किसानों को फल प्रजाति का चयन करने के लिए पूर्ण स्वतन्त्रता प्रदान की जायः गणेश जोशी

उत्तराखण्ड में जैविक खेती एवं सेब की सघन बागवानी को बढावा देने के उद्देश्य से एक दिवसीय कृषक गोष्ठी का उद्घाटन सुबे के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों ने अल्प सूचना के बाद भी प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों से बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया गया है, इसके लिए वह सभी किसानों का आभार प्रकट करते हैं। मंत्री द्वारा बताया गया कि सरकार का उद्देश्य है कि कृषकों की मांगानुसार ही नवीनतम प्रजाति की उच्च गुणवत्तायुक्त पौध रोपण सामग्री उपलब्ध करायी जायेगी। प्रदेश में खराब होने वाले फलों का सदुपयोग कर अन्य प्रदेशों यथा- गोवा की भॉति फू्रट वाईन बनाकर एक तरफ किसानों को हो रही हानि से बचाने एवं दूसरी ओर प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने पर भी अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने किसानों द्वारा की गयी मांग के दृष्टिगत प्रदेश में फलों को संरक्षित करने के लिए कोल्ड चौन की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए इस सम्बन्ध में एक स्थान पर अत्यधिक उत्पादन होने पर भी कोल्ड स्टोरेज की उपयोगिता पर बल दिया। कृषि मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निम्नानुसार निर्देश दिये गयेः-
 किसानों को फल प्रजाति का चयन करने के लिए पूर्ण स्वतन्त्रता प्रदान की जाय।
 कोरोगेटेड बॉक्स की गुणवत्ता में और सुधार किया जाय एवं समय पर किसानों की आवश्यकतानुसार वितरण सुनिश्चित किया जाय, जिससे अन्य राज्यों से आयात रोका जा सके।
 किसानों द्वारा की गयी मांग के अनुसार राजसहायता में वृद्धि पर विचार किया जाय।
 स्थानीय स्तर पर छोटी-छोटी प्रसंस्करण इकाईयॉ स्थापित कर कृषकों को उनके बाजार में बिक्री अयोग्य उत्पाद का भी उचित मूल्य प्रदान कराया जाय।
 गढ़वाल एवं कुमाऊ मण्डल में 02-02 रिफरवैन की व्यवस्था की जाय ताकि कृषकों के उत्पादों की सुगमतापूर्वक विपणन व्यवस्था सुनिश्चित हो सके।
 प्रदेश के कृषकों के औद्यानिक उत्पादों (फल व सब्जी) को संरक्षित रखने के लिए हरियाणा के सोनीपत में 5000 मै0टन की भण्डारण क्षमता का भण्डारगृह किराये पर शीघ्र लिया जायेगा, जिससे प्रदेश के कृषक बाजार की मांग के अनुसार अपने उत्पादों की बिक्री कर अधिकाधिक लाभ प्राप्त कर सकें।
 विभागीय कार्मिकों को तकनीकी संस्थानों में एवं प्रदेश के किसानों को दूरस्थ क्षेत्रों में जाकर स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित करने हेतु कार्यक्रम किये जायें।
 जनपद उत्तरकाशी के हर्षिल में उत्पादित सेब को विशेष पहचान दिलाने हेतु पृथक से सेब के कोरोगेटेड बॉक्स वितरित किये जायें।
 प्रदेश में पौध रोपण सामग्री का उत्पादन कर रही राजकीय एवं व्यक्तिगत पौधशालाओं से शतप्रतिशत फल पौध वितरण के उपरान्त ही कृषकों की शेष मांग की पूर्ति हेतु राज्य के बाहर की पौधशालाओं से आपूर्ति पर विचार किया जाय। साथ ही प्रदेश की राजकीय पौधशालाओं में पौध रोपण सामग्री के लक्ष्यों में वृद्धि करने के निर्देश दिये गये।
 किसानों की समस्याओं के त्वरित समाधान हेतु कॉल सेन्टर की स्थापना तत्काल करायी जाय, जिससे कृषकों की समस्याओं का समाधान हो सके। साथ ही प्रदेश का स्प्रे-सिड्यूल तथा वर्षभर की औद्यानिक गतिविधियों का कैलेण्डर तैयार कर वृहद स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाय।
 कृषकों को विभिन्न औद्यानिक निवेशोें की आपूर्ति समय पर सुनिश्चित करायी जाय।
 कृषकों के उत्पादों की विपणन समस्या को दूर करने के लिए उत्तराखण्ड औद्यानिक परिषद को मजबूती प्रदान की जाय।
 अन्य फलों को भी प्रोत्साहित करने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन समय-समय पर किया जाय।

