केंद्र सरकार ने चार वर्षों में दी जीरों टॉलरेंस की सरकारः त्रिवेन्द्र

केंद्र सरकार के चार वर्षों को सफल बताते हुये मुख्यमं़त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने इन चार वर्षों को जनता के प्रति समर्पित रहा। प्रधानमंत्री की ठोस पहल से आज देशवासी अनेकों जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे है।

शुक्रवार को बातचीत में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का न्यू इण्डिया का विजन देश को खुशहाली और तरक्की के रास्ते पर ले जाने के लिये एक बड़ा कदम है। देश ने आर्थिक, सामाजिक समृद्धि एवं विकास की नई ऊँचाइयों को छुआ है। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत देश का स्वच्छता कवरेज 38 प्रतिशत से बढ़कर 83 प्रतिशत हो गया है। गत चार वर्षों में सड़क परिवहन में उल्लेखनीय तेजी से कार्य हो रहा है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के तहत गरीब परिवारों को पांच लाख रूपये तक का बीमा कवरेज दिया जा रहा है। मात्र दो वर्षों के भीतर ही उज्ज्वला योजना के अंतर्गत चार करोड़ महिलाओं को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन देकर धुॅआ मुक्त जीवन दिया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत वर्ष 2022 तक सबको आवास दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है। केन्द्र सरकार द्वारा 1200 अप्रासंगिक कानूनों को खत्म किया जा चुका है। प्रधानमंत्री द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम को प्रभावी तरीके से बढ़ाया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत चार वर्षों में केंद्र सरकार के किसी भी मंत्री पर भ्रष्टाचार संबंधी कोई आरोप नहीं है। जीएसटी से कर प्रणाली एवं व्यापार आसान हो रहा है।

वन विभागीय अधिकारियों को सीएम की फटकार, दिए ये निर्देश

राज्य में बढ़ते तापमान व गर्म हवाओं के चलते वन आग की ज्वाला में धधक रहे है। वनों के इस तरह जलने से आबादी क्षेत्र में रह रहे लोगों में भी दहशत है। वनों में आग बढ़ने पर आबादी क्षेत्र में आने का खतरा बना हुआ है। मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों को वगाग्नि पर ठोस व प्रभावपूर्ण कदम उठाने के निर्देश दिए है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने वन विभाग के अधिकारियों को आडे़ हाथों लेते हुए उनसे पूछा कि उन्होंने क्या तैयारी की थी ? अगर तैयारी पूरी थी तो परिणाम क्यों नहीं मिला ? मुख्यमंत्री ने वन विभाग के नोडल अधिकारी वीपी गुप्ता और डीएफओ पौड़ी को फटकार लगाते हुए कार्यप्रणाली में सुधार लाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को भी हिदायत दी कि अपने जनपदों में वनाग्नि की घटनाओं की जवाबदेही उन्हीं की होगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रभागीय वनाधिकारी की परफॉर्मेंस एप्रेजल रिर्पोट में वनाग्नि की रोकथाम के प्रयासों तथा उनके परिणामों को भी दर्ज किया जाय। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जिलाधिकारियों और वन विभाग, स्थानीय समुदायों को अपने साथ जोड़ें। स्थानीय लोगों की मदद के साथ, वनों की प्रभावी सुरक्षा की जा सकती है।

मुख्यमंत्री ने वनाग्नि की रोकथाम के लिये कुल प्रावधानित बजट 12 करोड़ 37 लाख का 50 प्रतिशत ही जारी किये जाने पर भी सख्त नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने वन विभाग को फटकार लगाते हुए कहा कि, ‘‘आग अभी लगी है, आप पैसा कब के लिये बचा रहे हैं।’’ उन्होंने शेष राशि तत्काल जनपदों देने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारी आपदा प्रबंधन तंत्र तथा आपदा प्रबंधन मद में उपलब्ध धनराशि का भी समुचित प्रयोग करें। सभी जनपदों में आपाद प्रबंधन मद में पांच-पांच करोड़ की धनराशि दी गई है जिसकी 10 प्रतिशत राशि से उपकरण क्रय किये जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों की आग सिर्फ वन विभाग की समस्या नहीं है। अन्तरविभागीय समन्वय कर इससे पूरी क्षमता के साथ लड़ा जाय।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग वर्षा काल का इंतजार न करे और अभी से अपने प्रयासों को तेज करे। जिन जनपदों में एक्टिव फायर की रिपोर्ट नहीं है, उन्हें भी सजग रहने की जरूरत है।
वनाग्नि की घटनाओं में सम्बन्धित नोडल अधिकारी ने बताया कि अभी तक कुल 776 घटनाएं दर्ज हुई है, जिनमें 1271 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। 40 मास्टर कंट्रोल रूम स्थापित किये गये है।

