उत्तराखंड में कोरोना वायरस फस्र्ट स्टेज में है। सरकार कोशिश कर रही है कि वायरस को तीसरे व चैथे स्टेज तक पहुंचने से रोका जाए। इसके लिए सरकार हरसंभव कदम उठा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने वायरस से बचने के लिए लोगों को सामाजिक दूरी बनाने की सलाह दी है। चीन सहित अन्य प्रभावित देशों से आए 712 लोगों को निगरानी में रखा गया है।
स्वास्थ्य निदेशालय में अपर सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के मिशन निदेशक और स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने प्रेसवार्ता कर कोरोना वायरस को रोकने के लिए की गई व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वायरस फैलने के चार स्टेज है। इसमें पहला प्रभावित देशों की यात्रा कर लौटे व्यक्ति में संक्रमण, दूसरा संक्रमित व्यक्ति से स्थानीय स्तर पर एक से दूसरे में फैलना, तीसरा कम्युनिटी में फैलना और चैथा एपिडेमिक (महामारी) की स्थिति है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि उत्तराखंड में अभी वायरस का संक्रमण फर्स्ट स्टेज में है।
प्रदेश में अब तक वायरस की जांच के लिए 78 सैंपल लिए भेजे गए। जिसमें 28 सैंपल निगेटिव और एक मामला पॉजिटिव पाया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने सतर्क किया कि कोई भी व्यक्ति आईसोलेशन वार्ड में न जाएं। इससे वायरस फैलने का खतरा हो सकता है। इस मौके पर नोडल अधिकारी डॉ. पंकज सिंह, जनसंपर्क अधिकारी जेसी पांडेय भी मौजूद रहे।
वायरस को रोकने के लिए सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को 60 करोड़ की राशि जारी कर दी है। इस धनराशि से दवाइयां, उपकरण के साथ ही प्रदेश भर में आईसोलेशन वार्डों की व्यवस्था की जाएगी। वहीं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने भी मास्क, दवाइयों व अन्य चिकित्सा सुविधा के लिए बजट खुला रखा है।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. उप्रेती ने कहा कि वायरस को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रांति न फैलाएं। प्रदेश में एक पॉजिटिव केस के अलावा कोई भी दूसरा मामला सामने नहीं आया है। विभाग की ओर से पूरी सतर्कता बरती जा रही है।
कोरोना वायरस से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में 337 आईसोलेशन बेड की व्यवस्था की है। दून और गांधी अस्पताल में आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है। प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी वेंटीलेटर और आईसीयू बेड बढ़ाए जाएंगे।