पानी का कनेक्शन देने की घोषणा की थी।
इसे कैबिनेट की भी मुहर लगवाई गई। जल जीवन मिशन ग्रामीण में एक रुपये में पानी का कनेक्शन दिया जा रहा है। यहां भूमि के क्षेत्र की कोई बाध्यता नहीं थी। शहरों में आम लोगों को राहत दिए जाने को भूमि का क्षेत्र तय कर दिया गया है। 100 वर्ग मीटर भूमि पर बने भवनों को 100 रुपये में पानी का कनेक्शन दिया जाएगा।
अन्य फैसले-
-मैदानी क्षेत्र में 100 वर्ग मीटर जमीन वाले गरीब परिवारों को 100 रुपये में पेयजल कनेक्शन
-हरिद्वार में छह माह तक प्रशासक नियुक्त होंगे, विधयेक आएगा
-परिवहन निगम में चयनित 24 कर्मियों को दूसरे विभागों में करेंगे समायोजित
-कार्बेट में कोरोना काल में बुकिंग के पैसे रिफंड होंगे
-काशीपुर में इलेक्ट्रानिक पार्क बनेगा
-रोडवेज के दून व यूएसनगर फिटनेस सेंटर प्राइवेट सेक्टर को
-औद्योगिक क्षेत्रों के नए बिल्डिंग बायलॉज
-हटाए गए अतिथि शिक्षकों को दूसरे स्थानों पर मिलेगा मौका
सरकार देगी डेढ़ लाख लोगों को राहत, लायेगी अध्यादेश
नजूल नीति पर सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद अब उतराखंड सरकार इसी महीने इसका अध्यादेश लाएगी। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। इससे पहले छह दिसंबर की कैबिनेट बैठक में इसका प्रस्ताव लाया जाएगा। शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से देवस्थानम बोर्ड के बाद नजूल प्रकरण का भी समाधान हो गया है। उन्होंने कहा कि छह दिसंबर को कैबिनेट की बैठक में नजूल नीति का प्रस्ताव आएगा।
इसके बाद नौ व दस दिसंबर को होने जा रहे शीतकालीन सत्र में नजूल नीति का अध्यादेश लाया जाएगा। मंत्री भगत ने कहा कि वर्ष 2018 में भी भाजपा की सरकार ही कैबिनेट में नजूल नीति का प्रस्ताव लाई थी, जिसका शासनादेश आने से पहले ही हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। अध्यादेश आने के बाद प्रदेश में नजूल भूमि एक्ट लागू किया जाएगा। जिससे उत्तराखंड के लाखों परिवारों को नजूल भूमि पर मालिकाना हक मिल जाएगा। साथ ही अधिक से अधिक लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का भी लाभ मिल सकेगा।
करीब चार लाख हेक्टेयर है नजूल भूमि
देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के अलावा नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में सबसे अधिक नजूल भूमि है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो प्रदेश में 392,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है। इस भूमि के बहुत बड़े हिस्से पर डेढ़ लाख से अधिक लोग काबिज हैं। कहीं भूमि लीज पर है तो कहीं इस पर दशकों से कब्जे हैं। सरकार नीति के तहत इस भूमि को फ्री होल्ड कराना चाहती है।
नजूल भूमि नीति में कब क्या हुआ
– 2009 में सरकार ने नजूल भूमि फ्री होल्ड नीति बनाई।
– इसके तहत भूमि फ्री होल्ड करने की कवायद शुरू की।
– सरकार की नीति के प्रावधानों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
– हाईकोर्ट ने नीति पर रोक लगाई और कब्जे हटाने के आदेश दिए।
– मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसमें यथास्थिति बनाने के आदेश हुए।
– 2018 में भाजपा सरकार ने भी नई नजूल नीति लाने की कोशिश की।
राष्ट्रीय दलों ने गैरसैंण के मुद्दे पर राज्य के लोगों से छलावा किया-आप
आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार पर गैरसैंण के मुद्दे पर राजनैतिक रोटियां सेकने का आरोप जड़ा है। विधानसभा सत्र भी गैरसैंण के बजाए देहरादून में ही करवाने के फेसले की पुरजोर शब्दों में निंदा करते हुए पार्टी ने भाजपा सरकार पर हमला बोला है।
शुक्रवार को पार्टी कार्यालय से जारी बयान में विधानसभा प्रभारी राजे सिंह नेगी ने कहा कि गैरसैंण को लेकर भाजपा की कथनी व करनी में भारी अंतर रहा है। अब भाजपा विधानसभा सत्र भी गैरसैंण में करवाने से कन्नी काट गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने गैरसैंण में स्थाई राजधानी बनाने को लेकर जनता को गुमराह करने का काम किया है। आप के नेता नेगी के अनुसार उत्तराखंड आंदोलन की भावनाओं का केंद्र रहे गैरसैंण को लेकर दोनों ही राष्ट्रीय दल अब तक सियासी रोटियां सेंकते आए हैं। यही कारण है कि गैरसैंण राजधानी के सवाल पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कन्नी काटते आए हैं। किसी ने भी गैरसैंण पर अपना स्पष्ट नजरिया नहीं रखा। कहा कि, पिछले विधानसभा चुनाव में गैरसैंण को राजधानी बनाने की बात कहकर भाजपा सत्ता में आई थी लेकिन चुनाव में जनता को गुमराह कर प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली भाजपा ने सरकार में आते ही जनमुद्दों को भुला दिया। कहा कि ,वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाने का दावा किया था। जबकि उनकी मंसा गैरसैंण को राजधानी बनाने की थी ही नहीं।
विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री ने की घोषणा, कांग्रेस सरकार में वंचित बालिकाओं को मिलेगा नंदा गौरा योजना का लाभ
विधानसभा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की कि वर्ष 2015-16 व 2016-17 में गौरा देवी कन्याधन योजना के लाभ से वंचित बालिकाओं, जिनके आवेदन प्राप्त थे। उन्हें सरकार द्वारा योजना का लाभ दिया जाएगा।
कांग्रेस विधायक मनोज रावत द्वारा उक्त विषय को सदन के समक्ष रखा। जिस पर महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने सदन में जवाब दिया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015-16 में 11300 बालिकाएं व वर्ष 2016-17 में 21916 बालिकाएं ऐसी थी जो कन्याधन योजना के लाभ से वंचित थी। उन्होंने बताया कि कुल 33216 बालिकाओं को लाभ दिलाने के लिए मुख्यमंत्री जी ने 49.42 करोड़ की शेष धनराशि अवमुक्त करने की घोषणा की है।
मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कारनामों से वंचित रह गयी हमारी बेटियों को उक्त जनकल्याणकारी योजना का लाभ देने को हमारी प्रदेश की धामी सरकार ने विशाल हृदय दिखाया है। उन्होंने कहा कि वंचित रह गयी 33216 बालिकाओं को लाभान्वित करने को 49.42 करोड़ की धनराशि अवमुक्त करने की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा सराहनीय कदम है।
कहा कि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री जो स्वयं को महिलाओं और बेटियों का हितैषी बताते नहीं थकते हैं, उनके ही कार्यकाल की करनी प्रदेश की 33216 बेटियां झेल रही थी। जिसे आज हमारी धामी सरकार ने योजना का लाभ दिलाने का निश्चय किया है।
हमारी सरकार मात्र सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस के नेताओं की तरह घड़ियाली आंसू न बहाकर सदा जनता के लिए कार्य करती है । हमारी सरकार द्वारा लिया गया आज का फैसला एक दूरगामी व दूरदृष्टि को परिलक्षित करता है। इसके लिए सरकार बधाई की पात्र है तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी का आभार यक्त करते हैं।
