मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने गर्भवती महिलाओं तथा नवजात बच्चों के लिए आंगनबाड़ियों में वेक्सीनेशन की अनिवार्यतः व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। राज्य के पर्वतीय जिलों में दूरस्थ व दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव की सुविधा आसानी से मिले इसके लिए मुख्य सचिव ने पर्वतीय जनपदों में वन स्टॉप सेन्टर को गर्भवती महिलाओं हेतु प्रतीक्षालय के रूप में उपयोग करने की व्यवस्था को पूरी तरह लागू करने के निर्देश दिए हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए एएनसी (प्रसव पूर्व जांच) की जांच की अनिवार्य व्यवस्था के निर्देश देते हुए मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने हरिद्वार जैसे उच्च मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर वाले जिलों में ग्राम एवं ब्लॉक स्तर पर कैम्प लगा कर गर्भवती महिलाओं को एएनसी जांच की सुविधा पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने सरकारी अस्पतालों में अधिक से अधिक प्रसव करवाने हेतु एएनसी जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं की काउन्सिलिंग करवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस सम्बन्ध में गैर सरकारी संस्थाओं एवं सामाजिक संस्थाओं की मदद लेने के निर्देश भी दिए। हरिद्वार जैसे जिलों में संस्थागत प्रसव में कमी के कारणों की जांच के लिए उन्होंने टास्क फोर्स बनाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव रतूड़ी ने स्वास्थ्य विभाग को सरकारी प्रयासों के साथ ही सीएसआर एवं एनजीओं के सहयोग से राज्य में मातृत्व स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक प्रभावी एवं ठोस प्रोजेक्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने एनिमिया के मामलों को नियंत्रित करने, नवजात एवं गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य एवं एएनसी जांच हेतु आंगनबाड़ियों को सुदृढ़ करने तथा उनसे प्रभावी समन्वय के निर्देश दिए हैं। उन्होंने विद्यालयों में बच्चों को दिए जा रहे भोजन में माइक्रोंन्यूट्रेन्ट की मात्रा भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
सचिवालय में सत्त विकास लक्ष्यों (एसडीजी) उत्तराखण्ड की स्थिति के सन्दर्भ में लैगिंक समानता, पोषण, जीरो हंगर, स्वास्थ्य जैसे इंडीकेटर की समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने स्वास्थ्य विभाग, एनएचएम तथा सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों के साथ जल्द ही हेल्थ डाटा के सम्बन्ध में एक बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए हैं।
बैठक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जानकारी दी गई कि जीरो हंगर के तहत उत्तराखण्ड के सभी जिलों में गर्भवती महिलाओं द्वारा टेक होम राशन स्कीम का लाभ उठाने का सौ प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है। वर्ष 2019-21 में राज्य का मातृ मृत्यु दर 103, शिशु मृत्यु दर 39.1 रहा है।
बैठक में सचिव स्वास्थ्य, अपर सचिव स्वास्थ्य, नियोजन, महानिदेशक स्वास्थ्य तथा सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
Category: स्वास्थ्य
मां से मिले योगी, रुद्रप्रयाग हादसे के घायलों का हाल भी जाना
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एम्स में भर्ती अपनी मां सावित्री देवी से मिलने पहुंचे और उन्होंने मां के स्वास्थ्य का हाल जाना। इस दौरान सीएम योगी ने एम्स में भर्ती हुए रुद्रप्रयाग सड़क दुर्घटना के घायलों की स्थिति की जानकारी भी ली।
रविवार दोपहर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हेलीकॉप्टर से एम्स ऋषिकेश के हैलीपैड पर उतरे। यहां सीएम योगी आदित्यनाथ का हरिद्वार लोकसभा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत व एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. नीतू सिंह ने पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया।
इसके बाद सीएम योगी सबसे पहले एम्स में छठवीं मंजिल पर वृद्धावस्था विभाग (जिरियाट्रिक वार्ड) में भर्ती हुई अपनी मां सावित्री देवी से मिलने पहुंचे। यहां सीएम योगी ने चिकित्सकों से मां की नेत्र संबंधी समस्या एवं स्वास्थ्य और उपचार से जुड़ी आवश्यक जानकारी ली।
सीएम योगी मां के वार्ड में काफी समय बिताया। वह करीब 30 मिनट तक वार्ड में भीतर रहे। इसके बाद सीएम योगी ट्रामा सेंटर में भर्ती रुद्रप्रयाग हादसे के घायलों का हाल जानने पहुंचे। उन्होंने कई उपचाराधीन घायलों के पास पहुंचकर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।
