त्रिवेंद्र के खिलाफ षड्यंत्रकारी फिर हुए बेनकाब

देहरादून। उत्तराखंड राज्य बने हुए 20 वर्ष गुजर गए। मगर, राजनीति के मामले में यहां कभी स्थिरता नहीं ठहरती है। पुराना रिकाॅर्ड खंगाला जाए तो यह साफ तौर पर सामने आ जाता है कि जब भी किसी भी पार्टी का मुख्यमंत्री बना है, उसे हटाने के नित नए षड्यंत्र गढ़े जाते है। किसी न किसी बहाने राजनीतिक चर्चाएं गर्म रहती है, ताकि सरकार को अस्थिर किया जा सके। इस बार भी ऐसा ही देखने को मिला। जब तेजी से सोशल मीडिया और कुछ चैनलों में प्रायोजित खबरे चलाई गई कि सीएम त्रिवेंद्र बदले जा सकते है। मगर, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हर बार की ही तरह इस बार भी विरोधियों को पराजित कर दिया।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भले ही गली-गली में जाकर भुट्टे न खाते हो, किसी दुकान पर जाकर जलेबी न खाते हो। मगर, वह कभी अपने लोगों को झूठे वादे करके बेवकूफ नहीं बनाते है। सीएम की छवि बेहद ही सरल और स्पष्टवादी रही है। शायद यही कारण है कि कुछ लोग उन्हें पसन्द न भी करते हों। इसके बावजूद सीएम त्रिवेंद्र अपनी माटी और राज्य के विकास के लिए वचनबद्ध है। जब से त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीएम का पद ग्रहण किया है। तभी से उनके विरोधी उन्हें सत्ता से बाहर करने में लगे हुए है। जिसके लिए समय-समय पर ऐसी अफवाहें चलाई जाती रही है, की सीएम अब हटे तब हटे। अब जबकि त्रिवेंद्र सरकर अपने चार साल पूरे करने जा रही है और एनडी तिवारी के बाद त्रिवेंद्र ही ऐसे सीएम होंगे। जो पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे, तब फिर से ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होने जा रहा है। जो कि शर्मनाक है।

अब उत्तराखंड की जनता भी समझ चुकी है कि राज्य में प्रचंड बहुमत की त्रिवेंद्र सरकार ही मजबूत नेतृत्व दे सकती है। बीते रोज देहरादून में केवल कोर ग्रुप की बैठक आयोजित हुई, जिस पर त्रिवेंद्र के विरोधी सक्रिय हुए और खूब अफवाहें फैलाई गई। लेकिन फिर वही हुआ, जो इन 4 सालों में हुआ, त्रिवेंद्र अजेय है और उनके विरोधी पस्त है। अजेय त्रिवेंद्र फिर से राज्य में भाजपा की सरकार बनाने जा रहे है।

उत्तराखंड को मिला अवार्ड आफ एक्सीलेंस

उत्तराखण्ड को 18 वें सीएसआई एसआईजी ई-गवर्नेस अवार्ड 2020 दिया गया है। यह अवार्ड उत्तराखण्ड को राज्यों की श्रेणी में ई-मंत्रीमंडल के लिए दिया गया है। लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने उत्तराखण्ड को ई-मंत्रीमंडल और उत्तराखण्ड ऑडिट मैनेजमेंट के लिये पुरस्कार प्रदान किये। उत्तराखण्ड की ओर से यह पुरस्कार एनआईसी के एसआईओ के0नारायण तथा संयुक्त सचिव गोपन विभाग ओमकार सिंह ने यह पुरस्कार प्राप्त किये।

उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रविन्द्र जैसवाल, उप-सचिव गोपन विभाग अजीत सिंह एवं उत्तराखंड ऑडिट मैनेजमेंट सिस्टम टीम के रजत मेहरा, नोडल ऑफिसर, ऑडिट सेल उत्तराखंड, तकनीकी निदेशक, एनआईसी नरेन्दर सिंह नेगी उपस्थित थे।

ज्ञातव्य है कि नॉन-प्रोफिट सोसायटी सीएसआई ई गवर्नेस में विभिन्न श्रेणियों में बेहतर कार्य के लिए अवार्ड देती है। उत्तराखण्ड में ई-कैबिनेट की पहल को ई-गवर्नेस की दिशा में बङा कदम मानते हुए अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया है। संस्था द्वारा इसे बेस्ट प्रेक्टीसेज के अंतर्गत अन्य राज्यों के साथ भी साझा किया गया।

