अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में पंजाब नेशनल बैंक का डिजिटल बैंक (ईज आउटलेट) विधिवत शुरू हो गया है। बैंक अधिकारियों के अनुसार यह पीएनबी का उत्तराखंड में पहला ईज आउटलेट है। बिना मेनपावर के संचालित होने वाले इस डिजिटल बैंक के माध्यम से लोग बैंक से संबंधित तमाम सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं। उक्त सुविधाएं लोगों को बैंक कार्य दिवस के साथ साथ राजकीय व साप्ताहिक अवकाश के दिनों में भी 24 घंटे निर्बाध उपलब्ध हो सकेंगी। शुक्रवार को एम्स परिसर में आयोजित कार्यक्रम में निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी व पीएनबी देहरादून के अंचल प्रबंधक आरडी सेवक ने संयुक्तरूप से पीएनबी/ईज आउटलेट (डिजिटल बैंक) का विधिवत उद्घाटन किया।
इस अवसर पर निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत जी ने कहा कि संस्थान में पीएनबी की ओर से राज्य का पहला ईज आउटलेट स्थापित होने से ऋषिकेश व आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ-साथ एम्स में उपचार के लिए आने वाले लोगों को 24 घंटे बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी। निदेशक एम्स ने पीएनबी ईज आउटलेट के शुभारंभ अवसर पर मौजूद बैंक के अधिकारियों को बधाई दी व जनसुविधाएं मुहैया कराने के लिए उनका धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर पीएनबी के अंचल प्रबंधक आरडी सेवक ने कहा कि कोविडकाल ने हमें डिजिटिलाइजेशन का महत्व समझाया है, लिहाजा पीएनबी का डिजिटल बैंक उसी की पहल है, जिससे लोग भीड़भाड़ से दूर अपनी बैंक संबंधी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। उन्होंने बताया कि ईज आउटलेट एटीएम, बीएनए पासबुक प्रिंटिंग मशीन और चौक जमा मशीन से युक्त डिजिटल बैंक में लोगों को नकद धनराशि जमा करने, नकदी निकासी, बैंक पासबुक प्रिंटिंग और चेक जमा करने आदि बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी।
सर्किल हेड वाईएस राजपूत ने बताया कि प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी के देश में डिजिटलाइजेशन की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए पंजाब नेशनल बैंक द्वारा देश के प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थान एम्स ऋषिकेश में डिजिटल बैंक की सुविधा शुरू की है।
पीएनबी की वीरभद्र शाखा प्रबंधक गजेंद्र चौधरी ने बताया कि एम्स डिजिटल बैंक ब्रांच में रविवार के अलावा अन्य राजकीय अवकाश के दिनों, दूसरे और चौथे शनिवार, बैंक होलिडे में भी अपने ग्राहकों के साथ साथ अन्य बैंकों से जुड़े ग्राहकों को भी यह सुविधा मिल सकेगी।
इस अवसर पर एम्स के डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता, डीएचए प्रो. यूबी मिश्रा, वित्तीय सलाहकार कमांडेंट पीके मिश्रा, जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल, रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, डीडीओ संदीप सिंह के अलावा पीएनबी के उप अंचल प्रबंधक डीएस भंडारी, अनिल सिन्हा, मंडल प्रमुख राजिंदर भाटिया आदि मौजूद थे।
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गोली लगने से गंभीर घायल महिला को एम्स ऋषिकेश ने दिया नया जीवनदान
(एनएन सर्विस)
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के ट्राॅमा सर्जरी विभाग की टीम ने हाल ही में गोली लगने से गंभीररूप से घायल एक महिला का जटिल ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई है। कूकेहाड़ी, हरिद्वार निवासी इस 45 वर्षीया महिला को बीती 29 मई की सुबह करीब 8 बजे किसी ने गोली मारकर गंभीररूप से घायल कर दिया था। परिजनों द्वारा घायल को एम्स ऋषिकेश के ट्रॉमा सेंटर की इमरजेंसी में लाया गया, जहां ट्राॅमा सर्जरी विभाग की टीम ने तत्काल उसका परीक्षण किया व उपचार प्रारंभ किया।
चिकित्सकों के अनुसार घायल महिला के शरीर के बाएं कंधे,छाती, पेट, बाईं जांघ व बाएं हाथ की कलाई पर अनगिनत छर्रे लगे हुए थे, शरीर के तमाम हिस्सों में छर्रे लगे होने की वजह से लगातार खून का रिसाव हो रहा था। जांच के उपरांत पता चला कि पेट में छर्रे लगने की वजह से आंतों में सुराख हो गया है, जिसके चलते महिला का तत्काल जटिल ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया। ट्राॅमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. कमर आजम की देखरेख में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अजय कुमार, सीनियर रेजिडेंट डा. रूबी कटारिया व डा. विशाल पाटिल इस जटिल सर्जरी को अंजाम दिया गया। उन्होंने बताया कि छर्रे लगे होने के कारण खाने की नली का निचला हिस्सा, पेट, छोटी व बड़ी आंतें व मलाशय में 50 से अधिक छेद पाए गए, जिनका सफलतापूर्वक उपचार किया गया।