इस दौरान सीएम योगी ने एम्स कार्यकारी निदेशक प्रो. नीतू सिंह से सभी घायलों को बेहतर उपचार देने को कहा। इस अवसर पर राज्य महिला आयोग अध्यक्ष कुसुम कंडवाल, यमकेश्वर विधायक रेनू बिष्ट, जिलाधिकारी देहरादून सोनिका, एसएसपी देहरादून अजय सिंह, एसडीएम ऋषिकेश कुमकुम जोशी व कई अन्य उपस्थित रहे।
एम्स पहुंचे सीएम धामी, घायलों को बेहतर उपचार के दिये निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को एम्स, ऋषिकेश में उपचार हेतु भर्ती रुद्रप्रयाग में हुई वाहन दुर्घटना के घायलों का हालचाल जाना।
मुख्यमंत्री ने घायलों के उपचार के संबंध में एम्स के चिकित्सकों से भी जानकारी प्राप्त की तथा घायलों के बेहतर इलाज के निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि रुद्रप्रयाग में हुई वाहन दुर्घटना के जांच के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वाहन दुर्घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिए भी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
घायल वनकर्मी को एयर एम्बुलेंस से एम्स दिल्ली में कराया भर्ती
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर बिनसर वन्यजीव विहार में वनाग्नि की चपेट में आकर झुलसे चार वन कर्मियों को हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी बेस अस्पताल से दिल्ली एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती किया जा रहा है। अब तक तीन घायलों को भर्ती किया जा चुका है, जबकि चौथे घायल की भर्ती प्रक्रिया गतिमान है।
मुख्यमंत्री ने एम्स में भर्ती किये गये घायलों के परिजनों के दिल्ली में ठहरने आदि की व्यवस्था के भी निर्देश स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा को दिये हैं।
केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा तथा एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने भी भर्ती घायलों का हाल-चाल जाना तथा उनके उपचार की जानकारी भी प्राप्त की।
जनपदों से लिया फीडबैक, पुख्ता तैयारियों के दिये निर्देश
प्रदेश में वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिये स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड़ पर रहने तथा किसी भी स्थिति से निपटने के लिये सभी तैयारियां पूरी रखने के निर्देश दिये गये हैं। विशेषकर देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, चम्पावत, नैनीताल, पौड़ी व टिहरी जनपदों के विभागीय अधिकारियों को डेंगू व अन्य वेक्टर जनित रोगों से निपटने के लिये जागरूकता अभियान चलाने के साथ ही माइक्रो प्लान तैयार कार्य करने को कहा गया है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आज स्वास्थ्य महानिदेशायल में वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम को लेकर विभागीय समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने कहा कि आने वाले चार माह डेंगू व चिकनगुनिया सहित अन्य वेक्टर जनित रोगों की दृष्टि से काफी संवदेनशील हैं। जिनसे निपटने के लिये आम लोगों में जनजागरूकता फैलाने के साथ ही विभागीय तैयारियों को पुख्ता किया जाना जरूरी है। उन्होंने सभी जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को अपने-अपने जनपदों का माइक्रो प्लान तैयार कर अन्य रेखीय विभागों के साथ बैठक करने व कार्ययोजना को धरातल पर क्रियान्वित करने के निर्देश दिये।
डा. रावत ने कहा कि पिछले वर्षों के आंकड़ों को देखते हुये विशेषकर मैदानी जनपदों के विभागीय अधिकारी अपनी टीम को अलर्ट मोड़ पर रखें, ताकि किसी भी स्थिति से आसानी से निपटा जा सके। उन्होंने कहा कि जनपदों में संभावित डेंगू मरीजों को बेहतर चिकित्सा दिये जाने के मध्यनज़र आइसोलेटेड बेड आरक्षित रखने, पर्याप्त मात्रा में दवाईयां की उपलब्धता के साथ ही ब्ल्ड बैंकों में पर्याप्त मात्रा में ब्ल्ड की व्यवस्था भी बनाई जाय। विभागीय मंत्री ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिये कि डेंगू की रोकथाम में आशा कार्यकत्रियों के माध्यम से संभावित क्षेत्रों का सर्वे कराने के साथ ही जोरों पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाय। उन्होंने सभी सीएमओ को निर्देश दिये कि संबंधित जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सभी रेखीय विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित कर अपने जनपदों में वेक्टर जनित रोगों के नियंत्रण एवं रोकथाम के लिये प्रभावी कदम उठायें।