उत्तराखण्ड को यह पुरस्कार प्राप्त होने पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गोपन विभाग एवं एनआईसी के अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि गुड गवर्नेस के लिए ई-गवर्नेस बहुत जरूर है। ई-कैबिनेट, ई-ऑफिस, ई-डिस्ट्रिक्ट, सीएम हेल्पलाईन आदि महत्वपूर्ण पहल हैं। कोशिश है कि लोगों को सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक लाभ मिले।

इस अवसर पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने भी ने गोपन विभाग एवं एनआईसी के अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि ई-कैबिनेट की पहल करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है। उत्तराखण्ड में ई-कैबिनेट के मॉडल पर दूसरे राज्यों में भी विचार किया जा रहा है। सचिवालय के लगभग सभी अनुभागों में ई-ऑफिस प्रारंभ किया जा चुका है। सूचना तकनीक के प्रयोग से प्रशासनिक कार्यकुशलता में सुधार हुआ है।

ऋषिकेश की प्रतिभावान कात्यायनी व शिल्पा हुई सम्मानित

उत्तराखंड की प्रतिभाओं को आगे लाने के साथ-साथ उनको सम्मानित कर प्रोत्साहित करने की परंपरा को जारी रखते हुए अतंर्राष्ट्रीय गढ़वाल महासभा ने दिल्ली में जज बनकर देवभूमि को गौरवान्वित करने वाली कात्यायनी शर्मा कंडवाल को सम्मानित किया। उधर ऋषिकेश की बेटी शिल्पा भाटिया के सांख्यिकी अधिकारी बनने पर उसका भी महासभा की और से अभिनंदन किया गया।

महासभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी के नेतृत्व में महासभा से जुड़े पदाधिकारियों ने देहरादून रोड स्थित शिल्पा भाटिया के आवास पर जाकर उसकी सफलता पर उनका अभिनंदन किया गया।इस अवसर पर डॉ नेगी ने कहा कि अर्थ एवं सांख्यिकी अधिकारी पद के लिए आयोजित परीक्षा में सफलता हासिल कर योग नगरी की होनहार बेटी शिल्पा ने देवभूमि का नाम रोशन किया है। इस मौके पर उन्होंने शिल्पा की मां श्रीमती नीलम भाटिया के संघर्षों को भी सलाम किया।इससे पूर्व महासभा के पद्दाधिकारी प्रगति विहार स्थित भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष कुसुम कंडवाल के आवास पर पहुंचे जहां उनकी पुत्रवधू कात्यायनी शर्मा कंडवाल के दिल्ली में जज बनने पर महासभा की ओर से उन्हें शॉल ओढ़ाकर एवं माता रानी के चित्र को भेंटकर सम्मानित किया गया। इस अवसर डॉ शशी कंडवाल, मीनाक्षी भाटिया, उत्तम सिंह असवाल, अंकित नैथानी, मयंक भट्ट, मनोज रौतेला आदि उपस्थित थे।

कर्नल सीएम नौटियाल की पुस्तकों का सीएम ने किया विमोचन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में कर्नल सी.एम. नौटियाल द्वारा लिखित पुस्तकों ‘सतीत्व का श्राप’ एवं ‘ अनुबंध ’ का विमोचन किया।

मुख्यमंत्री ने लेखक के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि समाज को सही राह दिखाना लेखकों एवं साहित्यकारों का दायित्व होता है। इन पुस्तकों में कर्नल नौटियाल ने सतीत्व का श्राप पुस्तक में जहां एक ओर समाज में व्याप्त कुरीतियों को सामने लाने का प्रयास किया है वही यह भी सन्देश देने का प्रयास किया है कि समाजिकता के विरूद्व मनुष्य चाहे अपने किये गये अपराधों को कितना भी छिपाने का प्रयास करें, पीड़ित की अन्तर्रात्मा को पहुंची ठेस का प्रतिफल अपराधी को अवश्य मिलता है। ‘अनुबंध’ उपन्वास में भी लेखक ने मानवीय संवेदनाओं एवं सम्बन्धों को अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई आपदा के दंशों का मानवता पर पड़ने वाले प्रभावों को भी इसमें निरूपित किया गया है।

पुस्तक के लेखक कर्नल सी.एम. नौटियाल ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए पुस्तकों के बारे में जानकारी दी।