राज्य में आने वाले श्रद्धालु अच्छी छवि लेकर जायेंः त्रिवेन्द्र

उत्तराखंड पयर्टन राज्य है। यहां आने वाले श्रद्धालु राज्य की अच्छी छवि लेकर वापस जाये। शहरी क्षेत्रों की जनता की प्राथमिकता स्वच्छता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजनाएं धरातल पर दिखनी चाहिये। सभी प्रयासों का परिणाम क्या निकला, इस पर बात होनी चाहिये। जनता को परिणाम से सरोकार होता है।

मुख्यमंत्री ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिये निर्धारित गतिविधियों में शीर्ष चार-पांच गतिविधियां चिन्हित कर उन पर पूरा ध्यान केन्द्रित करने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि स्मार्ट सिटी के लिये पूर्व निर्धारित क्षेत्रफल में कुछ वृद्धि करने पडे तो उसका भी प्रस्ताव बनायें। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा विद्युत तार, पेयजल लाईन, सीवर, टेलीफोन आदि हेतु सड़कों की खुदाई कर दी जाती है। इसको रोकने के लिये सभी मुख्य मार्गों पर परमानेंट डक्ट बनाने पर विचार किया जाय। इस डक्ट में समय-समय पर आवश्यकतानुसार तारें-लाइनें डाली जा सकती हैं। उन्होंने मुख्य सचिव को इस दिशा में व्यापक विचार-विमर्श करने के निर्देश भी दिये।   
    
 मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को नसीहत दी कि वे चार पहिया वाहनों के स्थानों पर दो पहिया वाहनों के द्वारा भीडभाड वालों इलाकों में जाकर स्वच्छता, ट्रैफ़िक आदि का हाल जाने। मुख्यमंत्री ने मार्च 2019 तक प्रधानमंत्री आवास योजना हेतु एक लाख 4971 लाभार्थियों को आवास अनुमन्य करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर गरीब को घर देना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। वर्ष 2022 तक सबके लिये आवास के प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करना है। उन्होंने कहा कि यदि दिशा में मौजूदा आवास नीति में कोई प्रावधान आड़े आ रहे हो तो नीति में संसोधन भी किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी तथा सभी जिलाधिकारियों को जिला स्तरीय बैंकर्स कमेटी की मीटिंग में इस तथ्य को को उठाने को कहा। उन्होंने कहा कि बैंकों द्वारा निरस्त किये गये आवदनों की रैण्डम जांच जिलाधिकारियों स्वयं करें।

वन पंचायतों की क्षमता विकास पर देंगे विशेष बलः सीएम

सचिवालय में वन विभाग की समीक्षा बैठक लेते वक्त सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि जो वन पंचायतें अच्छा कार्य कर रही है। उन्हें जिला व प्रदेश स्तर पर सम्मानित किया जायेगा। साथ ही वन पंचायतों की क्षमता विकास पर विशेष बल दिया जाये।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड वन संसाधन प्रबन्धन परियोजना के तहत जिन 750 वन पंचायतों का चयन किया गया है, इनमें जल संरक्षण, उन्नत किस्म के पौध रोपण एवं आर्गनिक उत्पादों को अधिक बढ़ावा दिया जाए। वन पंचायतों के लिए जो पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं, उनमें फलदार वृक्ष, चारा प्रजाति, औषधीय वृक्ष उपलब्ध कराये जाएं। वृक्षों को पानी की उपलब्धता के लिए वर्षा जल संचय की व्यवस्था भी की जाए। परम्परागत तरीको से जल संरक्षण के लिए चाल-खाल, तालाब एवं चैक डेम बनाये जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में वहां की पारिस्थितिकी के अनुसार वृक्षारोपण, मसालों की खेती, एरोमैटिक खेती आदि पर कार्य किया जाए। जिससे वन पंचायतों को आर्थिक लाभ हो सके एवं लोगों की आजीविका में वृद्धि हो सके। वन पंचायतों के अन्तर्गत पेयजल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण का कार्य भी किया जाए। उन्होंने कहा कि जितने भी कार्य किये जा रहे हैं, उनकी जियो टैगिंग की जाए। इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए सभी सम्बन्धित विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण (उत्तराखण्ड कैम्पा) के तहत वनों के संरक्षण, संवर्द्धन, मृदा एवं जल के संग्रहण तथा सूख रहे जल स्रोतों के पुनरोद्धार के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई जाये। उन्होंने कहा कि कैम्पा के अन्तर्गत स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए वृक्षारोपण एवं उनका अनुरक्षण, जल संरक्षण से सम्बन्धित कार्यों पर अधिक बल दिया जाए।