कृषि सचिव दीपेन्द्र चौधरी द्वारा अपने भाषण में कार्यक्रम की रूप रेखा पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए बताया गया कि कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री के निर्देशानुसार राज्य में सेब की अति सघन बागवानी को बढ़ावा देने हेतु गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पन्तनगर, केन्द्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान व जम्मू-कश्मीर आदि के विशेषज्ञों के साथ-साथ विभिन्न स्टेक होल्डर्स के सहयोग से सेब की अति सघन बागवानी नीति का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इस नीति को अन्तिम रूप देने हेतु कृषि मंत्री के निर्देशानुसार कृषकों/सेब उत्पादकों के महत्वपूर्ण सुझावों का समावेश किये जाने हेतु आज इस गोष्ठी का आयोजन किया गया है। सचिव ने आशा जतायी कि आज की संगोष्ठी में प्राप्त सुझावों के समावेश से सेब की अति सघन बागवानी नीति आवश्यक सुधार कर प्रदेश में सफलतापूर्वक सेब के गुणवत्तायुक्त उत्पादन में वृद्धि की जा सकेगी।
विभाग के महानिदेशक रणवीर सिंह चौहान द्वारा कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज के प्रस्तुतिकरण में मात्र योजना के मुख्य बिन्दुओं पर ही प्रकाश डाला गया है, किन्तु किसानों के सुझावों को सुनने के बाद यह स्पष्ट हुआ है कि उनकी 90 प्रतिशत से अधिक समस्याओं का समाधान योजना के विस्तृत विवरण में समाहित किया गया है। उन्होंने किसानों द्वारा दिये गये महत्वपूर्ण सुझावों का स्वागत करते हुए कहा कि आज महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये हैं एवं यह सभी सुझाव उद्यान विभाग अपने सरमाथे पर लेता है तथा उनके आधार पर किसानों की समस्याओं के समाधान हेतु तत्पर है। विभाग द्वारा विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु अपने स्तर से प्रभावी कार्यवाही की जा रही है, किन्तु थोड़ा समय अवश्य लगेगा। महानिदेशक ने कहा कि विभाग प्रदेश में सेब के गुणवत्तायुक्त उत्पादन हेतु निरन्तर प्रयासरत है, किन्तु साथ ही आने वाले उत्पादन के विपणन के लिए भी पूर्ण रूप से चिन्ता कर रहा है, जिससे उत्पादन बढ़ने पर विपणन की समुचित व्यवस्था की जा सके। इस हेतु शीघ्र ही मार्केटिंग पॉलीसी भी लायी जायेगी। उत्तराखण्ड राज्य के किसान व विभाग स्वयं में सक्षम हैं, हम मिलकर साथ-साथ काम करते हुए अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बनायेंगे। महानिदेशक महोदय ने उद्यानपतियों को सजग करते हुए कहा कि नवीन बागान स्थापना करते हुए प्रजाति का चुनाव तकनीकी विशेषज्ञों के सुझाव एवं स्थानीय कृषि जलवायु की अनुकूलता के अनुसार ही किया जाय, अन्यथा की स्थिति में हानि की सम्भावना बनी रहती है। महानिदेशक महोदय ने समस्त उद्यानपतियों को आश्वस्त किया कि विभाग उनके लिए है एवं उनके द्वारा प्रस्तुत समस्याओं एवं सुझावों के अनुसार कार्य करने के लिए प्रयासरत है।
कार्यक्रम में पूर्व राज्यमंत्री नारायण सिंह राणा, पदम्श्री प्रेम चन्द्र शर्मा, प्रताप सिंह रावत, मण्डी परिषद के प्रबंध निदेशक आशीष भटगई, उद्वान विभाग के अपर निदेशक डा0 आर0के0 सिंह, डा0 रतन कुमार, डा0 सुरेश राम, डा0 बृजेश गुप्ता, महेन्द्रपाल, नरेन्द्र यादव, रजनीश सिंह, डा0 रोहित बिष्ट, मुख्य उद्यान अधिकारी डा0 मीनाक्षी जोशी, तेजपाल सिंह, डी0के0 तिवारी, प्रभाकर सिंह, राजेश तिवारी, आर0के0 सिंह, रामस्वरूप वर्मा, सतीश शर्मा उपस्थित रहे।