सीएम ने मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना का किया शुभारंभ

सोलर फार्मिंग द्वारा स्वरोजगार के लिए उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना का विधिवत शुभारम्भ हो गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार मे आयेजित कार्यक्रम में योजना का शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचलित इस योजना में 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जाएंगी। प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी अनुमन्य होंगे।
बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका, जिलाधिकारी बैंकों से समन्वय बनाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंकों की इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखें। स्वरोजगार योजनाओं को सकारात्मक तरीके से लिए जाने की जरूरत है। डीएलसीसी बैठकों में स्वरोजगार योजनाओं की समीक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता से हो। हम सभी का दायित्व है कि युवा बिना किसी परेशानी के स्वरोजगार योजनाओं से लाभ उठा सकें।
भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक समय न लगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के आवेदन की प्रक्रिया को सरलतम रखा जाए। भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। जो टार्गेट तय किए जाते हैं, वे निर्धारित समयावधि में जरूर पूरे हो जाने चाहिए। संबंधित अधिकारी योजना के प्रति पूरी तरह से समर्पित होकर काम करें। कोविड के कारण व्यर्थ चले गए चार माह की भरपाई अगले आठ माह में करनी है। इसलिए दोगुनी ऊर्जा से काम करना होगा।
स्वरोजगार और हरित ऊर्जा का उत्पादन मुख्य उद्देश्य
सचिव ऊर्जा राधिका झा ने बताया कि प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना, योजना का लक्ष्य है। इसमें 25 किलोवाट क्षमता के ही सोलर प्लांट अनुमन्य किए जाएंगे। राज्य के स्थाई निवासी अपनी निजी भूमि या लीज पर भूमि लेकर सोलर पावर प्लांट की स्थापना कर सकते हैं।
इटीग्रेटेड फार्मिंग से होगी आय
इंटीग्रेटेड फार्मिंग की इस योजना में सोलर पैनल लगाने के साथ उसी भूमि पर मौन पालन, फल, सब्जी और जड़ी-बूटी आदि का उत्पादन भी किया जा सकता है। संयंत्र स्थापित की जाने वाली भूमि पर जलवायु आधारित औषधीय और स्कन्ध पादपों के बीज निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना में 10 हजार परियोजनाएं पात्र आवेदकों को आवंटित किए जाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए वर्षवार और जिलावार लक्ष्यां का निर्धारण एमएसएमई के सहयोग से किया जा रहा है। इसमें एमएसएमई की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत अनुमन्य अनुदान और मार्जिन मनी व लाभ मिल सकेंगे। एमएसएमई के आनलाईन पोर्टल के माध्यम से इच्छुक पात्र व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। इसमें शैक्षिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं होगी। योजना का क्रियान्वयन उरेडा द्वारा किया जाएगा।
परियोजना के तकनीकी मानक
तकनीकी मानकों की जानकारी देते हुए बताया गया कि 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र आवंटित किए जाएंगे। इसके लिए लगभग 1.5 से 2 नाली भूमि की आवश्यकता होगी। 40 हजार रूपए प्रति किलोवाट की दर से कुल लागत लगभग 10 लाख रूपए सम्भावित है। राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है। योजना के अंतर्गत आवंटित परियेजना से उत्पादित बिजली को यूपीसीएल द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (पीपीए) किया जाएगा।
यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध
लाभार्थी सहकारी या किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण ले सकता है। सहकारी बैंक द्वारा इस योजना के लिए 8 प्रतिशत की ब्याज दर पर 15 वर्षों के लिए ऋण दिया जाएगा। चयनित लाभार्थी को अपनी भूमि के भू-परिवर्तन के बाद मोर्टगेज करने के लिए लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। तकनीकी समिति द्वारा उपयुक्त पाए गए आवेदकों को परियोजना का आवंटन जिला स्तर पर करने के लिए जिलाधिकरी की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है। पूरी प्रक्रिया में समय सीमा का विशेष ध्यान रखा गया है। परियोजना आवंटन पत्र मिलने के बाद लाभार्थी द्वारा यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध किया जाएगा। लाभार्थी द्वारा परियेजना आवंटन पत्र, यूपीसीएल के साथ अनुबंध की प्रति, और अन्य आवश्यक अभिलेख जमा कराने के सात दिन के भीतर महाप्रबंधक, जिला उद्योग संबंधित बैंक शाखा को अग्रसारित कर देंगे। इसके 15 दिनों के भीतर बैंक शाखा से स्वीकृति या अस्वीकृति सूचना लाभार्थी को बता दी जाएगी।