बैठक में स्वास्थ्य सचिव डा. आर. राजेश कुमार, अपर सचिव अमनदीप कौर, स्वास्थ्य महानिदेशक डा. विनीता शाह, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डा. आशुतोष सयाना, निदेशक स्वास्थ्य डा. तारा आर्य, डा. सुनीता टम्टा, डा. भागीरथी जंगपांगी, डा. मीतू शाह, डा. जौहरी, डा. चुफाल, डा. कुलदीप मार्ताेलिया सहित तमाम विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे। जबकि सभी जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों ने वर्चुअल माध्यम से बैठक में प्रतिभाग किया।
’जनपदों में होगी स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक’
बैठक में विभागीय मंत्री डा. रावत ने बताया कि आगामी 17 जून के बाद वह प्रत्येक जनपद में जाकर स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक लेंगे। जिसमें संबंधित सांसद, क्षेत्रीय विधायक व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ ही स्वास्थ्य सचिव, महानिदेशक स्वास्थ्य, जिलाधिकारी व विभागीय अधिकारी प्रतिभाग करेंगे। इसके लिये उन्होंने विभागीय अधिकारियों को अपने-अपने जनपदों की सभी जानकारियां उपलब्ध रखने के निर्देश दिये।
’चार धाम यात्रा में बनाये रखें मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था’
स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने समीक्षा बैठक में चार धाम सहित यात्रा मार्गों पर स्वास्थ्य व्यवस्था की जानकारी विभागीय अधिकारियों से ली। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को यात्रा मार्गों पर तीर्थ यात्रियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। साथ ही उन्होंने एम्बुलेंस के रिस्पॉस टाइम को भी कम करने, दवाईयों एवं जीवन रक्षक उपकरणों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने को कहा। डा. रावत ने उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, रूद्रप्रयाग और चमोली जनपद के सीएमओ को अलर्ट मोड़ पर रहने के भी निर्देश दिये।
’विभाग में भरे जायेंगे सभी संवर्गों के रिक्त पद’
बैठक में विभागीय मंत्री ने अधिकारियों को विभाग के अंतर्गत सभी संवर्गों के रिक्त पदों का विवरण तैयार कर उनको भरने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की सबसे निचली इकाई आशा कार्यकत्री, एएनएम, वार्ड ब्वाय, सीएचओ, टेक्नीशियन, नर्सिंग अधिकारी, एमओआईसी सहित चिकित्सकों एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों के रिक्त पदों को भरा जाना अति आवश्यक है। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को संवर्गवार भर्ती प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया है।
सीएम धामी की पहल पर देहरादून में संचालित की जा रही है हाईटेक ड्रग्स, मेडिकल डिवाइस एंड कास्मेटिक लैब
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा निर्देशों पर प्रदेश खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने औषधि, मेडिकल उपकरण और कास्मेटिक सैंपलों की जांच के लिए देहरादून में एक हाईटेक लैब संचालित की जा रही है। इस लैब में औषधि, मेडिकल उपकरण और कास्मेटिक सैंपलों की जांच अत्याधुनिक मशीनों हो रही है। लैब में आनलाइन सर्टिफिकेशन की सुविधा है। आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग डॉ. आर राजेश कुमार का कहना है कि लैब को जल्द ही राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) से भी मान्यता मिलने की संभावना है। इसके बाद लैब टेस्टिंग की रिपोर्ट पूरे विश्व में मान्य हो जाएगी। आयुक्त डा. आर राजेश कुमार ने कहा कि लैब खुलने से औषधि, मेडिकल उपकरण और कास्मेटिक सैंपलों की जांचों में तेजी आएगी तथा नकली और मिलावटी उत्पाद निर्मित करने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
’केन्द्र के सहयोग से 7 करोड़ की लागत से बनी लैब’
देहरादून के सहस्रधारा रोड डांडा लखौण्ड में खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन परिसर में हाईटैक लैब तैयार की गयी है। इस लैब का निर्माण मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा निर्देशन में किया गया । ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि भारत सरकार के सहयोग से लगभग सात करोड़ की लागत से निर्मित इस लैब में फार्मा और इंजेक्टेबल मेडिकल डिवाइस की टेस्टिंग की जाती है। इसके अलावा सौंदर्य प्रसाधनों की जांच भी की जाती है। लैब में एचपीएलसी, यूवी/विजुअल फोटो, एफटीआईआर, जीसीएचएस जैसी अत्याधुनिक मशीनों से जांच होती है जिनकी एक्यूरेसी अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होती है।
