शनिवार को कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ ने दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। उनके दिल्ली दौरे के बाद उत्तराखंड की सियासत गरमा गई है। इस मुलाकात में राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी भी मौजूद रहे।
आज इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे है। यह चर्चा भी हो रही है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व हरक सिंह को अहम जिम्मेदारी सौंप सकता है और इसीलिए शनिवार को उन्हें विधायक उमेश शर्मा काऊ के साथ दिल्ली बुलाया गया है। वहीं चर्चाएं ये भी हैं कि हरक सिंह रावत ने दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मुलाकात कर विधायक काऊ को मंत्री बनाए जाने की पैरवी की है।
कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि नड्डा और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी व राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से शिष्टाचार भेंट थी। पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे के कांग्रेस में जाने के बाद बदली राजनीतिक परिस्थितियों पर राष्ट्रीय अध्यक्ष से बातचीत हुई। रावत के मुताबिक, गढ़वाल और कुमाऊं मंडल की एक-एक सीट पर चर्चा हुई और अगले दो महीनों के दौरान पार्टी की क्या रणनीति हो सकती है, इस पर विचार हुआ। भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष या चुनाव अभियान समिति की जिम्मेदारी देने की संभावना से उन्होंने इंकार किया है।
सूत्र-ये सिर्फ एक मुलाकात नही
जब से हरक सिंह रावत ने राज्य की 40 विधानसभा क्षेत्रों में प्रभाव होने और अगला चुनाव नही लड़ने की बात कही है। तब से भाजपा हाईकमान गंभीर हो गया है। सूत्रों की मानें तो भाजपा शीर्ष नेतृत्व धामी की राह आसान बनाना चाहता है। इस लिए चुनाव में आक्रामक भमिका निभाने वाला नेता की तलाश हो रही है। जब से कांग्रेस से आए नेताओं की घर वापसी शुरु हुई है तो भाजपा हाईकमान सतर्क हो गया है और उसे हरक सिंह रावत के रुप में एक दमदार नेता दिखने लगा है। बरहाल भाजपा और हरक सिंह एक दूसरे की मजबूरी भी है। एक ओर हरीश रावत अपनी वीटो लगाकर बागी नेताओं की घर वापसी रोकना चाहते है वहीं, हरक भी राष्ट्रीय राजनीति में जाना चाहते है।
अब भाजपा हाईकमान को हरक सिंह के रुप में कांग्रेस से आए नेताओं को रोकने में सक्षम चेहरा नजर आ रहा है तो वहीं, हरीश रावत की काठ के रुप में भी दमदार चेहरा नजर आ रहा है। भाजपा हाईकमान फिर से एक बार चौकंाने वाला फैसला लेकर हरक सिंह को नई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे सकता है।