उत्तराखंड आंदोलन में भले ही पत्रकारों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया हो और इस आंदोलन को जन आंदोलन में बदला हो लेकिन राज्य बने 20 साल हो गए पत्रकारों के हितों के लिए सरकारें बहुत ज्यादा काम करती दिखाई नहीं दी है। कोई भी राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों में भी आज तक पत्रकारों को शायद ही जगह मिली हो।
लेकिन इस बार कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पत्रकारों के लिए अलग से कई घोषणाएं की हैं जिन्हें सरकार में आने के बाद पूरा करने का वादा करने की बात कही गई है। कांग्रेस के घोषणा पत्र के अनुसार कांग्रेस सत्ता में आई तो कांग्रेस पार्टी वायदा करती है. भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम, 1996 की तर्ज पर पत्रकार कल्याण बोर्ड का गठन करेगी। इस बोर्ड का पैसा पत्रकारों के कल्याण और सामाजिक सुरक्षा के लिए किया जायेगा।
न्यूज पोर्टलों को समाचार पत्रों एवं टीवी चैनलों के समकक्ष मान्यता प्रदान करने हेतु आवश्यक कदम उठाए जांएगे। पत्रकारों के स्वास्थ्य एवं दुर्घटना बीमा के लिए 50 प्रतिशत अंशदान राज्य सरकार देगी। छोटी पत्रिकाओं, छोटे मझोले अखबारों तथा ग्रामीण पत्रकारों के हितार्थ नयी नीति बनाई जायेगी। जिला स्तर पर पत्रकार ग्रुप हाउसिंग सोसाईटीज का गठन करने की प्रक्रिया में पत्रकार कल्याण बोर्ड के साथ मिलकर आवश्यक कदम उठाये जायेंगे। एक्रीडेशन की नीति को और उदार बनाया जायेगा तथा छोटे मझाले अखबार और पत्र पत्रिकाओं से जुड़े पत्रकारों को भी इसमें शामिल किया जायेगा।
साफ है कांग्रेस ने छोटे पत्र-पत्रिकाओं और पोर्टल से जुड़े पत्रकारों को भी अपने घोषणापत्र के केंद्र में रखा है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बताया कि इस बार कांग्रेस ने तमाम पत्रकारों की जरूरतों को देखते हुए घोषणापत्र में उन्हें समुचित जगह दी है। उनके अनुसार हमारी कोशिश रहेगी सरकार बनने के बाद अपनी इन तमाम घोषणाओं को जल्द से जल्द पूरा किया जाये।