’जांच रिपोर्ट पूरे देश में मान्य’
ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी का कहना है कि लैब में भारत में निर्मित होने वाले सभी संबंधित उत्पादों की जांच की जाती है। अत्याधुनिक मशीनों की जांच सटीक रही हैं और पूरे देश में मान्य हैं। उनके अनुसार रुद्रपुर लैब में अब तक जांच का बोझ रहता था लेकिन अब इस लैब के खुलने से यहां जांचों में तेजी आएगी। गौरतलब है कि खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन लगातार प्रदेश में मिलावट खोरों और नकली उत्पाद बेचने वालों के खिलाफ अभियान चला रहा है। प्रदेश में खाद्य लाइसेंस की आड़ में किये जा रहे नकली दवाओं के उत्पादन और विपणन को रोकने के लिए विभाग हरसंभव कोशिश कर रहा है।
’लैब में अब तक हुई 2 हजार जांच’
खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन की हाईटैक लैब में अब तक 2000 से अधिक जांच हो गयी हैं। यहां पांच प्रयोगशालाएं बनाई गयी हैं। इनमें रसायन परीक्षण लैब, मानइर, मेजर, कास्मेटिक और माइक्रो बायोलॉजी लैब हैं। इस लैब में ड्रग्स, टेबलेट, कप सिरप मसलन ओरल लिक्विड, मेडिकल डिवाइस और कास्मेटिक उत्पादों के सैपंलिंग की जांच की जाती है। लैब की क्षमता 3000 सैंपलिंग की है।
’सौंदर्य प्रसाधनों की जांच पर विशेष फोकस’
ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि यह लैब रुद्रपुर के बाद दूसरी लैब है। रुद्रपुर लैब में ड्रग्स सैंपलिंग की महज एक हजार टेस्टिंग की क्षमता है। उल्लेखनीय है कि सौंदर्य प्रसाधनों को लेकर महिलाओं में विशेष आर्कषण होता है। बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुए कुछ असामाजिक तत्व नकली या मिलावटी सौंदर्य उत्पाद निर्मित कर बेचने का प्रयास करते हैं। विभाग ऐसे नकली उत्पाद निर्माण में जुटी कंपनियों के खिलाफ अंकुश लगाने में जुटा हुआ है।
बढ़ते तापमान पर सीएम हुए चिंतित, अस्पतालों में दवाओं के स्टाक को रखने के निर्देश दिए
हमेशा ठंडा रहने वाला उत्तराखंड भी अब गर्मी की चपेट में है। राज्य के मैदानी जिलों में तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्य के मैदानी जिलों से लेकर पर्वतीय जिलों में तापमान सामान्य से ऊपर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार को स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों को लेकर जरूरी निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकारी अस्पतालों में समुचित व्यवस्थायें बनाने और जरूरी दवाओं का स्टाक रखने के निर्दश दिये हैं।
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा गर्मी के बढ़ने से सेहत पर भी इसका असर पड़ता है। मौसम विभाग का कहना है कि राज्य में सीवियर हीट वेव कंडीशन देखने को मिली है। जिसके चलते मैदान से लेकर पहाड़ तक गर्म हवाएं चल सकती हैं। इसलिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से नई हैल्थ एडवाइजरी जारी की गई है। जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी अस्पतालों में अर्लट जारी कर दिया है। एडवाइजरी में दोपहर 12 से सायं 4 के मध्य धूप में बिना जरूरी काम के न निकलने की सलाह दी गई है। स्वास्थ्य सचिव ने कहा गर्मी के कारण बीमारियां की चपेट में आने की ज्यादा संभावनाएं रहती हैं। इसको देखते हुए प्रदेश के सारे सरकारी अस्पततालों में पूर्व में ही अर्लट जारी कर व्यवस्थायें बनाने के निर्देश जारी कर दिये गये थे।
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने तापमान बढ़ने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। जिससे शरीर डिहाइड्रेटेड हो जाता है। उन्होंने कहा गर्मी के मौसम में बच्चों और बुर्जगों को कम से कम घर से निकलने दें, ताकि बच्चें हीट वेव से बच सकें और वो कम बीमार पड़े। उन्होंने कहा कि गर्मी से बचने के लिए अधिक से अधिक तरल पदार्थ का सेवन करें, ताकि शरीर में पानी की कमी ना हो पानी की कमी नहीं होने से भी गर्मी के प्रकोप से बच्चों को बचाया जा सकता है।
हीटवेव (गर्मी/लू) से बचाव के लिए क्या करे
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा घर बाहर निकलने से पहले एक बार तापमान जरूर देख लें और अगर ज्यादा ही जरूरी है, तो अपने साथ धूप से बचाने वाली चीजें लेकर चलें, जैसे चश्मा, छाता, सनस्क्रीन, मुंह पर बांधने वाला कपड़ा, पानी की बोतल और खाने के लिए छोटी-मोटी चीजें। थोड़े-थोड़े समयान्तराल पर तरल पदार्थ (शीतल जल, नीबू पानी, शिकंजी, नारियल पानी आदि) पीते रहें। घर, कार्यस्थल आदि स्थानों पर सूर्य की सीधी रोशनी को रोकने के लिए पर्दा आदि का प्रबन्ध करें। जानवरों को छायादार स्थानों पर रखें। बच्चे, बीमार व बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें। हीट स्ट्रोक/लू के लक्षण दिखने पर नजदीकी राजकीय चिकित्सा इकाई पर सम्पर्क करें।
