मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को रिस्पना के उद्गम क्षेत्र कैरवान गांव का भ्रमण किया। उन्होंने गत वर्ष इस क्षेत्र में किये गये बृहद पौधरोपण के तहत लगाये गये पौधों की स्थलीय जानकारी प्राप्त की। उन्होंने रिस्पना को ऋषिपर्णा नदी के स्वरूप में लाने के लिये कैरवान गांव व इसके आस-पास के क्षेत्र को ऐतिहासिक स्थल बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में रोपे गये अधिकांश पौधे सही सलामत होने की उन्हें हार्दिक खुशी है। उन्होंने कहा कि 2018 में इस क्षेत्र में सघन पौधरोपण कर 75 हजार से अधिक विभिन्न प्रजाति के पौधों का रोपण किया गया था। उनमें से 90 प्रतिशत पौधों का जीवित होना सुखद अहसास दिलाता है। इन पौधों से उनका लगाव है, इसीलिये इस साल के अंतिम दिन आज उन्हें देखने इस क्षेत्र में आये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रयास वन से जुड़े लोगों को सीखने का भी अवसर है। यह क्षेत्र एक बेहतर डेस्टिनेशन बनने के साथ ही पानी के स्त्रोत को विकसित करने में मददगार होगा। उन्होंने इन पौधों की देखभाल में लगे लोगों व स्वयंसेवी संस्थाओं की भी सराहना की। मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को इस क्षेत्र में एक पट्टी में खस की रोपाई करने को कहा, उन्होंने कहा कि खस की जड़ें गहराई तक जमीन के अन्दर रहती हैं जिससे जल संचय में भी मदद मिलती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारंभिक चरण में रिस्पना एवं कोसी नदी को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद अन्य नदियों को भी पुनर्जीवित किया जायेगा। आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए जल संरक्षण की दिशा में विशेष प्रयासों की उन्होंने जरूरत बतायी। मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की कि ‘‘मेरा वृक्ष मेरी याद’’ के भाव से अपने घरों या उसके आसपास एक वृक्ष अवश्य लगाएं। जल संरक्षण के लिए पौधरोपण करना जरूरी है। सूखे जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना हम सबका दायित्व है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर क्षेत्र के बच्चों से भी मुलाकात की तथा उन्हें पौधरोपण के महत्व के बारे में बताया।