पनियाली नाले में आए उफान से कौडिया के एक घर में मलबा घुसने के बाद करंट फैल गया। इसकी चपेट में आने से तीन लोगों की मौत हो गई। यह तीनों उस वक्त कमरों से सामान बाहर निकाल रहे थे। बरसाती नाले का पानी और इसके साथ आया मलबा आमपड़ाव और कौडिया के आधा दर्जन से ज्यादा घरों में घुसा। गुजरे तीन सालों से पनियाली नाला आसपास के इलाकों में कहर बरपा रहा है, लेकिन सिंचाई विभाग यहां बाढ़ सुरक्षा प्रबंध नहीं कर पाया। इससे नाराज क्षेत्रवासियों ने मंगलवार को सिंचाई विभाग के कार्यालय में तालाबंदी की।
कोटद्वार में सुबह सात बजे से शुरू हुई मूसलाधार बारिश करीब डेढ़ घंटे चली। इससे आसपास के इलाकों के नदी-नाले उफान पर आ गए। पनियाली नाले के पानी के साथ काफी मात्रा में मलबा आम पड़ाव और कौडिया स्थित कुछ घरों में घुस गया। इस नाले में सुरक्षा दीवार बनाने के लिए यहां से निकाला गया मलबा वहीं नाले के दोनों किनारों पर एकत्र किया गया था, यही मलबा पानी के बहाव के साथ लोगों के घरों तक पहुंचा। तेज हवाएं चलने और बारिश होने के चलते उस वक्त पूरे इलाके में बिजली भी गुल हो गई।
अफरा-तफरी में लोग घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए। इसी दरम्यान कौडिया निवासी रणजीत सिंह (30) पुत्र बलवीर अपने घर से सामान बाहर निकाल रहा था। उसकी मदद के लिए पड़ोस में रहने वाले अरुण (28) पुत्र कमल और शाकुन (23) पुत्र गुलशन भी वहां पहुंचे थे। तीनों कमरों से सामान निकाल ही रहे थे, तभी इलाके में बिजली की आपूर्ति बहाल हो गई। घर में मलबा भर जाने की वजह से रणजीत के घर में करंट फैल गया। तीनों लोग इसकी चपेट में आ गए। उन्हें तत्काल बेस चिकित्सालय कोटद्वार ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
रणजीत बैंक में कार्यरत था। हादसे में मारे जाने वाले अन्य दोनों युवकों में अरुण मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के ढाकी (नजीबाबाद) और शाकुन इसी जिले सिकरौड़ा नवादा का रहने वाला था। अरुण भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड की कोटद्वार इकाई में कार्यरत था, जबकि शाकुन कोटद्वार में नगर निगम के ट्रेचिग ग्राउंड में कूड़ा निस्तारण के कार्य करता था।