पहाड़ी उत्पाद मुंडवा, रामदाना, झंगोरा पर प्रदेश सरकार का विशेष फोकस हैः गणेश जोशी

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कृषि एवं उद्यान विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में सचिव वी. बी.आरसी पुरुषोत्तम अपर सचिव रणवीर सिंह चौहान उद्यान निदेशक एचएस बवेजा कृषि निदेशक गौरीशंकर सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

मंत्री जोशी ने अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। मंत्री जोशी ने प्रदेश में उद्यान के गार्डनों को होल्टीकल्चर टूरिज्म के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। मंत्री जोशी रायवाला में गौहरीमाफी स्थित राजकीय उद्यान गंगालहरी में सेंटर फॉर एक्सीलेंस में फ्लोरी कल्चर के प्रोजेक्ट को 6 माह के भीतर धरातल पर तैयार करने के अधिकारियों निर्देश दिए। बैठक में मंत्री जोशी ने कृषि सचिव से लेकर विभाग के निदेशक को माह के 10 दिन फ़ील्ड में भ्रमण कर कार्य करने के भी निर्देश दिए। बैठक में धनोल्टी में होल्टीकल्चर टूरिज्म के रूप में विकसित करने पर भी विचार विमर्श किया गया।

बैठक में सेब की पेटियां किसानों को सही समय पर ओर अच्छी क्वालिटी की पेटी किसानों को मिले इसके लिए मंत्री ने अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने कहा अगली बार सेब बागवानों को सेब की पेटी के लिए बाहर न जाना पड़े इसके लिए अभी से तैयारी की जाए।बैठक में मंत्री जोशी ने कहा कि 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिलेट्स ईयर घोषित किया है।

मंत्री ने कहा मिलेट्स कि आज अधिक डिमांड है उन्होंने अधिकारियों को सुनिश्चित किया है कि सरकार का पहाड़ी उत्पाद जैसे मुंडवा, रामदाना, झंगोरा पर विशेष फोकस है। मंत्री जोशी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है कि राशन की दुकान में जो गरीबों को राशन दिया जाता है उसमें 1 किलो मंडवा भी दिया जाएगा। इसी प्रकार मिड डे मील, आंगनवाड़ी में मोटे अनाज को भेजेंगे ताकि इसकी खपत बढ़े किसानों जो पैदावार पैदा करता है। उसको उचित दाम मिले इसके लिए मोबाइल वैन के जरिए किसान के खेत में जाकर उसकी उपज को खरीदें।

ताकि जो बीच में पैसा व्यापारी को मिलता है उसकी जगह सीधा लाभ किसान को मिले। मंत्री जोशी ने कहा इससे हमारे जो मिलेट्स है उसके उत्पाद में बढ़ावा होगा। इसके अलावा मंत्री जोशी ने जनवरी में जो क्रॉप्स लगाए जा रहे हैं वह उच्च गुणवत्ता युक्त क्रॉप्स हो। इसके साथ ही मंत्री जोशी ने अधिकारियों को मिलेट्स का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करने पर भी जोर दिया। इसके साथ ही मंत्री जोशी ने 25 दिसंबर से विभाग द्वारा रूप गार्डनिग के कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर भी अधिकारियों को समय पर सभी तैयारियां पूर्ण करने के निर्देश दिए।

