शिक्षा का अधिकार अधिनियम का दुरुपयोग कर तीर्थनगरी के स्कूलों में दाखिले लेने वालों को अब स्कूूल की पूरी फीस वापस करनी होगी। यह आदेश उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बुधवार को आयोग में हुई सुनवाई के बाद जारी किया है।
बता दें, ऋषिकेश में आईटीई के तहत कुल 45 बच्चे विभिन्न स्कूलों में शिक्षा ले रहे हैं। तीर्थनगरी की एक युवती ने तहसील प्रशासन पर आईटीई के तहत गलत आय प्रमाणपत्र बनाने का आरोप लगाया था तथा इसकी शिकायत बाल आयोग से की थी। बाल आयोग ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए उप जिलाधिकारी, तहसीलदार और पटवारी की फटकार लगाई थी। साथ ही इस पर सभी विद्यालयों में आरटीई के तहत शिक्षा लेने वालों की सूची तैयार कर उनके भौतिक निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे। आयोग में बुधवार को इस मामले में सुनवाई हुई। इसमें तहसीलदार रेखा आर्य ने जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, लेकिन रिपोर्ट पर शिकायतकर्ता युवती ने आपत्ति जाहिर की। इसके बाद आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम का गलत तरीके से उपयोग कर शिक्षा लेने वाले बच्चों को स्कूलों की पूरी फीस वापस करनी होगी। इसके अलावा जो निर्धन वर्ग के बच्चे हैं, उन्हें नए सत्र से आवेदन कराने तथा ऐसे बच्चे जो इस अधिनियम का लाभ नहीं उठा सके हैं, उन्हें स्पांसरशिप योजना के तहत दो हजार रुपये मासिक दिए जाने के लिए आवेदन करना होगा।