उत्तराखंड सरकार द्वारा लाए जा रहे समान नागरिक संहिता की रूपरेखा तैयार हो चुकी है। इस मसौदे के तहत लड़कियों के लिए शादी की उम्र को बढ़ाकर 18 से 21 साल करने की शिफारिश रखी गई है। इसके अलावा राज्य में शादी के पंजीकरण को अनिवार्य करने का प्रावधान रखा गया है। वहीं लिव-इन रिलेशन में रहने वाले कपल बिना परिवार को इसकी जानकारी दिए ऐसा नहीं कर पाएंगे। उत्तराखंड के लिए मसौदा तैयार करने वाली सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई का कहना है कि ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है और जल्द ही इसे राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा।
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता के मसौदे के तहत हलाला जैसी कुरीतियों को समाप्त कर दिया गया है। आमतौर पर मुस्लिम धर्म में शादी टूटने की स्थिति में इन प्रथाओं को अमल में लाया जाता है। राज्य में सभी धर्म के लोगों के लिए केवल कानून के माध्यम से तलाक लेना अनिवार्य होगा। बताया गया कि देश में अब केवल एक ही शादी की इजाजत होगी। चाहे पुरुष या महिला किसी भी धर्म के क्यों ना हो, उन्हें बिना तलाक लिए एक वक्त में दो पत्नी या पति रखने की इजाजत नहीं होगी।
उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून के मसौदे के तहत तलाक लेने की स्थिति में महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का अधिकार दिया जाएगा। धर्म, जाति, पंथ के आधार पर भेदभाव किए बना महिलाओं और पुरुष के लिए तलाक लेते वक्त दिए गए तर्कों में समानता होगी। इतना ही नहीं, इस कानून के तहत उत्तरखंड में जनसंख्या नियंत्रण की भी योजना है। बताया गया कि नए समौदे में प्रत्येक कपल के लिए बच्चों की संख्या भी तय की गई है। यह कितनी होगी इसकी जानकारी अभी नहीं दी गई है।