अटल टनल का उद्धाटन कर बोले पीएम, पहाड़ के लोगों को पता है दूरी कम होने का मतलब

हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी विश्व की सबसे लंबी सुरंग अटल टनल का शुभारंभ किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टनल का उद्धाटन करते हुए इसे ऐतिहासिक बताया। कहा कि दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। मेरा सौभाग्य है कि अटल टनल का उद्धाटन करने का अवसर उन्हें प्राप्त हुआ है। हिमाचल प्रदेशों के करोड़ों लोगों के साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी का भी सपना साकार हुआ है।

बता दें कि अटल सुरंग दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। इसकी लंबाई 9.02 किलोमीटर है जो मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ेगी। इससे पहले यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग छह महीने तक संपर्क से कटी रहती थी। मगर अब हर मौसम में सफर जारी रहेगा। इस सुरंग से मनाली और लेह के बीच की पीएम मोदी ने कहा कि अटल टनल लेह, लद्दाख की लाइफ लाइन बनेगी। लेह-लद्दाख के किसानों और युवाओं के लिए भी अब देश की राजधानी दिल्ली और दूसरे बाजारों तक पहुंच आसान हो जाएगी। इस अटल टनल से मनाली और केलॉन्ग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी। पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है।

…तो 2040 में पूरा होता टनल का काम
पीएम मोदी ने आगे कहा कि साल 2002 में अटल ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था। अटल सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया। हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था। एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती।

हमने 26 साल का काम छह साल में किया
प्रधानमंत्री बोले, अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई। नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई। सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया।

इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने फीता काटकर सुरंग का उद्घाटन किया। मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग आदि उपस्थित थे।

एक नजर अटल सुरंग पर…
अटल सुरंग को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। मोदी सरकार ने दिसम्बर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था, जिनका निधन पिछले वर्ष हो गया।

…तो क्या महात्मा गांधी के सपनों को संवार रही त्रिवेंद्र सरकार

गांधी ने अपने उत्तराखंड दौरे के दौरान की थी प्रशंसा, बताया था फिल्म शूटिंग के लायक
वर्तमान की त्रिवेंद्र सरकार ने इस महत्वता को न सिर्फ समझा बल्कि फिल्म निर्माताओं को किया आमंत्रित

महात्मा गांधी अक्सर कहा करते थे कि धरती में यदि कहीं स्वर्ग हैं तो वह उत्तराखंड के कौसानी में है। इस बात को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने न सिर्फ अच्छे से समझा, बल्कि मुंबई में बैठे फिल्म निर्माताओं को भी समझा पाने में कामयाबी हासिल अर्जित की। त्रिवेंद्र सरकार की यह कामयाबी ही हैं, कि अब तक बत्ती गुल मीटर चालू, कबीर सिंह, केदारनाथ, जर्सी, कुतुबमीनार आदि करीब 200 से ज्यादा बाॅलीवुड की छोटी-बड़ी फिल्में, टीवी सीरियल, दक्षिण भारतीय फिल्में, वेब सीरिज की शूटिंग हो चुकी है और आगे भी शूटिंग के लिए निर्माता उत्तराखंड का रूख कर रहे हैं। त्रिवेंद्र सरकार की ही बदौलत राज्य को द मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का पुरस्कार भी मिला है। जो वाकई में उत्तराखंड और त्रिवेंद्र सरकार की उपलब्धि को दर्शाता है।

एक नजर त्रिवेंद्र सरकार के फैसले पर
त्रिवेंद्र सरकार के फैसले के मुताबिक उत्तराखंड में शूटिंग को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक अनुमति को सिंगल विंडो सिस्टम के तहत आॅनलाइन आवेदन से किया जाएगा। राज्य सरकार के विभागों के स्तर पर कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा। साथ ही सुरक्षा के लिए पुलिस की उपलब्धता भी त्रिवेंद्र सकरार सुनिश्चित कराएगी। राज्य में फिल्म निर्माण के लिए अनुदान के संबंध में सरकार एक प्राथमिकता सूची तैयार करेगी। इसमें फिल्म की 75 प्रतिशत शूटिंग का उत्तराखंड में किया जाना अनिवार्य होगा। वित्त पोषण फिल्म निर्माण की लागत का 30 प्रतिशत या डेढ़ करोड़ रूपये, जो भी कम हो रहेगा।