नमामि गंगे की बेवसाईट का सीएम ने किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पेयजल योजनाओं और नमामि गंगे की बेवसाईट का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने विद्यालयों में बच्चों के लिये स्वच्छता पर आधारित पाठय सामग्री का भी विमोचन किया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जल संकट की चुनौती से लड़ने के लिए विशेष प्रयासों की जरूरत है। आने वाले समय में जल संकट विश्व के समक्ष एक गम्भीर समस्या होगी। जल के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए हमें अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक सोच के साथ कार्य करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए राज्यों को आपस में मिलकर विचार करना होगा। मुख्यमंत्री ने हिमाचल, हरियाणा, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्रियों से बात की है। टिहरी के जलाशय के कारण गंगा का जल स्तर सही बना हुआ है। जल संरक्षण के लिए वॉटर कॉपर्स बनना चाहिए। विभिन्न माध्यमों से वर्षा जल का संग्रहण करना आवश्यक है, ताकी पीने के पानी एवं सिंचाई के लिए पानी की पूर्ति हो सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण राज्य सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है पिछले एक साल में देहरादून में तीन झील बनाने का निर्णय लिया गया। जिसमें सूर्यधार का टेंडर हो गया है, सौंग के लिए बजट का प्रावधान कर लिया गया है, जबकि मलढ़ूंग की डीपीआर तैयार हो रही है। पिथौरागढ़, अल्मोड़ा एवं पौड़ी में भी झील बनाने का निर्णय लिया है। इन झीलों के माध्यम से जल संरक्षण भी होगा और ईको सिस्टम भी ठीक होगा।

उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए लक्ष्य पहले से निर्धारित होना चाहिए। पिछले वर्ष 25 मई से जल संरक्षण को जो अभियान चलाया गया, उससे 40 करोड़ लीटर पानी का संरक्षण हुआ है। इस वर्ष 70 करोड़ लीटर जल संरक्षण का लक्ष्य रखा गया है। राज्य सरकार ने रिस्पना नदी एवं कुमांऊ की लाइफ लाइन कोसी को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा है। इनके पुनर्जीवीकरण का कार्य मिशन मोड पर किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष लगभग 200 करोड़ रूपये जल संग्रहण एवं उससे सम्बन्धित योजनाओं पर खर्च किये जायेंगे। सरकारी आवासों से रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की शुरूआत की जा रही है।

पेयजल मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि वैश्विक स्तर पर लगातार पेयजल की कमी की समस्या बढ़ती जा रही है। पेयजल की समस्या के निदान को विश्व बैंक पोषित अर्द्धनगरीय क्षेत्र के रूप में प्रदेश के 07 जनपदों के चिन्ह्ति 35 अर्द्धनगरीय क्षेत्रों के लिए मानक के अनुरूप पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया है। वर्ष 2022 तक हर घर में शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिये योजनायें बनाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि विकास की दौड़ के कारण पर्यावरण को जो क्षति पहुंच रही इससे भविष्य में गहरे जल संकट की समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। जल संरक्षण के लिए हमें सुनियोजित तरीके से उपाय तलाशने होंगे।

उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड में जल संरक्षण के लिए इस वर्ष 15 प्रोजेक्ट लिये गये हैं। वर्षा जल संरक्षण व संवर्द्धन का कार्य विभिन्न बड़े सरकारी आवासों से किये जा रहे हैं। नमामि गंगे योजना के तहत गंगा को गंगोत्री से उतराखण्ड की अन्तिम सीमा तक स्वच्छ रखने का राज्य सरकार का लक्ष्य है। गंगा किनारे उत्तराखण्ड में जो 132 गांव आते हैं, उन्हें गंगा गांव की श्रेणी दी गई है। गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने होंगे।

संत समाज दें सीएम त्रिवेन्द्र को अपना आशीर्वादः योगी

अपने गुरू गोरक्षनाथ के ऋषिकेश स्थित मंदिर पहुंच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरू गोरक्षनाथ की मूर्ति का अनावरण किया। इस मौके पर मौजूद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की योगी ने सराहना की। उन्होंने संत समाज से सीएम त्रिवेन्द्र सिंह को अपना आशीर्वाद देने को कहा। तभी सीएम त्रिवेन्द्र ने भी योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुये कहा कि योगी के सीएम बनने के बाद से ही गुंडाराज समाप्त हो गया है। राज्य की जनता अब सुकुन से रह पा रही है, तो वह सीएम योगी की बदौलत ही।

ऋषिकेश स्थित श्री गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में गुरु की मूर्ति का अनावारण यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया। इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तराखंड में जन्मभूमि रही है। मेरी भावनात्मक यादें यहां से जुड़ी है। उन्होंनें कहा कि पूरे देश को गंगा और यमुना उत्तराखंड की ही देन है।

उत्तराखंड सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की सराहना कर योगी बोले कि उत्तराखंड किस तरह से आध्यात्मिक और भौतिक रूप से समृद्ध बने इसके लिये प्रदेश सरकार गंभीर है। उन्होंने संत समाज से त्रिवेन्द्र सिंह रावत को अपना आशीर्वाद देने को कहा।

वहीं उत्तराखंड सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा योगी आदित्यनाथ समस्या के समाधान में विश्वास रखते हैं। उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के एक वर्ष के भीतर उन्होंने यूपी से गुंडाराज का खात्मा कर दिया। उन्होंने कहा कि संत किसी एक का नहीं, सबका होता है। पूरे देश में योगी हिंदुत्व की ध्वज पताका फैला रहे हैं।

इस दौरान योगी आदित्यनाथ की बहन शशि को भाई के यहां आने की खबर मिली। तो वह अपने को रोक न सकी और पहुंच गयी अपने भाई यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने। योगी भी अपनी बहन को देख भावुक हो उठे और उन्हें अपने पास बुलाकर बातचीत कर हाल जाना। योगी बहन शशि ने बताया कि योगी के यहां आने की सूचना उन्हें मीडिया के जरिये मिली।

इससे पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऋषिकेश पहुंच कर सर्वप्रथम श्री गोरक्षनाथ मंदिर में नाथ परंपरा के गुरु योगेंद्र शैलेंद्र शीलनाथ की समाधि पर पुष्प अर्पित किये। उन्होंने बताया कि गुरु शील नाथ ने ऋषिकेश में समाधि ली।

पैतृक गांव पहुंच सेना प्रमुख ने खिंचवाई पुराने साथियों के साथ फोटो

अपने पैतृक गांव पहुंचे सेना प्रमुख जनरल रावत ने कुलदेवता गूल के दर्शन किये। इस दौरान उन्होंने न केवल गांव के लोगों के साथ फोटो खिंचवाई। साथ ही गंाव के पलायन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंनंे गांव के लोगों को हर संभव मदद का भरोसा भी दिया।

जनरल रावत ने परिजनों से गांव की समस्याओं पर चर्चा की। गांव के लोगों से उन्होंने खेती, रोजगार और पलायन जैसे मुद्दों पर बात की। जनरल रावत के परिवार के लोगों से बातचीत में उन्होंने गांव में घर बनाने की इच्छा जताई तो उनके चाचा भरत सिंह रावत ने उन्हें गांव में जमीन भी दिखायी। जनरल ने चाचा भरत सिंह के आवास के समीप ही एक खेत में घर बनाने पर सहमति जताई।