हीटवेव (गर्मी/लू) में क्या न करें
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से बिना काम के घर से बाहर न निकलने की अपील की है। अत्यधिक गर्मी (दोपहर 12 से सायं 4) के मध्य बाहर धूप में बिना जरूरी काम के बिल्ुकल न जायें। नंगे पैर/बदन धूप में जाने परहेज करें। अत्यधिक प्रोटीन युक्त भोजन व बासी भोजन का सेवन करने से बचें। धूप में खड़ी गाड़ियों में बच्चों और पालतू जानवरों को अकेला बिल्कुल न छोडें। गहरे व चटक रंग के कपड़ों को गर्मियों में पहनने से परहेज करें। इसके साथ ही तंग एवं छोटे कपड़ों का प्रयोग विशेषकर जब बाहर धूप में जाना हो बिल्कुल न करें। बंद एवं अत्यधिक गर्मी वाले स्थान पर भोजन न पकायें। गर्मियों में शराब, चाय, कॉफ़ी, कार्बाेहाइड्रेट, साफ्ट ड्रिंक आदि का अधिक सेवन न करें। अधिक गर्मी/धूप में श्रम कार्य करने से बचना चाहिए।
राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में अर्लट जारी
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा गर्मी के मौसम व हीट वेव के खतरे को दृष्टिगत रखते हुए सभी जनपदों को सतर्क रहने के निर्देश पहले ही दे दिए गए थे। सभी चिकित्सालयों को पर्याप्त मात्रा में ओआरएस, आई फलूडस आदि की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के लिए कहा गया। सभी स्वास्थ्य कर्मी चिकित्सा एवं पैरामेडिकल स्टाफ का प्रशिक्षण किया गया है। सभी चिकित्सालयों में पीने के पानी की दुरुस्त व्यवस्था रखने के निर्देश दिए गए थे तथा चिकित्सालय में बिजली की निरंतर आपूर्ति रखने के लिए कहा गया है। हीट स्ट्रोक से कोई मृत्यु दर्ज होती है तो उसकी डेथ ऑडिट किया जायेगा, ताकि मृत्यु के सही कारण का पता लगाया जा सके लोगों को हीट स्ट्रोक से बचाव हेतु जागरूकता के लिए सोशल मीडिया प्रिंट मीडिया होर्डिंग बैनर के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
चारधाम यात्रा में 18989 से अधिक की गई ओपीडी, श्रद्धालुओं को मिल रहा स्वास्थ्य लाभ
उत्तराखंड सरकार द्वारा आयोजित चारधाम यात्रा का शुभारंभ किया जा चुका है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी यात्रा में श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं हेतु स्वास्थ्य विभाग पूर्ण रुप से मुस्तैद है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ विनीता शाह ने अवगत कराया कि चारधाम यात्रा में अब तक 94,218 से अधिक श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग की जा चुकी है साथ ही 18,989 से अधिक ओपीडी की गयी है।
डॉ विनीता शाह द्वारा बताया गया कि हर धाम पर विशेष स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए हैं जहाँ 24 घंटे मेडिकल सुविधाएँ उपलब्ध हैं। प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर, नर्स व प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की टीम तैनात है। यात्रा मार्ग पर विभिन्न स्थलों पर मोबाइल मेडिकल यूनिट स्थापित की गई हैं जो आवश्यकता पड़ने पर तीर्थयात्रियों को चिकित्सा सहायता प्रदान करती हैं। यात्रा के मुख्य मार्गों और बेस कैंपों पर स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किए गए हैं जहाँ रक्तचाप, शुगर लेवल, और अन्य सामान्य स्वास्थ्य जांच की जा रही है।
श्रद्धालुओं से अपील करते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ विनीता शाह ने कहा कि चारधाम यात्रा (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) के दौरान श्रद्धालुओं को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। श्रद्धालु यात्रा पर निकलने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लें व सुनिश्चित करें कि आप यात्रा के लिए शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। नियमित व्यायाम और उचित आहार का पालन करें ताकि आपकी सहनशक्ति बनी रहे। अपनी नियमित औषधियाँ और आवश्यक दवाइयाँ पर्याप्त मात्रा में साथ रखें। ऊँचाई पर होने वाली समस्याओं के लिए आवश्यक दवाइयाँ भी साथ रखें।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ विनीता शाह ने कहा कि ऊँचाई पर ठंड और बर्फबारी का ध्यान रखते हुए गर्म कपड़े, टोपी, दस्ताने, और अच्छे जूते पहनें। ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त उपकरण और सामान साथ रखें। शुद्ध पानी पिएं और अपने साथ पर्याप्त पानी रखें। हल्का, पौष्टिक और आसानी से पचने वाला भोजन करें। यात्रा के दौरान भारी भोजन से बचें। ऊँचाई पर चढ़ाई करते समय धीरे-धीरे अनुकूलन करें और अपने शरीर को आराम दें। अत्यधिक थकान से बचें और नियमित अंतराल पर विश्राम करें। ऊंचाई वाले क्षेत्र में सांस फूलने या थकावट आने कि स्थिति में नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में परामर्श लें या फिर कम ऊंचाई की तरफ प्रस्थान करें।