जिन फिल्मों की 75 प्रतिशत शूटिंग या कुल आउटडोर शूटिंग की आधे से अधिक शूटिंग उत्तराखंड में होगी, एसजीएसटी लागू होने की तिथि से जमा किए गए एसजीएसटी के 30 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति की जाएगी।

फिल्म शूटिंग होने से राज्य को क्या फायदा
त्रिवेंद्र सरकार का यह मानना है कि राज्य की प्राकृतिक सौंदर्यता कैमरे में कैद होगी तो निश्चित तौर पर विश्व पटल पर उत्तराखंड का कद बढ़ेगा। यही नहीं, राज्य के ऐसे युवा जो फिल्मी दुनिया में अपना कैरियर देखते हैं या इस क्षेत्र का शौक भी रखते हैं। उन्हें शूटिंग में काम मिलेगा। उन्होंने मानना है कि उत्तराखंड के युवाओं ने बाॅलीवुड में मेहनत के बल पर मुकाम हासिल किया है, इनमें हिमानी शिवपुरी, हेमंत पांडेय, उर्वशी रौतेला सहित तमाम लोग शामिल है।

इससे इतर शूटिंग होने से यहां होटल, ढाबों, हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े कामगारों को काम मिलेगा। तमाम हस्तियों के यहां पहुंचने से राज्य के हथकरघा वस्तुओं को भी बढ़ावा मिलेगा और अहम बात यह है कि टूरिज्म को बहुत बढ़ावा मिलेगा। यहां के चार धाम के अलावा अन्य कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनका वर्णन पुराणों में भी वर्णित हैं।

फिल्म सिटी बनने से राज्य का टैलेंट निकलकर आएगा
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के सानिध्य में ही फिल्म सिटी बनाने का प्रस्ताव अब जोर पकड़ने लगा हैं। पूर्व में निर्माता निर्देशक राजकुमार संतोषी फिल्म सिटी बनाने का प्रस्ताव दे चुके है। इसके बाद राज्य में जमीन तलाशने का काम भी जोर पकड़ चुका है। फिल्म सिटी के लिए काफी ज्यादा जमीन की आवश्यकता है साथ ही उस जगह से एयरपोर्ट नजदीक ही होना आवश्यक है। इसके लिए ऋषिकेश के श्यामपुर क्षेत्र में गंगा नदी से सटा इलाके को भी फिल्म सिटी के नजरिए से देखा जा चुका है।

ताजा जानकारी के मुताबिक फिल्म अभिनेत्री भाग्यश्री एवं उनके पति हिमालय दासानी ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की है। उन्होंने उत्तराखण्ड में फिल्म सिटी के क्षेत्र में कार्य करने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा है कि उत्तराखण्ड में फिल्मी हस्तियों का रूझान बढ़ा है। राज्य में युवाओं को फिल्म के क्षेत्र में विभिन्न प्रशिक्षण दिये जाय तो युवा इस क्षेत्र में अच्छा करियर बना सकते हैं।

फिल्म निर्माताओं की पसंद उत्तराखंड ही क्यों
सवाल यह उठता है कि फिल्म निर्माताओं की पंसद उत्तराख्ंाड क्यों बना हुआ है। इसका जवाब भी साफ है, त्रिवेंद्र सरकार निर्माताओं और निर्देशकों को राज्य की नैसर्गिक सौंदर्यता के बारे में बताने में कामयाब रही है। इसके चलते राज्य में अब निर्माताओं का रूख बढ़ रहा है। राज्य की सुंदरता, खास तौर पर प्राकृतिक झरने, वाटर फाॅल, गंगा नदी, खूबसूरत पहाड़, मंसूरी, देहरादून, ऋषिकेश, रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, नैनीताल, नैनी झील, टिहरी झील, कौसानी, बर्फ से ढ़की चोटियां आदि तमाम वह चीजें जो एक फिल्म की लोकेशन के लिए चाहिए। उत्तराखंड में सहज ही मिल जाती है।

एक रूपये प्रति टिकट से भरेगा फिल्म विकास कोष
सिनेमा टिकटों पर एक रुपये प्रति टिकट की दर से फिल्म विकास निधि के रूप में सिनेमा मालिक दर्शकों से वसूलेंगे और इस राशि को कोषागार में जमा कराएंगे। इसका इस्तेमाल क्षेत्रीय, हिंदी और अन्य भाषा की फिल्मों को अनुदान उपलब्ध कराने में किया जाएगा। इससे अवस्थापना सुविधाओं के लिए भी धनराशि दी जाएगी।