सचिव वी. बी.आरसी पुरुषोत्तम अपर सचिव रणवीर सिंह चौहान उद्यान निदेशक एचएस बवेजा कृषि निदेशक गौरीशंकर सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

आईसीएआर क्षेत्रीय समिति की 72वीं बैठक में कृषि मंत्री गणेश जोशी हुए शामिल

उत्तराखण्ड के आईसीएआर क्षेत्रीय समिति की 27 वीं बैठक में कृषि एवं बागवानी विभाग उत्तराखण्ड से सम्बन्धित सुझावों एवं समस्याओं पर कृषि मंत्री ने बैठक में अपना पक्ष रखा। यह बैठक वर्चुअल रुप से आयोजित हुई और मंत्री जोशी सहित हिमाचल, जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के कृषि मंत्री एवं उनके प्रतिनिधि उपस्थित रहे। बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय पशुपालन, मत्य एवं डेयरी मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला ने की।

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में उगाई जाने वाली स्थानीय फसलों का विशेष महत्व हैं, तथा क्षेत्र विशेष के अनुरूप इन फसलों में विशिष्ट लक्षण ही पाये जाते है। जैसे हर्षिल चकराता व मुनस्यारी की राजमां उत्तरकाशी का लाल धान चकराता एवं नैनीताल का मक्का आदि इन फसलों का संरक्षण एवं प्रोत्साहन किए जाने की आवश्यकता है। कृषि विभाग द्वारा स्थानीय फसलों के बीजों को बीज श्रृंखला में सम्मिलित करने हेतु जी0आई0 टैग (भौगोलिक पहचान) प्रदान कराये जाने का प्रयास किया जा रहा है,जिसके क्रम में मुनस्यारी राजमा को जी0आई0 टैग भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जा चुका है, तथा अन्य 11 फसलों तथा लाल धान, बेरीनाग चाय, गहत, मडुआ, झंगोरा, काला भट्ट, बुरास, शरबत, चौलाई/रामदाना, अल्मोडा लखोडी मिर्च, पहाडी तोर दाल और माल्टा फ्रूट में जी0आई0 टैग प्रदान किये जाने हेतु कार्यवाही गतिमान है। शोध संस्थानों द्वारा उक्तानुसार स्थानीय फसलों की विशेषताओं को संरक्षित रखते हुए इन्हें ट्रुथफुल लेवल (टीएल) सीड्स के रूप में बीज श्रृंखला में लाये जाने हेतु आवश्यक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। पर्वतीय क्षेत्रों हेतु संकर धान तथा महीन धान प्रजाति विकसित किये जाने की आवश्यकता है। उन्होनें जैविक खाद, प्रभारी जैविक कीटनाशक, जंगली जानवरों की समस्या को भी बैठक में रखा।

उन्होंने आईसीएआर द्वारा किये गये शोध पर कहा कि उत्तराखण्ड जैविक प्रदेश की तरफ अग्रसर है और प्रदेश के 10 विकासखण्डों को जैविक ब्लाक बनाया गया है। उन्होंने सर्वे से ज्ञात हुआ है कि उत्तराखण्ड में चावल और मक्का उत्पादन में कमी है, इसके लिए मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को कार्ययोजना बनाये जाने के निर्देश दिये। केन्द्रीय पशुपालन मंत्री द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्रों में पशुपालन मोबाईल टीम लगाये जाने पर मंत्री ने कहा कि यह अत्यधिक लाभकारी निर्णय साबित होगा। उन्होनें आईसीएआर के शोध में ज्ञात हुए उत्तराखण्ड में कृषि और बागवानी से सम्बन्धित सूचनाओं को भौतिक रुप के साथ-साथ सोशल मीडिया के माध्यम से भी कृषकों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्धता जताई।

बैठक में उत्तराखण्ड की ओर से कृषि मंत्री के साथ कृषि निदेशक गौरीशंकर ने भी प्रतिभाग किया।