शुक्रवार (28 जुलाई) को जब देश-दुनिया की निगाहें बिहार में नीतीश कुमार के शक्ति परीक्षण और पाकिस्तान में नवाज शरीफ को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पद से हटाए जाने पर टिकी थीं तो भारतीय जनता पार्टी (बीेजपी) के अध्यक्ष अमित शाह गुजरात से राज्य सभा की उम्मीदवारी पर मीडिया ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी। बीजेपी ने अमित शाह और स्मृति ईरानी को गुजरात से राज्य सभा चुनाव में उतारा है। गुजरात में बीजेपी की जो स्थिति है उसे देखते हुए दोनों का राज्य सभा पहुँचना तय माना जा रहा है। अभी अमित शाह गुजरात के सरखेज विधान सभा से विधायक हैं। शाह को अचानक राज्य सभा भेजने की कवायद से राजनीतिक गलियारे में ये कानाफूसी होने लगी है कि उन्हें नरेंद्र मोदी कैबिनेट में जगह दी जाने वाली है। केंद्र में मंत्री बनने के लिए सांसद होना जरूरी है इसलिए अमित शाह को ऊपरी सदन में लाया जा रहा है।
मीडिया में यहाँ तक खबर चल रही है कि अमित शाह को रक्षा मंत्री बनाया जा सकता है। मार्च 2017 में मनोहर पर्रीकर के रक्षा मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से ही यह महत्वपूर्ण पद खाली पड़ा है। पर्रिकर केंद्रीय कैबिनेट छोड़कर गोवा के मुख्यमंत्री बन गए थे। पर्रिकर के इस्तीफे के बाद रक्षा मंत्रालय का दायित्व वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंप दिया गया। हालांकि जेटली के स्वास्थ्य और वित्त मंत्रालय के भार को देखते हुए उम्मीद की जा रही थी कि जल्द ही किसी बड़े नेता को रक्षा मंत्रालय का जिम्मा सौंपा जाएगा। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। भारत और चीन के बीच जारी सिक्किम में सीमा विवाद के बीच नरेंद्र मोदी सरकार की इस बात के लिए आलोचना हो रही है कि देश के पास एक पूर्णकालिक रक्षा मंत्री नहीं है। रक्षा मंत्रालय देश के प्रमुख मंत्रालयों में शुमार होता है इसलिए इस पर किसी बड़े नेता की तैनाती होनी है। माना जा रहा है कि अमित शाह को रक्षा मंत्री बनाकर बीजेपी ये संदेश देना चाहेगी कि वो देश की सुरक्षा को बहुत ज्यादा गंभीरता से लेती है।