सैनिक सम्मान कार्यक्रम में राजनाथ ने फिर की धामी की प्रशंसा

केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को पिथौरागढ़ के मूनाकोट में शहीद सम्मान यात्रा का शुभारम्भ किया एवं इस अवसर पर शहीद सैनिकों के परिजनों को किया गया सम्मानित भी किया।
केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शहीदों को नमन करते हुए कहा कि हमारी सांस्कृतिक परम्परा है कि जो देश के लिए अपनी जिंदगी न्यौछावर करते हैं, उनको देवतुल्य माना जाता है। जननी और जन्मभूमि दोनों स्वर्ग के समान होते हैं। उत्तराखण्ड, देवभूमि, तपोभूमि और वीरभूमि है। उत्तराखण्ड में पांचवा धाम सैन्यधाम बन रहा है। सैन्यधाम में शहीद सैनिकों की आंगन की मिट्टी आयेगी और भविष्य में भी जो वीर सपूत देश के लिए शहीद होगें, उनके आंगन की मिट्टी भी सैन्यधाम में लाई जायेगी। सैन्यधाम में इस तरह की व्यवस्था हो कि सभी शहीदों के नाम और गांव का नाम सैन्य धाम में अंकित हो। उत्तराखण्ड की हर गली, हर शहर अपने में पवित्र है। उत्तराखण्ड में सैन्यधाम का निर्माण एक अच्छी सोच है।

1962 भारत-चीन युद्ध में कुमाऊं बटालियन के जवानों ने किया करिश्माई काम
केन्द्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि कुछ दिन पूर्व मुझे पीठसैंण में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा का अनावरण करने का सौभाग्य मिला। रेजांग-ला पर जो उत्साह देखा वह अद्भुत था। 1962 भारत-चीन युद्ध में कुमाऊं के 13वीं बटालियन के 124 जवानों जो करिश्माई काम किया, उसे भारत कभी भूल नहीं सकता। जब हमने उनके शौर्य और पराक्रम की गौरव गाथा सुनी तो मैंने वहां जाने का निर्णय लिया। वहां भव्य स्मारक बनाया गया है। भारत के हर नागरिक के मन में शहीदों के परिवारों के प्रति एक सम्मान का भाव होना चाहिए।
केन्द्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे पूर्व सैनिकों की जो वन रैंक वन पेंशन की समस्या थी उसका समाधान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। सैनिकों एवं उनके परिवारों की समस्याओं के लिए सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किये गये हैं। बैटल कैजुवल्टी को 02 लाख से बढ़ाकर 08 लाख रूपये किया गया है। पूर्व सैनिकों की भी हर समस्या का समाधान करने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किये गये हैं। सैनिकों के सम्मान के लिए जो भी करना होगा, सरकार हमेशा उसके लिए तत्पर है। आजादी के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, भारत आजादी धूमधाम से अमृत महोत्सव मना रहा है। रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर झांसी में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कर रहे हैं ताबड़तोड़ बैटिंग-केन्द्रीय रक्षा मंत्री
केन्द्रीय रक्षा मंत्री ने प्रदेश एवं जनहित में 4 माह में 400 से अधिक निर्णय लेने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ताबड़तोड़ बैटिंग कर रहे हैं। अभी तो मुख्यमंत्री 20-20 मैच खेल रहे हैं। इनका पांच साल का टेस्ट मैच होना चाहिए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी महेन्द्र सिंह धोनी की तरह अच्छे फिनिशर हैं। केन्द्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में रूद्रपुर, हरिद्वार एवं पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं। उत्तराखण्ड में सड़क, रेल एवं हवाई कनेक्टिविटी का तेजी से विस्तार हुआ है। लिपुलेख-धारचूला-मानसरोवर जाने का रास्ता बन गया है। सांस्कृतिक दृष्टि से यह रास्ता बहुत महत्वपूर्ण है। भारत और नेपाल के बीच रोटी और बेटी का रिश्ता है।