क्षेत्रीय फिल्म प्रमाणीकरण परिषद
फिल्मों को प्रोत्साहन देने के लिए क्षेत्रीय फिल्म प्रमाणीकरण परिषद बनाई जाएगी। उत्तराखंड में बनने वाली फिल्मों और क्षेत्रीय भाषाओं में बनने वाली फिल्मों के प्रमाणीकरण की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।

क्षेत्रीय फिल्म के प्रति त्रिवेंद्र सरकार
उत्तराखंड की क्षेत्रीय फिल्मों को सेंसर सर्टिफिकेट मिलने के बाद प्रदेश के सभी सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स स्वामियों को क्षेत्रीय फिल्म को एक सप्ताह तक प्रतिदिन प्रदर्शित करने की अनिवार्यता होगी।

त्रिवेंद्र सरकार कर रही कोरोना संक्रमण पर वार

चीन की लैब से जन्मे कोरोना वायरस ने आज संपूर्ण विश्व को अपनी चपेट में ले रखा है। भारत में ताजा आंकड़ों के अनुसार, अब तक 49,30,236 लोग संक्रमित हो चुके है, जबकि 38,59,399 मरीज कोरोना से जंग जीत चुके है। वहीं, 80,776 ने संघर्ष करते हुए कोरोना से जंग हार ली। उत्तराखंड में नजर डालें तो यहां अब तक एक्टिव केस मात्र 5445 हैं, जो अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम हैं। मगर, इन आंकड़ों से संतुष्ट होने के बजाए इसे रोकना एक चुनौती है और इस चुनौती को उत्तराखंड की त्रिवेन्द्र सरकार ने स्वीकार किया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार लगातार इस मामले में अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। इसके लिए राज्य सरकार ने 104 हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। यहीं नहीं, शुरूआत से ही रावत सरकार ने एक्टिव केस को बढ़ने से रोकने को लेकर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, इनमें राज्य की सीमाओं पर पुलिस की चैकसी है।

कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन के चलते राज्य के ज्यादातर नागरिकों की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है, ऐसे में कोरोना टेस्ट शुल्क व्यय करना भी इन नागरिकों के लिए काफी मुश्किल था। इस मुश्किल दौर में त्रिवेंद्र सरकार ने एक बहुत बड़ा राहत पहुंचाने वाला फैसला लिया। निजी अस्पतालों में अटल आयुष्मान योजना के तहत कोरोना का ईलाज किया जायेगा। यह अन्य रोगों की भांति निःशुल्क होगा। वहीं इस फैसले के अलावा भी प्रदेश के निजी अस्पतालों में केंद्र की ओर से तय दरों का 80 प्रतिशत उपचार शुल्क लिया जाएगा। इसमें 1200 और 2000 रुपये पीपीई किट का खर्च और बिस्तर, भोजन, निगरानी, नर्सिंग देखभाल, डॉक्टरों का परामर्श, कोविड जांच ऑक्सीजन समेत अन्य सुविधाएं भी शामिल हैं।

लोगों में कोरोना के प्रति जागरूकता लाने के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने राज्य की पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं। राज्य में बिना मास्क आवागमन करने वाले लोगों पर पुलिस चालानी कार्रवाई कर मास्क उपलब्ध करवा रही है, तो वहीं, सोशल डिस्टेंस का पालन कराने में भी मित्र पुलिस अहम रोल अदा कर रही है। स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनका मंत्रिमंडल भी इस नियम को फाॅलो कर रहा है।

एक्टिव केस को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार ने अब अहम निर्णय लिया है, इसके चलते नेगेटिव रिपोर्ट के बिना कोई भी राज्य की सीमा पर प्रवेश नहीं कर सकेगा। चार दिन की नेगेटिव रिपोर्ट लेकर आने वालों को क्वांरटीन नहीं होना होगा। रिपोर्ट न होने पर कोविड लोड शहरों से आने वालों को सात दिन संस्थागत क्वारंटीन जबकि अन्य शहरों से आने वालों को 14 दिन के लिए होम क्वारंटीन होना होगा।