श्रद्धालु किसी भी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी व सहायता हेतु विभाग के 24 घंटे टॉल फ्री हेल्पलाइन नंबर 104, 18001801200 व 01357156104 पर संपर्क कर सकते हैं। श्रद्धालु यात्रा के दौरान सभी नियमों का पालन करें और अपनी यात्रा को सुखद और सुरक्षित बनाएं।
स्वास्थ्य सचिव ने डेंगू और चिकनगुनिया को लेकर सभी जिलों के डीएम, सीएमओ व नगर निगम को जारी किए कड़े निर्देश
राज्य में डेंगू व चिकनगुनिया के मरीजों को देखते हुए उनकी रोकथाम व उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को गाइडलाइन जारी की है। जिलाधिकारियों व सीएमओ को 20 बीस महत्वपूर्ण बिंदुओं की गाइडलाइंस जारी की गई है। सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार लगातार डेंगू व चिकनगुनिया रोकथाम के लिए लगातार समीक्षा बैठकें कर रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सुझाव पर स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू व चिकनगुनिया मरीजों के उपचार व रोकथाम के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा विगत वर्षों से डेंगू व चिकनगुनिया रोग राज्य में एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में परिलक्षित हो रहा है। डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग का वेक्टर एडिज मच्छर है। जुलाई से नवम्बर माह तक का समय डेंगू वायरस के संक्रमण के लिये अनुकूल होता है। डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग एक मच्छर जनित रोग है जो कि कूलर, फूलदान, गमले, खुली पानी की टंकी, पुराने टायर, एकत्रित कबाड, इत्यादि में जमा पानी में पैदा होते हैं। डेंगू रोग के रोकथाम के लिए जन सहभागिता अत्यन्त आवश्यक है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग की समुचित रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु अन्य समस्त विभागों की भी महत्वपूर्ण भागीदारी होती है। समस्त विभागों द्वारा डेंगू रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु उनके द्वारा की जाने वाली गतिविधियां समयान्तर्गत की जायें। डेंगू मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए की जाने वाली समस्त गतिविधियां समस्त विभाग निरन्तर करते रहें ताकि डेंगू के मच्छर को पनपने से रोका जा सकें और इसकी सूचना जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरन्तर प्राप्त की जाए। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग पर रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु ब्लाक वार Micro Plan बनाकर कार्यवाहिया करना सुनिश्चित करे व उक्त माइक्रोप्लान राज्य एन०वी०बी०डी०सी०पी० यूनिट को प्रेषित किये जायें। नगर निगमों द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया जाये ताकि डेंगू रोग के मच्छरों को पनपने से रोका जा सके।
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग की समुचित रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु अन्य समस्त विभागों की भी महत्वपूर्ण भागीदारी होती है। समस्त विभागों द्वारा डेंगू रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु उनके द्वारा की जाने वाली गतिविधियां समयान्तर्गत की जायें।
1. डेंगू मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए की जाने वाली समस्त गतिविधियां समस्त विभाग निरन्तर करते रहें ताकि डेंगू के मच्छर को पनपने से रोका जा सकें और इसकी सूचना जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरन्तर प्राप्त की जाए।
2. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग पर रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु ब्लाक वार Micro Plan बनाकर कार्यवाहिया करना सुनिश्चित करे व उक्त माइक्रोप्लान राज्य एन०वी०बी०डी०सी०पी० यूनिट को प्रेषित किये जायें।
3. नगर निगमों द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया जाये ताकि डेंगू रोग के मच्छरों को पनपने से रोका जा सके।
4. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग पर नियंत्रण हेतु लार्वा निरोधात्मक कार्यवाहियां (सोर्स रिडक्शन) एक कारगर व उपयुक्त उपाय है, जिसके लिए नगर निगम/नगर पालिका आशा कार्यकत्री व अन्य विभागों के सहयोग से टीमें बनाकर क्षेत्र में कार्यवाही की जाए।
5. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग को महामारी का रूप लेने से रोकने के लिए नगर निगम/नगर निकाय द्वारा आवश्यकतानुसार फॉगिग की जाये।
6. जनजागरूकता व जनसहभागिता हेतु आई०ई०सी० संसाधनो का समुचित्त व समयान्तर्गत उपयोग करें।
7. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोकथाम हेतु स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य विभागों जैसे नगर निगम, शिक्षा विभाग, ग्राम्य एवं शहरी विकास, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, लोक निर्माण, जल संस्थान, जल निगम आदि के सहयोग व अंतर्विभागीय समन्वय हेतु जनपद स्तर पर बैठकों का समय से आयोजन किया जाए व उनके कार्यवृत्त राज्य एन०वी०बी०डी०सी०पी० यूनिट को प्रेषित किये जायें।
8. डेंगू के उपचार एवं नियंत्रण हेतु भारत सरकार की गाईडलाइन “National Guidelines for Clinical Management of Dengue fever” (संलग्न) को समस्त राजकीय एवं निजी चिकित्सालायों/चिकित्सकों को आवश्यक कार्यवाहियों हेतु उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
9. जनपदों के चिकित्सालयों (जिला/बेस व मेडिकल कालेज) में भारत सरकार की गाईडलाइनके अनुसार आवश्यक कार्यवाही जैसे पृथक डेंगू आईसोलेशन यार्डतैयार करमच्छरदानी (LLIN) युक्त पर्याप्तबेड की उपलब्धता, Standard Case Management आदि सुनिश्चित करें एवं डेंगू आइसोलेशन वार्ड के लिए नोडल अधिकारी नामित करें।
10. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोगियों के समुचित प्रबन्धन हेतु अपने जनपद में चिकित्सा केन्द्रों को पूर्ण रूप से कार्यशील रखें व उनमें पर्याप्त स्वास्थ्य मानव संसाधन जैसे चिकित्सक, नर्स आदि की व्यवस्था सुनिश्चित रखें।
11 . डेंगू पीडित गम्भीर रोगियों (DHF/DSS) हेतु Platelets की उपलब्धता सुनिश्चित करें। 12. डेंगू जांच केन्द्रो में समय से आवश्यक सामग्री जैसे ELISA जांच किट व अन्य जांच सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये।
13. डेंगू रोगियों की शुरूआती चरण में पहचान हेतु, फीवर सर्वे किये जायें, लक्षणों के आधार पर डेंगू रोग की संदिग्धता होने पर जांच की जाये।
14. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोगी पाये जाने की स्थिति में रोगी के घर के आस-पास लगभग 50 घरों की परिधि में आवश्यक रूप से Space/ Focal Spray कराने के साथ साथ जनपदीय आर०आर०टी० द्वारा क्षेत्र में सघन फीवर सर्विलेन्स एवंलार्वा निरोधात्मक कार्यवाहियां (सोर्स रिडक्शन) कराएँ।
15. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग की रोकथाम के लिए आम जनमानस का सहयोग अत्यन्त आवश्यक है व जन जागरूकता ही एक कारगर उपाय है। अतः आप अपने स्तर से प्रभावी प्रचार प्रसार करवायें। प्रचार प्रसार सामग्री की सापट प्रति संलग्न।
16. स्वास्थ्य विभाग व आई०एम०ए० प्रतिनिधियों / निजी चिकित्सालयों/पैथोलोजी लैबों के मध्य समन्वय बैठक (CME Meeting/Workshop) की जाये ताकि आमजन में डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग के प्रति व्यापत भ्रान्ति/भय को दूर किया जा सके। दृष्टिगत जनपद स्तर पर जिला कार्ययोजना मे भी
17 . किसी भी प्रकार की आकस्मिक / आपातकालीन आवश्यकता के डेंगू के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया जाये।
18. मीडिया को डेंगू एवं चिकनगुनिया सम्बन्धित संवेदनशील सूचनायें व सकारात्मक जानकारी सम्बोधित करने हेतु जनपद स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के किसी एक अधिकारी को Media Spokes person अधिकृत किया जाये।
19. जनमानस को डेंगू सम्बन्धित जागरूकता एवं समुचित जानकारी प्रदान करने के लिये राज्य मुख्यालय पर Integrated Helpline क्रियाशील है जिसका टोल फ्री नं० 104 है। इसी प्रकार जनपद स्तर पर डेंगू के संक्रमण काल (माह जून से नवम्बर तक) के दौरान कन्ट्रोल रूम स्थापित कर उक्त दूरभाष न० से राज्य एन०वी०बी०डी०सी०पी० यूनिट को अवगत करायें।
20. डेंगू एवं चिकनगुनिया की दैनिक रिर्पोट (केस शून्य होने पर भी) संलग्न प्रारूप पर सायं 4:00 बजे तक नियमित रूप से राज्य स्तर पर E-mail- uknvbdcp@gmail.com पर भेजना सुनिश्चित करें। अतः उपरोक्तानुसार समयबद्ध कार्यवाही कर, कृत कार्यवाही से अधोहस्ताक्षरी को अवगत कराना सुनिश्चित करें।