पिथौरागढ़ जनपद हमेशा से रणबांकुरों की भूमि रही-सीएम
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देश की एकता, अखण्डता एवं रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले शहीदों को नमन करते हुए कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज अपनी जन्मभूमि सौर घाटी की धरती को नमन करने का अवसर मिला है। उन्होंने सैनिकों के हित में लिए जा रहे निर्णयों एवं उनका उत्साह बढ़ाने के लिए किये जा रहे सराहनीय प्रयासों के लिए केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिथौरागढ़ जनपद हमेशा से रणबांकुरों की भूमि रही है। उत्तराखण्ड सैनिक बहुल प्रदेश है। वीर भूमि पिथौरागढ़ में वीर सैनिकों के परिजनों एवं वीरांगनाओं का सम्मानित कर हम सब सम्मानित हो रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा जनहित एवं प्रदेशहित में अनेक निर्णय लिये गये हैं। सभी रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई गई है। हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। सभी की समस्याओं का समाधान करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए राज्य में हो रहे हैं कार्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वस्थ युवा स्वस्थ उत्तराखण्ड योजना उत्तराखण्ड में शुरू की जा रही है, जिसके तहत प्रत्येक ग्राम सभा में एक जिम खोला जायेगा। इसका शासनादेश हो चुका है। आपदा के समय केन्द्र सरकार का राज्य को पूरा सहयोग मिला। सेना के 3 सेना के हेलीकॉप्टर केन्द्र सरकार से उत्तराखण्ड भेजे गये, इससे हम 500 से भी अधिक लोगों की जान बचा पाये। इस वर्ष राज्य में बरसात ने कई रिकॉर्ड तोड़े, लेकिन सरकार, शासन एवं प्रसाशन के प्रयासों से जान मान का नुकसान नहीं हुआ। सभी को मौसम के पूर्वानुमान पर अलर्ट किया गया। आपदाग्रस्त क्षेत्रों का हमने लगातार दौरा किया एवं जन समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव प्रयास किये गये। कोविड के दौरान प्रभावितों के लिए राहत पैकेज देने का कार्य राज्य सरकार द्वारा किये गये।

2025 तक उत्तराखण्ड को हर क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाया जायेगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की अपेक्षानुसार हमारा लक्ष्य है कि 2025 में हम उत्तराखण्ड को देश का हर क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनायेंगे। उन्होंने इस अवसर पर केन्द्रीय रक्षा मंत्री से अनुरोध किया कि पिथौरागढ़ क्षेत्र में पहले बी.आर.ओ. काम करता था, जो यहां से शिफ्ट हो गया, इस बी.आर.ओ. केन्द्र की यहां पर पुनः स्थापना होनी चाहिए। यह सैनिक बहुल एवं सीमांत क्षेत्र है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीद सम्मान यात्रा का पहला शुभारम्भ सवाड़ मे किया गया। सवाड़ में केन्द्रीय विद्यालय की लंबे समय से मांग है, उसके लिए सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर केन्द्रीय विद्यालय खोलने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जायेगा। सवाड़ में स्मारक की देखरेख के लिए कर्मचारियों की व्यवस्था की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुराने सैनिक स्मारकों के जीर्णाेधार एवं जनपद पिथौरागढ़ में नये सैनिक विश्राम गृह के लिए धनराशि तत्काल जारी की जायेगी।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि जिस प्रकार सैनिक सीमाओं में रहकर देश की रक्षा करता है तथा देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर देता है, इससे बड़ा बलिदान और कुछ नहीं हो सकता है। यह भूमि वीरों की भूमि है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उत्तराखण्ड में 5वें धाम के रूप में सैन्यधाम होना चाहिए। देहरादून में भव्य सैन्यधाम बनाया जा रहा है।
केन्द्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि शहीद सम्मान यात्रा वीर सैनिकों के सम्मान को बढ़ाने का कार्य कर रही है। देश की रक्षा के लिए उत्तराखण्ड के जवानों ने हमेशा अपना सर्वस्व अर्पित किया है। यह देवभूमि के साथ ही वीर भूमि भी है।

11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है इंजीनियरिंग का नायाब नमूना गरतांग गली की सीढ़ियां

भारत-तिब्बत व्यापार की गवाह रही उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी में स्थित ऐतिहासिक गरतांग गली की सीढ़ियों का देश-विदेश के पर्यटक दीदार करने लगे हैं। गरतांग गली की सीढ़ियों का पुनर्निर्माण कार्य जुलाई माह में पूरा किया जा चुका है। इसके बाद से ही ऐसे में रोमांचकारी जगहों पर जाने के शौकीन पर्यटकों के लिए यह जगह एक शानदार विकल्प है।