चिकित्सकीय टीम द्वारा बताया गया कि इन्फिरियर मीजेंट्रिक आर्टरी नामक खून की धमनी के फटने के कारण शरीर में खून का रिसाव हो रहा था,जिसे उपचार कर बंद कर दिया गया। साथ ही मरीज के शरीर के कुछ अन्य हिस्सों में लगी चोटों का उपचार दवा द्वारा भी किया गया। करीब पांच घंटे में चिकित्सकों की पूरी जिम्मेदारी व कठिन परिश्रम से इस जटिल ऑपरेशन में सफलता हासिल कर ली गई। इसके बाद मरीज को दो दिन वेंटीलेटर पर चिकित्सकों की निगरानी में रखने के बाद एक सप्ताह तक भर्ती रखा गया। पूर्णरूप से स्वस्थ होने के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के मद्देनजर पूरे ऑपरेशन के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरती गई, ऐसी स्थिति में चिकित्सकों ने पीपीइ किट, फेशिल्ड लगाकर इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
एम्स की ट्रामा सर्जरी टीम को इस तरह के सराहनीय कार्य के लिए एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी, डीन हॉस्पिटल अफेयर्स प्रो. यूबी मिश्रा ने बधाई दी गई है। एम्स संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रघ्वि कांत जी ने बताया कि इमरजेंसी व ट्राॅमा से संबंधित जटिल मामलों के लिए संस्थान के पास वेंटीलेटर सिस्टम व आईसीयू की मुकम्मल सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि गोली लगने जैसे मामलों में मरीजों में सबसे अधिक ब्लड की जरुरत होती है, लिहाजा हमारे पास संस्थागत ब्लड बैंक के माध्यम से 24 घंटे रक्त की सुविधा उपलब्ध है,जिससे मरीज की जान को बचाया जा सके व उसके इलाज में किसी तरह की दिक्कतें नहीं आएं।
एम्म ऋषिकेश में कीमियोथेरेपी और डाइलिसिस की सुविधाएं फिर से बहाल, मिली राहत
(एनएन सर्विस)
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में डाइलिसिस और कीमियोथेरेपी के लिए मरीजों को अब इंतजार नहीं करना पड़ेगा। लॉकडाउन के चलते संस्थान में बीते मार्च माह में स्थगित की गई ओपीडी व अन्य कई सेवाएं अब धीरे धीरे सुचारू की जा रही हैं। ऐसे में डाइलिसिस व कीमियोथेरेपी से जुड़े मरीजों को भी जल्द यह सुविधाएं मिल सकेंगी। कोविड-19 के विश्वव्यापी प्रकोप के चलते एम्स संस्थान में बीते मार्च माह में वाह्य रोगी विभाग ओपीडी समेत कई अन्य नियमित स्वास्थ्य सेवाएं स्थगित कर दी गई थी। जिसकी वजह कोरोना वायरस के संक्रमण से एक-दूसरे लोगों का बचाव व सरकार की गाइड लाइन का शब्दशरू पालन सुनिश्चित कराना था। जिसके कारण कैंसर के मरीजों के लिए संस्थान में उपलब्ध कीमियोथेरेपी व किडनी संबंधी रोगों से ग्रसित मरीजों की डाइलिसिस आदि सुविधाओं को भी कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया था। इससे संबंधित रोगों से ग्रस्त मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था और वह इन सुविधाओं को लेकर लगातार संस्थान से संपर्क बनाए हुए थे। लिहाजा ऐसे मरीजों की परेशानी के मद्देनजर एम्स ऋषिकेश ने कीमियोथेरेपी व डाइलिसिस की सुविधाएं फिर से बहाल कर दी हैं।
गौरतलब है कि ऋषिकेश नगर व समीपवर्ती इलाकों में किडनी संबंधी रोगों से ग्रसित काफी संख्या में मरीज हैं, जो एम्स में इसके नियमित उपचार के लिए आते हैं। ऐसे में खासकर उन लोगों को डाइलिसिस की सुविधा फिर से नियमिततौर पर मिल सकेगी जो पहले से ही संस्थान में इस सुविधा का लाभ लेते रहे हैं। जबकि संस्थान में रेडियोथेरेपी की सुविधा लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में कुछ समय स्थगित कर दी गई थी, इसके बाद से इसे सुचारू कर दिया गया था, एम्स संकायाध्यक्ष अस्पताल प्रशासन प्रो. यूबी मिश्रा ने बताया कि इन दिनों एक दिन में डाइलिसिस के अधिकतम 9 और कीमियोथेरेपी के 12 मरीजों का ही उपचार हो पा रहा है। जिसके लिए एम्स परिसर में अलग से वार्ड स्थापित किया गया है। उन्होंने बताया कि संस्थान में कीमियोथेरेपी और डाइलिसिस कराने के लिए आने वाले मरीजों को इससे पूर्व कोविड स्क्रीनिंग करानी होगी। जिसके बाद कोविड नेगेटिव रिपोर्ट आने पर ही वह इन स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। उन्होंने बताए कि ऐसे मरीजों को किसी तरह की असुविधा नहीं हो इसके लिए उन्हें एम्स की वेबसाइट पर ऑनलाइन अथवा संस्थान की टेलिमेडिसिन ओपीडी के लिए उपलब्ध कराए गए टेलीफोन नंबरों के माध्यम से पंजीकरण की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए।