मानहानि के मामले में कोर्ट ने लगाया सीएम पर जुर्माना

दिल्ली उच्च न्यायालय ने वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा दायर मानहानि के दूसरे मामले में जवाब दाखिल नहीं करने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। इससे पहले केजरीवाल को बड़ा झटका तब लगा जब इस केस में उनका बचाव कर रहे जाने-माने वकील राम जेठमलानी ने आप संयोजक पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए आगे पैरवी करने से साफ इनकार कर दिया।
यही नहीं आज सुनवाई से पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल को निर्देश दिया कि वह अपने और आम आदमी पार्टी के पांच अन्य नेताओं के खिलाफ दर्ज मानहानि के मुकदमे में जिरह के दौरान केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली से अपमानजनक सवाल नहीं करे।
न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि मुख्यमंत्री को गरिमापूर्ण तरीके से और कानून के अनुसार भाजपा के वरिष्ठ नेता जेटली से जिरह करनी चाहिए। अदालत ने कहा कि गरिमा बनाए रखनी होगी, क्योंकि जिरह की आड़ में किसी व्यक्ति से अपमानजनक और अभद्र भाषा में बात नहीं होनी चाहिए। बहरहाल, न्यायालय ने केजरीवाल के खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं किया।
अदालत ने केजरीवाल की उस दलील पर गौर किया कि उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी को जेटली के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के निर्देश नहीं दिए थे। अदालत जेटली की उस अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मांग की गई है कि मानहानि के मुकदमे में व्यवस्थित और उचित तरीके से बयान दर्ज कराए जाए।
मानहानि के मुकदमे में केजरीवाल के अलावा राघव चड्ढा, कुमार विश्वास, आशुतोष, संजय सिंह और दीपक वाजपेयी आरोपी बनाए गए है। उन्होंने भाजपा नेता जेटली पर आरोप लगाए थे कि वर्ष 2000 से 2013 के बीच डीडीसीए के अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार किया। जेटली ने इन आरोपों से इनकार किया है।

कैग ने खोली भारतीय रेला सेवा की पोल!

नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने रेल मंत्रालय पर गंभीर आरोप लगाते हुए स्टेशनों व ट्रेनों में परोसा जाने वाला खाना यात्रियों के खाने योग्य नहीं बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे के खाने में कीलें निकली। पेंट्रीकार में चूहे एवं काकरोच पाए गए।
इससे अधिक गंभीर बात यह है कि रेलवे ही ठेकेदारों को घटिया, बासी, कम मात्रा और अधिक दरों पर खाना देने के लिए मजूबर करती है। यात्रियों को ब्रांडेड के बजाए दूसरी कंपनियों का बोलतबंद पानी दिया जाता है। इतना ही नहीं 22 ट्रेनों में पेय, काफी, चाय और शूप तैयार करने में सीधे नल से आ रहे अशुद्ध जल का उपयोग किया जा रहा है।
कैग ने शुक्रवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रेलवे की खानपान सेवाओं की कलई खोल दी है। कैग ने रेलवे अफसरों के साथ संयुक्त जांच में पाया कि खाना बनाने में साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता। बेस किचन व पेंट्रीकार कॉकरोच-चूहे घूमते हैं। लखनऊ-आनंद विहार डबल डेकर (ट्रेन नंबर 12583) में एक यात्री के कटलेट में खाते समय कील निकली। इसी प्रकार एक अन्य ट्रेन कानपुर दिल्ली शताब्दी की शिकायत पुस्तक में भी खाने में कील निकलने की शिकायत दर्ज है। दुरंतो एक्सप्रेस ट्रेनों (ट्रेन नंबर 12260 व 12269) में कॉकरोच व चूहे देखे गए। इसी प्रकार जांच के दौरान वेलकम ड्रिंक को नल के पानी से बनाते हुए देखा गया।
कैग ने कहा कि खाने की रसीद यात्रियों को नहीं दी जाती है। ट्रेनों की कोच में मैन्यू नहीं लगया जाता है जिससे खाने की दरें व मात्रा पता चल सके। यात्रियों को घटिया खाना कम मात्रा में परोसा जाता है, और तय मूल्य से अधिक पैसा लिया जाता है। यह स्थिति यात्री ट्रेनों व रेलवे स्टेशनों दोनो जगह की बनी हुई है।
रेलवे खानपान की गुणवत्ता की जांच और नियंत्रण प्रभावी ढ़ग से लागू करने में विफल साबित हुआ है। रेलवे बोर्ड से लेकर जोनल रेलवे तक शिकायत प्रणाली व्यवस्था लागू की गई, लेकिन इनकी संख्या में कमी नहीं आ रही है। कैग ने रिपोर्ट में कहा है कि खानपान नीति में बार बार परिर्वतन कर आईआरसीटीसी से लेने और फिर देने के फैसले से खानपान व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है। 2010 से इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है।
कैग व रेलवे के संयुक्त जांच में पाया गया कि जोनल रेलवे ने मास्टर प्लान बनाकर सभी स्टेशनों व ट्रेनों में खानपान आपूर्ति की ठीक प्रकार से निगरानी नहीं की। लंबी दूरी की ट्रेनों में पेंट्रीकार नहीं थी। ट्रेनों में खाना आपूर्ति के लिए रेलवे मात्र तीन फीसदी बेस किचन का प्रयोग करती है, शेष बेस किचन कैटरिंग ठेकेदारों द्वारा रेल परिसर से बाहर बनाया जाता है। यहां रेलवे का निगरानी तंत्र नहीं है। इसलिए खाना बनाने की गुणवत्ता, बेस किचन की साफ सफाई, कम मात्रा में खाना पैक करना आदि अनियमितताएं होती है।
रेलवे ने बेस किचन, कैटरिंग यूनिट, विशिष्ठ बेस किचन जैसे फूड प्लाजा, फूड कोर्ट, फास्ट फूड यूनिट, ट्रेन साइड वेडिंग लगाने की दिशा में ठोस काम नहीं किया। कैग ने सिफारिश की है कि आईआरसीटीसी को खानपान सेवा को देने के नियम को सरल बनाया जाना चाहिए। पेंट्रीकार में गैस बर्नर के स्थान पर इलेक्ट्रिकल चूल्हा लगाना चाहिए।

संघ के बड़े अधिकारियों के हुए बंपर तबादले!

पिछले कुछ दिनों से देशभर में राष्ट्रपति चुनाव की खबर हर मीडिया संस्थान में सुर्खियों में बना रहा, ऐसे में शायद ही किसी को इस बात की भनक लगी हो कि इस बीच आरएसएस में बड़े स्तर पर बदलाव हुआ है। जी हां जिस वक्त राष्ट्रपति के चुनाव हो रहे थे और उसके मतों की मतगणना हो रही थी आरएसएस देशभर में कई अधिकारियों के तबादले कर रहा था।
एक ही जगह आरएसएस की ओर से जो बड़ा तबादला किया गया है वह आरएसएस के बौद्धिक प्रचारक स्वांत रंजन हैं, जोकि पिछले 12 साल से पटना में तैनात थे, लेकिन अब उनका तबादला कर दिया गया है। उन्हें पटना से हटाकर जयपुर भेज दिया गया है। इसके साथ ही आरएसएस ने कई अन्य पदाधिकारियों का भी तबादला किया है।
बड़े स्तर पर किया गया बदलाव
सहकार भारती संगठन सचिव विजय देवांगन का अभ पूर्वोत्तर भारत का जिम्मा सौंपा गया है। इसके अलावा कई अन्य अधिकारियों को भी हटाया गया है जोकि भारत सहित विदेशों में स्थिति आरएसएस के हॉस्टल का जिम्मा देखते थे। सूत्रों की मानें तो रंजन उन शीर्ष लोगों में शामिल हैं जिन्हें जम्मू में गुरुवार को हुई आरएसएस की बैठक के आखिरी दिन हटाया गया है।
बड़े नेताओं का किया गया
तबादला सूत्रों की मानें तो नरेंद्र कुमार जोकि अखिल भारतीय सहप्रचारक प्रमुख हैं, उन्हें रंजन की जगह लेने के लिए तैनात किया गया है। अब वह पटना में स्वांत रंजन की जगह लेंगे। नरेंद्र कुमार अभी तक दिल्ली में अहम भूमिका निभा रहे थे। यह तमाम अहम फैसले तीन दिन तक चले जम्मू कश्मीर में संगठन की तीन दिवसीय बैठक में लिए गए हैं। यह आरएसएस की सालाना बैठक थी, जिसमें आला अधिकारियों का तबादला किया गया है।
200 प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा
आरएसएस की इस वार्षिक बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत कई बड़े नेता शामिल हुए थे। यह बैठक 18 जुलाई को प्रारंभ हुई थी। इस बैठक में तकरीबन 200 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। आपको बता दें कि इसी वर्ष मार्च में जो रिपोर्ट सामने आई थी उसके अनुसार आरएसएस देशभर में 57,233 शाखाएं लगाती है।

कोविन्द का परिवार इन्हें भी ले जायेगा राष्ट्रपति भवन!

देश के नये राष्ट्रपति के चुनाव के लिए गुरुवार को हुई मतगणना में भाजपानीत एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद ने कांग्रेस और यूपीए की उम्मीदवार और अपनी प्रतिद्वंदी मीरा कुमार को भारी अंतर से हरा दिया है। अब रामनाथ कोविंद का महामहिम बनना तय हो गया है।
रामनाथ कोविंद 25 जुलाई को देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। जाहिर सी बात है कि इसके बाद कोविंद रायसिना हिल्स स्थित राष्ट्रपति भवन में रहेंगे। कोविंद के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा, बहु और बेटी हैं. लेकिन उनके परिवार में कुछ और सदस्य हैं, जो इनसान तो नहीं, लेकिन उनके लिए काफी अजीज हैं। ये खास सदस्य हैं वे आधा दर्जन देसी नस्ल के कुत्ते, जो कोविंद जी के घर के बाहर ही रहते हैं। इनके नाम हैं – किशमिश, कट्टी, लिली, कालू व अन्य।
एक अंगरेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 में बिहार का गर्वनर बनने के बाद रामनाथ कोविंद का परिवार दिल्ली में नॉर्थ एवेन्यू 144 नंबर रह रहा है। बताते चलें कि कोविंद जी का परिवार इन देसी कुत्तों का काफी खयाल रखता है। परिवार के लोग हर दिन समय से इन कुत्तों को खाना देते हैं। मेन्यू कुछ इस तरह है- सुबह में लगभग 2 लीटर दूध, दोपहर में रोटी-चिकन और रात में रोटी-दूध।
खास बात यह है कि अगर इनमें से कोई भी कुत्ता अस्वस्थ हो जाये या वह घायल हो जाये तो कोविंद परिवार उनका इलाज भी कराता है। गौरतलब है कि कोविंद जी की बहू पेशे से टीचर हैं और वह इन कुत्तों का खास ख्याल रखती हैं। बताया जाता है कि एक बार कालू नाम के कुत्ते को चोट लग गयी, तो खुद कोविंद जी के बेटे इलाज के लिए उसे अस्पताल ले गये। यही नहीं, एक बार नगर निगम की गाड़ी लिली को पकड़ कर ले जा रही थी, तो परिवार ने उसको उतरवा कर रोक लिया।
कहते हैं कि कुत्ते अपनी रोटी की कीमत जरूर चुकाते हैं। उसी तरह कोविंद जी के ये कुत्ते भी अपना फर्ज बखूबी निभाते हैं। कोविंद जी के फ्लैट के आस-पास ये पूरी मुस्तैदी के साथ पहरा देते हैं और पूरी हिफाजत करते हैं। अगर कोई संदिग्ध व्यक्ति उनके फ्लैट के आस-पास नजर आये तो ये कुत्ते उस पर भौंक कर, गुर्रा कर उसे उल्टे पांव लौटने को मजबूर कर देते हैं।
अब चूंकि कोविंद जी राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं, तो अब उनका परिवार राष्ट्रपति भवन में शिफ्ट हो जायेगा। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या परिवार के चहेते कुत्ते भी परिवार के साथ राष्ट्रपति भवन जायेंगे…?

मुनाफाखोरी रोकने को मोदी सरकार ने बाजार में उतारे जासूस

एक जुलाई से जीएसटी लागू करने के बाद अब मोदी सरकार ने आम आदमी के फायदे के लिए 200 जासूसों को बाजार में उतारा है। ये जासूस देश के छोटे-बड़े शहरों के साथ-साथ कस्बों में घूमेंगे और ऐसे बिजनेसमैन, होलसेलर और रीटेलर की पहचान करेंगे जो नए टैक्स ढ़ांचे का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
केन्द्र सरकार ने यह कदम बीते एक हफ्ते के दौरान देश के अलग-अलग कोने से मुनाफाखोरी की शिकायतें मिलने के बाद उठाया है। गौरतलब है कि देश के नए टैक्स ढ़ांचे के केन्द्र में मुनाफाखोरी रोकने के प्रावधान है और यदि मुनाफाखोरी पर लगाम नहीं लगाई जाएगी को जीएसटी का पूरा मकसद ही फेल हो सकता है।
केन्द्र सरकार को उम्मीद है कि जीएसटी लागू होने के बाद कंपनियां और दुकानदार पूरी इमानदारी से कारोबार करेंगी तो इस कर सुधार का सबसे बड़ा फायदा आम आदमी को मिलेगा। वहीं इस सुधार में कारोबारियों ने बेइमानी के नए रास्ते इजात कर लिए तो देश में महंगाई बढ़ने की आसार पैदा हो जाएंगे।

जासूस कौन है और कहां घूमेंगे?
केन्द्र सरकार की तैयारी के मुताबिक ये 200 जासूस सीनियर आईएएस, आईआरएस और आईएफएस अधिकारियों में से चुने गए हैं। इन जासूसों को सरकार ने जिम्मेदारी दी है कि वह लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों में घूमकर जरूरी उत्पादों की कीमत का पूरा जाएजा लेंगे। बाजार में प्राइस ट्रेंड पर लगातार अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को देंगे। किसी भी जगह दुकानों पर बिक रहे सामान की कीमत का जायजा लेने के लिए खरीदारी कर सकते हैं।
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आम आदमी को ट्राई दे रहा सौंगात, दो रुपये में इंटरनेट कनेक्शन

भारत के आम नागरिकों के लिए खुशखबरी! टेलीकॉम रेगुलेटर (ट्राई) भारत में पब्लिक वाई-फाई सुविधा देने की योजना पर काम कर रहा है। इन वाई-फाई हॉटस्पॉट्स को पब्लिक डेटा ऑफिस (पीडीओ) के नाम से जाना जाएगा। ये पीडीओ फोन बूथ की तरह ही होंगे। इस पॉयलट प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने के लिए ट्राई ने कंपनियों को आमंत्रित किया है।
इन वाई-फाई के प्लान्स शुरुआत में 2 रुपये से लेकर 20 रुपये तक होंगे। ट्राई का कहना है कि इससे भारत के लोगों को आसानी से सस्ता इंटरनेट उपलब्ध होगा और नेटवर्क से लोड भी कम हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट का मकसद वाई-फाई ऐक्सेस नेटवर्क इंटरफेस पर बेस्ड ओपन सिस्टम तैयार करना है, जिसके लिए आवेदनकर्ताओं से सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। ट्राई दो-तीन दिन के भीतर आर्किटेक्चर डॉक्युमेंट जारी करने जा रहा है। इस सिस्टम से छोटी-छोटी दुकानों पर भी कंपनियां ऐसे पीओडी बना पाएंगी। इसके लिए किसी भी तरह के लाइसेंस की जरूरत तो नहीं होगी लेकिन टेलीकॉम विभाग के पास रजिस्ट्रेशन और यूजर्स का केवाईसी लेना जरूरी होगा।
इस पॉयलेट प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने के लिए कंपनियां 25 जुलाई तक अपनी डीटेल्स भेज सकती हैं। इस प्रोजेक्ट के बाद भारत में वाई-फाई हॉटस्पॉट की संख्या 31000 हो जाएगी।
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दिल्ली विश्वविद्यालय की दीवारों में आईएसआईएस के समर्थन में लिखे नारे

दिल्ली विश्वविद्यालय का माहौल एक बार फिर गरमा सकता है। विश्वद्यालय कैंपस की दीवारों पर दुनिया के सबसे कुख्यात आतंकी संगठन आईएसआईएस के समर्थन में नारे लिखे गए हैं। इस बात को लेकर अखिल भारती विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सचिव अंकित सिंह सांगवान ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। डीसीपी (नॉर्थ) जतिन नरवाल ने कहा है कि इस संबंध में एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
छात्रों का दावा है कि उन्होंने कैंपस की दीवारों पर कुछ ऐसे नारे लिखे देखे हैं जो आतंकी संगठन आईएस के समर्थन में लिखे गए हैं। 27 मई को अंकित सिंह सांगवान ने थाने में शिकायत देकर पुलिस से मुकदमा दर्ज करने की मांग की। छात्र संघ अध्यक्ष अंकित ने दावा किया है कि दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ने वाले छात्रों ने उनको बताया कि कॉमर्स डिपार्टमेंट की दीवार पर कुछ आपत्तिजनक नारा लिखा हुआ है। इस पर वह फौरन वहां गए, जहां उनको दीवार पर I SYN ISIS लिखा मिला।
एबीवीपी ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। शिकायत देने के बाद इन नारों को पेंट कर छिपाने का आरोप भी लगाया गया है। उन्होंने राष्ट्र विरोधी कार्य करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। फिलहाल पुलिस अधिकारियों ने इस मामले की जांच करने की बात कह रही है।

योगेन्द्र यादव के केजरीवाल को लिखे पत्र से आप की हवाईयां उड़ी

नई दिल्ली।
नगर निगम चुनाव से एक दिन पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के पुराने साथी और स्वराज अभियान के सदस्य योगेंद्र यादव ने केजरीवाल को चिट्ठी लिखी है। योगेंद्र यादव ने अपनी चिट्टी में केजरीवाल को दिल्ली की गंदगी के लिए जिम्मेदार ठहराया है। यादव ने पत्र में लिखा कि केजरीवाल ने दिल्ली की जनता का विश्वास तोड़ा है। उन्होंने आम आदमी पार्टी के वादों का जिक्र करते हुए लिखा है कि केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से लालच, डर और धमकी देकर वोट हासिल करने की कोशिश की है।

प्रिय अरविन्द,
दो साल पहले दिल्ली ने जो ऐतिहासिक जनादेश दिया था, वो किसी एक नेता या पार्टी का करिश्मा नहीं था। उसके पीछे हज़ारों वोलन्टीयर का त्याग और उनकी तपस्या थी। लेकिन इस करिश्मे का सबसे बड़ा कारण था दिल्ली की जनता का आत्मबल। जनलोकपाल आंदोलन ने दिल्ली के लाखों नागरिकों को यह भरोसा दिलाया कि वो बेचारे नहीं हैं। वो नेताओं, पार्टियों और सरकारों से ज्यादा ताकतवर हैं। आज मैं उस आत्मबल को डगमगाते हुए देख रहा हूँ। इसलिए पिछले दो साल में पहली बार आपसे संवाद कर रहा हूँ और आपको रामलीला मैदान में किए रिकॉल के वादे की याद दिला रहा हूँ।
पिछले महीने में मुझे दिल्ली नगर निगम (MCD) के चुनाव के दौरान दिल्ली के कोने-कोने में जाने का मौका मिला। दिल्ली में चारों तरफ कूड़े के ढेर हैं, गन्दा पानी रुका हुआ है, बदबूदार और खतरनाक हवा है। हर कोई जानता है कि इसकी पहली जिम्मेवारी पिछले दस साल से MCD पर राज कर रही बीजेपी की है। लेकिन फिर भी बीजेपी बेशर्मी से इस चुनाव में खड़ी है, वोट मांग रही है। ऐसे बहुत वोटर हैं जिन्होंने 2015 में ऐतिहासिक बदलाव के लिए वोट दिया था, लेकिन जो इस बार थक-हार के बीजेपी के पास वापिस जा रहे हैं। मैं पिछले महीने भर से सोच रहा हूँ कि इस निक्कमी और भ्रष्ट सरकार को चलाने वाली बीजेपी को MCD चुनाव में खड़े होने का मौका देने के लिए कौन जिम्मेवार है।
बहुत सोचने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पंहुचा हूँ कि दिल्ली की इस दुर्घटना के लिए व्यक्तिगत रूप से आप जिम्मेवार हैं। आपने दिल्ली की जनता का विशवास तोड़ा है। विश्वास सिर्फ एक नेता या पार्टी से नहीं टूटा है। जनता का खुद अपने आप से विश्वास टूटा है — आप से धोखा खाने के बाद उन्हें लगता है कि उन्हें अच्छे-बुरे की पहचान नहीं है। इसलिए टूटे मन से बहुत लोग उन्ही पुरानी पार्टियों के पास जा रहे हैं जिन्हे उन्होंने दो साल पहले ख़ारिज कर दिया था। लोकतंत्र में जनता की आशा जगाकर उसे तोड़ना बहुत बड़ा पाप है। जनता के आत्मबल को कमजोर करना सबसे बड़ा अपराध हैं। मैं यह कहने को मजबूर हूँ कि अपने अहंकार, आत्म-मोह और कुर्सी के लालच में आपने यह अपराध किया है। ये सिर्फ मैं नहीं कहता, दिल्ली के हर मोहल्ले और गली में हर कोई ये कहता है। इस चुनाव प्रचार के दौरान आपने वोटर को जिस तरह लालच, डर और धमकी दी है उसमे मुझे “विनाशकाले विपरीत बुद्धि” के लक्षण दिखाई देते हैं।
जाहिर है आप मुझसे सहमत नहीं होंगे। आपने बार-बार कहा है कि दिल्ली की जनता आपके साथ है। दिल्ली में कल होने वाले MCD के चुनाव को आपने अपनी व्यक्तिगत लोकप्रियता के रेफेरेंडम में बदल दिया है। आपकी पार्टी सिर्फ आपके नाम पर वोट मांग रही है। होर्डिंग में पार्टी का नाम तक नहीं है। आपकी पार्टी ने एक इंटरनल सर्वे भी जारी किया है कि आपकी पार्टी MCD चुनाव में 218 सीटें लेकर जीत रही है।
मेरा एक प्रस्ताव है। अगर आपको इस चुनाव में तीनों MCD में कुल मिलाकर बहुमत (यानि सिर्फ 137 सीटें) आ जाता है तो मैं यह मान लूँगा कि मेरी समझ गलत है और दिल्ली की जनता आपको धोखेबाज नहीं मानती। ऐसे में अगर केंद्र सरकार आपकी सरकार के खिलाफ कोई षड़यंत्र करती है तो हमारी पार्टी और मैं खुद आपका समर्थन करेंगे। लेकिन अगर दिल्ली में 70 में से 67 सीट जीतने के दो साल में ही आप इस रेफेरेंडम में हार जाते हैं तो नैतिकता की मांग है कि आप EVM जैसा कोई बहाना ना बनाएँ, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दें और आपकी सरकार दिल्ली में ‘रिकॉल’ के सिद्धांत के अनुसार दुबारा जनता से विश्वास मत हासिल करे।
आशा है आपको रामलीला मैदान में कही अपनी ही बातें याद होंगी और आप इस चुनौती को स्वीकार करेंगे।
आपका पुराना साथी,
योगेंद्र यादव

ईवीएम को टैंपर करने के 10 तरीके बता सकता हूं: केजरीवाल

नई दिल्ली।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर कहा है कि EVM से छेड़छाड़ की जा सकती है। उन्होंने कहा कि वह IIT इंजीनियर हैं और EVM को टैंपर करने के 10 तरीके बता सकते हैं। केजरीवाल ने दावा किया कि दिल्ली के लोग उनकी सरकार से खुश हैं और राजौरी गार्डन उपचुनाव के नतीजों को MCD चुनाव का ‘ट्रेलर’ न समझा जाए।
एक निजी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार ने दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी के लिए बहुत काम किया है और सरकार के कामों के प्रति लोगों का नजरिया काफी सकरात्मक है। राजौरी गार्डन उपचुनाव में हार के लिए उन्होंने वही बात दोहराई जो उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कही थी। केजरीवाल ने कहा कि जरनैल सिंह ने वहां बहुत काम किया था, पर वह पंजाब जाना चाहते थे। उनके जाने से लोग नाराज हो गए और इसी का असर चुनाव में दिखा।
EVM के मुद्दे पर केजरीवाल ने एक बार फिर चुनाव आयोग को घेरा। उन्होंने फिर कहा कि चुनाव आयोग भाजपा को जिताने में मदद कर रहा है और उसने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जिससे लोगों को उसकी बात पर भरोसा हो। केजरीवाल ने आयोग को चुनौती देते हुए कहा, ‘मैं IIT का एक इंजिनियर हूं…मैं आपको ईवीएम को टैंपर करने के 10 तरीके बता सकता हूं।’ बता दें कि आयोग ने खुला चैलेंज दिया है कि कोई ईवीएम को टैंपर कर दिखाए।
विज्ञापनों पर किए गए खर्च के मुद्दे पर केजरीवाल ने कहा कि अगर उनसे हिसाब मांगा जा रहा है तो बाकी मुख्यमंत्रियों से भी यह हिसाब लिया जाना चाहिए। केजरीवाल ने वकील राम जेठमलानी को सरकारी खजाने से फीस दिए जाने का बचाव किया और कहा कि उन पर केस सीएम होने के नाते किया गया था तो उसका पैसा सरकार द्वारा दिया जाना गलत नहीं है।

चुनाव आयोग ने दिल्ली के सीएम को दी खुली चुनौती

नई दिल्ली।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य विपक्षी दलों द्वारा बार-बार ईवीएम को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर चुनाव आयोग ने दी ईवीएम को हैक करने की खुली चुनौती है। राजनीतिक दलों को दे सकता है मई के पहले सप्ताह में ईवीएम हैक करने की चुनौती दे सकता है।
चुनाव आयोग ने इस चुनौती में वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों को शामिल होने न्यौता दिया है। इस दौरान सभी को ईवीएम हैक करने का मौका दिया जाएगा। चुनाव आयोग इससे पहले भी कह चुका है कि यह सभी आरोपों को बेबुनियाद है और ईवीएम मशीन के साथ छेड़छाड़ संभव नहीं है।
आपको बता दें कि केजरीवाल का आरोप था कि उत्तर-प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल हुई ईवीएम में बड़ी सफाई से छेड़छाड़ हुई है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के भिंड उपचुनाव की जिस ईवीएम में गड़बड़ी मिली है, उसे उत्तर प्रदेश से भेजा गया था।
केजरीवाल का चुनाव आयोग पर आरोप है कि इस मामले में कानून का उल्लंघन हुआ है। बगैर 45 दिन पूरा हुए मशीन दूसरे चुनाव में भेज दी गई। केजरीवाल ने आयोग से कहा कि वह ईवीएम उन्हें दे दे, वह दिखा देंगे कि इसमें छेड़छाड़ कैसे की जाती है। बगैर ईवीएम जांच के होने वाले चुनावों को केजरीवाल ने बेकार बताया है।