पात्र बालिका को निम्नानुसार दी जाएगी सहायता
1. बालिका के जन्म पर पांच हज़ार रुपए।
2. 1 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर पांच हज़ार रूपए।
3. कक्षा 8 पास करने व नवी कक्षा में प्रवेश लेने पर पांच हज़ार रूपए।
4. कक्षा 10 पास करने तथा 11वीं कक्षा में अथवा डिप्लोमा में प्रवेश लेने पर पांच हज़ार रुपए।
5. कक्षा बारहवीं पास करने एवं स्नातक अथवा डिप्लोमा में प्रवेश लेने पर पांच हज़ार रुपए।
6. डिप्लोमा अथवा स्नातक अविवाहित उत्तीर्ण करने पर 10 हज़ार रुपए।
7. बालिका के विवाह पर 16 हजार रुपये की राशि उन्हीं बालिकाओं को देय होगी जिन्होंने डिप्लोमा अथवा स्नातक उत्तीर्ण की है।
प्रदेश अध्यक्ष को ज्ञापन सौंप आईडीपीएल की समस्या को विस सत्र में उठाने की कांग्रेसियों ने की मांग
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के गैरसैण में विधानसभा सत्र में जाते हुए ऋषिकेश पहुँचने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा भव्य स्वागत किया। साथ ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य जयेन्द्र रमोला ने प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को आईडीपीएल में रहने वाले परिवारों पर आवासीय संकट की समस्या को विधानसभा में पुरजोर तरीके से रखने का आग्रह किया। साथ ही इस विषय में ज्ञापन भी सौंपा।
एआईसीसी सदस्य जयेन्द्र रमोला ने कहा कि हमने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया कि आईडीपीएल फैक्ट्री की आवासीय कालोनी में वर्षों से कई परिवार निवास कर रहे हैं परन्तु पिछले कुछ समय से वहाँ पर कन्वेंशन हॉल बनाने की बातों से निवासरत लोगों को बेघर होने का डर सता रहा है। जबकि वहॉं पर रह रहे परिवार कई वर्षों से आवासीय कॉलोनी में रह रहे हैं, परंतु केंद्र सरकार से जब यह क्षेत्र राज्य सरकार को हस्तांतरित हुआ तो यहाँ पर एक कन्वेंशन सेंटर खोलने की घोषणा की गई। इससे यहाँ पर रहने वाले परिवारों में बेघर होने का भय उत्पन्न हो गया। जोकि न्यायोचित नहीं है पहले तो हमारी माँग है कि फेक्ट्री को पुनः शुरू कराया जाए। यहॉं पर रहने वाले परिवारों को ना हटाया जाय। अगर कन्वेंशन हॉल के नाम पर हटाया भी जाता है तो इन परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर दिये जायें। इसके अलावा कन्वेंशन सेंटर का निर्माण आईडीपीएल की खाली पड़ी भूमि में किया जाए, ताकि लोगों को बेघर न होना पडे।
स्वागत व ज्ञापन देने वालों में पूर्व मंत्री शूरवीर सजवाण, नगर कांग्रेस अध्यक्ष महंत विनय सारस्वत, जयपाल जाटव, अरविन्द जैन, प्रदीप जैन, अंशु त्यागी, पार्षद जगत नेगी, पार्षद भगवान सिंह पंवार, विजयपाल रावत, देवी प्रसाद व्यास, सेवादल अध्यक्ष रामकुमार भतालिय, वेद प्रकाश शर्मा, मनोज त्यागी, जगजीत सिंह, गौरव राणा, दीपक भारद्वाज, जितेन्द्र त्यागी, सुमित त्यागी, दीपक भारद्वाज, देवेन्द्र रावत, ललित मोहन मिश्रा, अशोक शर्मा, जीतू मुखर्जी, गीता सोढी, विक्रम भण्डारी, हरिओम, राजेन्द्र गैरोला, गौतम नौटियाल, रूकम पोखरियाल, ओम प्रकाश, नीरज कुमार, मधुर थापा, अमित पाल, पुरंजय भारद्वाज, लक्ष्मण सिंह, रोशनी देवी, तारा देवी, अन्ना शर्मा आदि मौजूद थे।
कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में विस सत्र को सफल बनाने पर दिया जोर