इसके अलावा सरकार ने सावन मास की कांवड़ यात्रा को स्थगित किया लेकिन आस्था से कोई समझौता ना करते हुए गंगाजल को अन्य शहरों में उपलब्ध कराया। इससे कोरोना के मामले में बढ़ोतरी होने से बड़ी कामयाब मिली। इसके अलावा त्रिवेंद्र सरकार ने 21 सितंबर से कक्षा नौ और 12वीं तक के छात्रों के लिए खुलने जा रहे स्कूलों पर भी रोक लगा दी है। राज्य सरकार का यह निर्णय कोरोना के मामले को रोकने में महत्वपूर्ण निर्णय साबित हो रहा है। सरकार के इस निर्णय से न सिर्फ अभिभावक बल्कि विशेषज्ञों ने भी सराहा है।

शासन के बड़े अधिकारियों की मानें तो सरकार ने कोरोना की रोकथाम के लिए जिस प्रकार से कार्य किया है वह अन्य राज्यों की तुलना में इक्कीस साबित हुआ है। कोविड सेन्टर के लिए सरकार ने प्राईवेट सेन्टर बनाये है जिनमें कई होटल भी शामिल है। जिससे लोगों को बड़ी राहत मिल रही है। शुरुआत दौर में सरकार को थोड़ा कठिनाई जरुर हुई लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत की इच्छा शक्ति से इस ओर कामयाबी मिली है। निरन्तर जिलाधिकारियों और शासन के उच्च स्तर के अधिकारियों से संवाद और निर्देशन मुख्यमंत्री की कार्यकुशलता को दर्शाता है।

भारत-चीन सीमा पर सेना के जवानों की बढ़ी तादात

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भारत-चीन सीमा पर आईटीबीपी के जवानों की सतर्कता को बढ़ाया गया है। आईटीबीपी की उप महानिरीक्षक अपर्णा कुमार ने बताया कि भारत-चीन सीमा पर सेना और आईटीबीपी के जवान मुस्तैदी के साथ ड्यूटी दे रहे हैं। यहां पूरी सतर्कता बरती जा रही है। उत्तरकाशी जनपद में जिला मुख्यालय से करीब डेढ़ सौ किमी आगे चीन की 117 किमी सीमा लगी हुई है। वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद सरकार ने सीमावर्ती नेलांग और जाढ़ूंग गांव को खाली करवा कर यह क्षेत्र सेना के सुपुर्द कर दिया था।

वर्तमान में सीमा पर नेलांग, जाढ़ूंग, नागा, त्रिपाणी, मंडी, सुमला, पीडीए, थागला-1, थागला-2, मुनिंगलापास, टीसांचुकला आदि सीमावर्ती चैकियों पर भारतीय सेना और आईटीबीपी के जवान मुस्तैद हैं। सीमाओं की निगरानी के लिए भारत की ओर से बॉर्डर इलाके में सड़कों का जाल बिछाया गया है।

शिवतंत्र डाॅक्यूमेंट्री की शूटिंग को सीएम त्रिवेन्द्र ने दी हरी झंडी, पंचकेदार में से किसी एक पर शूटिंग जल्द

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मुख्यमंत्री आवास में फिल्म निर्देशक एवं लेखक करण राजदान ने मुकालात की। उन्होंने कहा सीएम त्रिवेन्द्र से राज्य में बाॅलीवुड फिल्म ‘हिन्दुत्व’ की शूटिंग करने की इच्छा जताई। उन्होंने बताया कि फिल्म की 90 प्रतिशत शूटिंग वे उत्तराखण्ड में करना चाहते हैं। इस फिल्म की शूटिंग जनवरी-फरवरी 2021 में होगी। इसके अलावा उन्होंने उत्तराखण्ड में एक डॉक्यूमेंट्री ‘शिवतंत्र’ की शूटिंग करने की इच्छा जताई।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में फिल्म शूटिंग के लिए सरल फिल्म नीति बनाई गई है। अब एक दिन में भी फिल्म शूटिंग की ऑनलाईन अनुमति दी जा रही है। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड का नैसर्गिक सौन्दर्य एवं प्राकृतिक वातावारण फिल्म की शूटिंग के लिए अनुकूल है। इसलिए फिल्मकारों का रूझान उत्तराखण्ड के प्रति बढ़ा है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने फिल्म निर्देशक करण राजदान को उत्तराखण्ड में फिल्म की शूटिंग की इच्छा पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि डॉक्यूमेंट्री ‘शिवतंत्र’ पर पंच केदार में से किसी भी स्थान पर शूटिंग की जा सकती है।