सचिवालय में वन विभाग की समीक्षा बैठक लेते वक्त सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि जो वन पंचायतें अच्छा कार्य कर रही है। उन्हें जिला व प्रदेश स्तर पर सम्मानित किया जायेगा। साथ ही वन पंचायतों की क्षमता विकास पर विशेष बल दिया जाये।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड वन संसाधन प्रबन्धन परियोजना के तहत जिन 750 वन पंचायतों का चयन किया गया है, इनमें जल संरक्षण, उन्नत किस्म के पौध रोपण एवं आर्गनिक उत्पादों को अधिक बढ़ावा दिया जाए। वन पंचायतों के लिए जो पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं, उनमें फलदार वृक्ष, चारा प्रजाति, औषधीय वृक्ष उपलब्ध कराये जाएं। वृक्षों को पानी की उपलब्धता के लिए वर्षा जल संचय की व्यवस्था भी की जाए। परम्परागत तरीको से जल संरक्षण के लिए चाल-खाल, तालाब एवं चैक डेम बनाये जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में वहां की पारिस्थितिकी के अनुसार वृक्षारोपण, मसालों की खेती, एरोमैटिक खेती आदि पर कार्य किया जाए। जिससे वन पंचायतों को आर्थिक लाभ हो सके एवं लोगों की आजीविका में वृद्धि हो सके। वन पंचायतों के अन्तर्गत पेयजल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण का कार्य भी किया जाए। उन्होंने कहा कि जितने भी कार्य किये जा रहे हैं, उनकी जियो टैगिंग की जाए। इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए सभी सम्बन्धित विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण (उत्तराखण्ड कैम्पा) के तहत वनों के संरक्षण, संवर्द्धन, मृदा एवं जल के संग्रहण तथा सूख रहे जल स्रोतों के पुनरोद्धार के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई जाये। उन्होंने कहा कि कैम्पा के अन्तर्गत स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए वृक्षारोपण एवं उनका अनुरक्षण, जल संरक्षण से सम्बन्धित कार्यों पर अधिक बल दिया जाए।