उत्तराखंड विधानसभा के कल 24 जून से आरंभ हो रहे सत्र के सिलसिले में आज विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक आयोजित की गई। इसमें तय किया गया कि संसदीय कार्य मंत्री रहे दिवंगत प्रकाश पंत को सत्र के पहले दिन सोमवार को श्रद्धांजलि दी जाएगी। 25 जून को होने वाले विधायी कार्यों के लिए 24 जून को दुबारा कार्य समिति की बैठक करके एजेंडा तय किया जाएगा। विधानभवन में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, विधान सभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चैहान, कार्यकारी संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक, नेता प्रतिपक्ष इन्दिरा हृदयेश, गोविंद सिंह कुंजवाल, प्रीतम सिंह आदि मौजूद रहे।
वहीं, कल से आरंभ हो रहे विधानसभा सत्र की अवधि को लेकर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं। विपक्ष का कहना है कि महज दो दिन का सत्र सरकार ने खानापूर्ति के लिए ही आहूत किया है, क्योंकि छह माह के भीतर सत्र बुलाने की बाध्यता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का कहना है कि सरकार के मंत्री सदन में जबाब देने से बचना चाहते हैं वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विपक्ष की आपत्ति को खारिज किया है। उनका कहना है कि फिलहाल कोई बिजनेस नहीं है। जो विधेयक हैं, वे अभी पाइप लाइन में हैं। लिहाजा, सदन को अनावश्यक नहीं बढ़ाया जा सकता। यह बात विपक्ष भी जानता है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने सदन के सुचारू संचालन में विपक्ष का सहयोग मिलने की उम्मीद भी जताई।
29 जून में पर्वतीय क्षेत्रों को पौड़ी में मिल सकती है कई सौगात
पौड़ी गढ़वाल कमिश्नरी के गठन की स्वर्ण जयंती, यानी 50 वर्ष पूरे होने के मौके को त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार खास बनाने जा रही है। 29 जून को पौड़ी में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित की जा रही है। यह तीसरा मौका है जब त्रिवेंद्र सरकार देहरादून के बाहर पर्वतीय क्षेत्र में मंत्रिमंडल की बैठक करेगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को सचिवालय में मीडिया से बातचीत में कहा कि कि पौड़ी गढ़वाल कमिश्नरी के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 29 जून को पौड़ी में मंत्रिमंडल की बैठक होगी। इस बैठक में मंत्रिमंडल पर्वतीय क्षेत्रों के विकास से संबंधित फैसलों पर मुहर लगा सकता है। गौरतलब है कि इससे पहले देहरादून से इतर पर्वतीय क्षेत्रों में दो दफा त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल की बैठकें हो चुकी हैं। बीते वर्ष टिहरी महोत्सव के उपलक्ष्य में मंत्रिमंडल की बैठक टिहरी में आयोजित की जा चुकी है।
त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल की बैठक गैरसैंण में भी हो चुकी है। गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान मंत्रिमंडल की बैठक आहूत की गई थी। इसके अलावा पूर्व की सरकारों के समय भी तीन बार राजधानी देहरादून से बाहर कैबिनेट की बैठकें हो चुकी हैं। पौड़ी में मंडल मुख्यालय होने की वजह से कई मंडलस्तरीय कार्यालय भी वहां हैं। यह दीगर बात है कि पौड़ी में मंडल मुख्यालय समेत पर्वतीय क्षेत्रों में सरकारी कार्यालय होने के बावजूद अधिकारियों की इन कार्यालयों में नियमित उपस्थिति की समस्या अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी बरकरार है। माना जा रहा मंत्रिमंडल पर्वतीय क्षेत्रों की समस्याओं को देखते हुए अहम फैसले ले सकती है।