कैबिनेट ने स्वास्थ्य विभाग से जुड़े फैसलों पर लगाई मुहरः डॉ आर राजेश कुमार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कई अहम फैसलों पर मुहर लगी। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने अवगत कराया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के प्रयासों से स्वास्थ्य सेवाओं को राज्य के अंतिम छोर तक बेहत्तर बनाने के प्रयास लगातार जारी हैं। इसी कड़ी में आज कैबिनेट बैठक में देश और प्रदेश में आम जनमानस की लाईफ लाइन कही जाने वाली अटल आयुष्मान योजना को लेकर बड़ा फैसला हुआ। इससे हजारों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। इसके तहत आयुष्मान भारत अटल आयुष्मान योजनान्तर्गत राजकीय चिकित्सालयों द्वारा लाभार्थियों को उपलब्ध करायी गयी चिकित्सा उपचार सुविधा के सापेक्ष चिकित्सालयों को प्रदान की जाने वाली क्लेम धनराशि पैकेज की दरों का 100 प्रतिशत अंश का भुगतान करने को लेकर किया गया। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने अवगत कराया कि 14 सितम्बर, 2018 के प्रस्तर 2.8 में राजकीय चिकित्सालयों द्वारा अर्जित क्लेम धनराशि का विभाजन किया गया है। उक्त शासनादेश में विहित व्यवस्था में क्लेम धनराशि के 50 प्रतिशत अंश का भुगतान राजकीय चिकित्सालयों को किये जाने का प्राविधान है। इस व्यवस्था के कारण डायलिसिस केन्द्रों को आयुष्मान भारत अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के अन्तर्गत किये गये उपचार के बीजकों के भुगतान में आ रही व्यवहारिक दिक्कतों के समाधान हेतु संशोधन के लिए आज मंत्रिमण्डल द्वारा सहमति प्रदान कर दी गयी है। इससे राजकीय चिकित्सालयों मे पी०पी०पी० मोड पर संचालित डायलिसिस केन्द्रों के संबंधित सेवा प्रदाताओं को पैकेज की दरों का 100 प्रतिशत भुगतान होगा और लाभार्थियों को डायलिसिस की सेवा निर्बाध रूप से प्राप्त होगी।
इसके साथ ही स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने अवगत कराया कि इन्वेस्टर सम्मिट के दौरान इन्वेस्टेबल प्रोजेक्ट के रूप में चिन्हित स्वास्थ्य इकाइयों को दीर्घकालिक लीज पर निजी सेवा प्रदाता द्वारा संचालन किये जाने पर भी आज कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है। इसके तहत देहरादून के हर्रावाला क्षेत्र में 300 बेड के कैंसर चिकित्सालय और हरिद्वार जनपद में स्थित 200 बेड के मातृ एवं शिशु चिकित्सालय, चौन राय महिला चिकित्सालय को पीपीपी मोड पर देने के लिए मंत्रिमंडल ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है। स्वास्थ्य सचिव ने कहा इन चिकित्सालयों को पीपीपी मोड पर देने से उपकरण क्रय, मानव संसाधन योजन तथा संचालन पर होने वाले व्यय की बचत होगी। साथ ही क्षेत्रीय जनता को गुणवत्तापरक विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधायें तथा निदान की सुविधा प्राप्त होगी। अभी तक यह सुविधायें क्षेत्र में उपलब्ध नहीं है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा 300 बैड के कैंसर चिकित्सालय हर्रावाला, देहरादून का निर्माण एन०एच०एम० के माध्यम से भारत सरकार तथा राज्य सरकार (90 अनुपात 10) के सम्मिलित वित्तीय के सहयोग से कुल 20403.49 स्क्वायर मीटर पर रू० 106.84 करोड़ की लागत से किया गया है। इसके साथ ही 200 बैड के मातृ एवं शिशु चिकित्सालय, चौन राय महिला चिकित्सालय परिसर, जनपद-हरिद्वार का निर्माण एन०एच०एम० के माध्यम से भारत सरकार तथा राज्य सरकार (90 अनुपात 10) के सम्मिलित वित्तीय के सहयोग से कुल 17341.42 स्क्वायर मीटर पर रू0 38.85 करोड़ की लागत से किया गया है।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा इन दोनों संस्थानों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा निदान हेतु संवेदनशील उपकरण क्रय एवं संचालन हेतु आवश्यक तकनीकि दक्षता के दृष्टिगत उक्त दोनों चिकित्सा संस्थान उपयुक्त निजी सेवाप्रदाता द्वारा दीर्घकालिक संचालन हेतु प्रस्तावित किये जा रहे हैं। इन चिकित्सालयों के संचालन से आमजन को कैंसर से सम्बन्धित समस्त जाँच, परामर्श, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी तथा अन्य उच्च स्तरीय निदान, जिसमें शल्य क्रिया भी सम्मिलित है, सुलभ हो जायेगी तथा इस प्रकार की सेवाओं हेतु आमजन को प्रदेश से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इसी प्रकार मातृ एवं शिशु चिकित्सालय के संचालन से न केवल उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी अपितु मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी कम करने में सहायता मिलेगी।