गरतांग गली की करीब 150 मीटर लंबी सीढ़ियां अब नए रंग में नजर आने लगी हैं। करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी गरतांग गली की सीढ़ियां इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है। इंसान की ऐसी कारीगरी और हिम्मत की मिसाल देश के किसी भी अन्य हिस्से में देखने के लिए नहीं मिलेगी।

1962 भारत-चीन युद्ध के बाद इस लकड़ी की सीढ़ीनुमा पुल को बंद कर दिया गया था, अब करीब 59 सालों बाद वह दोबारा पर्यटकों के लिए खोला गया है। कोरोना गाइडलाइन और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बार में दस ही लोगों को पुल में भेजा जा रहा है। पेशावर से आए पठानों ने 150 साल पहले इस पुल का निर्माण किया था। आजादी से पहले तिब्बत के साथ व्यापार के लिए उत्तकाशी में नेलांग वैली होते हुए तिब्बत ट्रैक बनाया गया था। यह ट्रैक भैरोंघाटी के नजदीक खड़ी चट्टान वाले हिस्से में लोहे की रॉड गाड़कर और उसके ऊपर लकड़ी बिछाकर रास्ता तैयार किया था। इसके जरिए ऊन, चमड़े से बने कपड़े और नमक लेकर तिब्बत से उत्तरकाशी के बाड़ाहाट पहुंचाया जाता था। इस पुल से नेलांग घाटी का रोमांचक दृश्य दिखाई देता है। यह क्षेत्र वनस्पति और वन्यजीवों के लिहाज से काफी समृद्ध है और यहां दुर्लभ पशु जैसे हिम तेंदुआ और ब्लू शीप यानी भरल रहते हैं।

सामरिक दृष्टि से संवेदनशील है नेलांग घाटी
नेलांग घाटी सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है। गरतांग गली भैरव घाटी से नेलांग को जोड़ने वाले पैदल मार्ग पर जाड़ गंगा घाटी में मौजूद है। उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी चीन सीमा से लगी है। सीमा पर भारत की सुमला, मंडी, नीला पानी, त्रिपानी, पीडीए और जादूंग अंतिम चौकियां हैं।

वहीं, सतपाल महाराज पर्यटन मंत्री उत्तराखंड कहा ने भारत सरकार ने पर्यटकों की आवाजाही पर लगाई थी रोक। वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद बने हालात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उत्तरकाशी के इनर लाइन क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था। यहां के ग्रामीणों को एक निश्चित प्रक्रिया पूरी करने के बाद साल में एक ही बार पूजा अर्चना के लिए इजाजत दी जाती रही है। इसके बाद देश भर के पर्यटकों के लिए साल 2015 से नेलांग घाटी तक जाने के लिए गृह मंत्रालय भारत सरकार की ओर से इजाजत दी गई।

पर्यटन सचिव ने बताया कि दिलीप जावलकर उत्तराखंड धरोहर संरक्षण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसके तहत नेलांग घाटी में स्थित ऐतिहासिक गरतांग गली की सीढ़ियों का 64 लाख रुपये की लागत से पुनर्निर्माण कार्य पूरा करने के बाद पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। गरतांग गली के खुलने के बाद स्थानीय लोगों और साहसिक पर्यटन से जुड़े लोगों को फायदा मिल रहा है। ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए यह एक मुख्य केंद्र बन रहा है।

वहीं, मयूर दीक्षित, जिलाधिकारी, उत्तरकाशी ने कहा के पुनर्निर्माण कार्यों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पुरानी शैली में पुननिर्माण कार्यों को जुलाई माह में पूरा कर लिया गया था। कोरोना नियमों और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बार में दस पर्यटकों को ही प्रवेश दिया जा रहा है।

नेलांग घाटी के आसपास-हर्षिल
हर्षिल, हिमालय की तराई में बसा एक गांव, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां से गंगोत्री की दूरी मात्र 21 किलो मीटर ही बचती है, जो कि हिन्दुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। गंगोत्री तक रास्ता अपने आप में इतना मनमोहक है कि एक बार से आपका मन नहीं भरेगा।

केदारताल
केदारताल उत्तराखंड में सबसे खूबसूरत झीलों में से एक ताल है। यह गंगोत्री से 18 किमी की दूरी पर स्थित, गढ़वाल हिमालय में दूर केदार ताल निश्चित रूप से साहसिक और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान है। केदारताल से केदारगंगा निकलती है जो भागीरथी की एक सहायक नदी है।