गांव में करीब दो घंटे का वक्त गुजारने के बाद जनरल रावत रात के लिए लैंसडाउन लौट गए। गांव से लौटते हुए जब जनरल रावत पत्नी मधुलिका के साथ बाहर सड़क पर पहुंचे तो वहां बड़ी संख्या में मौजूद महिलाओं से हालचाल पूछा और दोबारा गांव आने की बात कही। जनरल रावत ने बच्चों के लिए कोटद्वार में आर्मी पब्लिक स्कूल खोलने की बात कही।
इसके साथ ही उन्होंने अपने गांव तक सड़क बनाने के लिए भी राज्य सरकार से बात करने की बात कही। कोटद्वार में जनरल रावत और उनकी पत्नी ने गढ़वाल रेजिमेंट के जवानों के लिए आवास बनाने की योजना की आधारशिला भी रखी।

पौड़ी जनपद के द्वारीखाल विकासखंड में स्थित सैण गांव में जनरल रावत का पैतृक गांव है। जनरल रावत ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए रोजगार देने वाली योजनाओं को गांवों में लाना होगा। उनकी पत्नी मधुलिका रावत ने उम्मीद जताई कि अगली बार जब वो गांव आएंगी तो तब उनके गांव तक सड़क बन जाएगी।

खुशखबरी! सरकार ने पीआरडी जवानों के मानदेय में की वृद्धि

त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार ने पीआरडी के तीन हजार से अधिक जवानों के मानदेय में प्रतिदिन 50 रूपये की वृद्धि करने पर मुहर लगाई है। सरकार के इस फैसले के बाद पीआरडी जवानों को अब 450 रूपये मानदेय मिल सकेगा।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 12 बिंदुओं पर निर्णय लिया गया। सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि उपनल के माध्यम से राज्य सरकार के निगमों, निकायों, महकमों समेत विभिन्न प्रतिष्ठानों में कार्यरत 18371 और केंद्र सरकार के विभिन्न प्रतिष्ठानों में कार्यरत 2677 समेत कुल 21048 कार्मिकों के मूल वेतन में प्रतिमाह 1500 रुपये की वृद्धि करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

उपनल के जरिये सभी चार श्रेणियों अकुशल, अर्द्धकुशल, कुशल एवं उच्च प्रशिक्षित कार्मिकों के लिए यह वृद्धि लागू होगी। उन्होंने बताया कि उक्त चारों श्रेणियों में कार्मिकों को अभी मूल वेतन के रूप में क्रमशरू 5608 रुपये, 6655 रुपये, 7540 रुपये व 8540 रुपये निर्धारित हैं। अन्य भत्ते शामिल करने के बाद कुल मानदेय की राशि बढ़कर क्रमशरू 8680 रुपये, 10187 रुपये, 11461 रुपये, 12899 रुपये होती है। लेकिन इस मानदेय में श्रेणीवार क्रमशरू 1884 रुपये, 2229 रुपये, 2522 रुपये व 2851 रुपये की राशि की कटौती के बाद उपनल कार्मिकों को मानदेय का भुगतान किया जाता है।

मंत्रिमंडल ने उपनल के साथ ही पीआरडी जवानों को भी राहत देने का निर्णय लिया। हालांकि, पीआरडी जवानों के मानदेय में वृद्धि को लेकर संबंधित विभाग की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया था, लेकिन मंत्रिमंडल ने उनके मानदेय में भी प्रति दिन 50 रुपये की बढ़ोतरी का निर्णय लिया। पीआरडी में फिलवक्त तीन हजार से ज्यादा जवान कार्यरत हैं। इन जवानों को अभी प्रतिदिन 400 रुपये मानदेय दिया जा रहा है।

स्थानीय लोगों की आपदा प्रबंधन में अहम भूमिकाः सीएम

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक की अध्यक्षता करते हुये मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत बोले कि सभी जिलाधिकारियों को वर्षाकाल से पूर्व आपदा से निपटने के लिये पांच-पांच करोड़ रूपये दे दिये जाये। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों की आपदा प्रबंधन में अहम भूमिका रहती है। स्थानीय लोगों को आपदा से निपटने को प्रशिक्षण दिया जाये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन महिला मंगल दलों एवं युवा मंगल दलों को आपदा से राहत व बचाव की ट्रेनिंग दी गई हैं, उन्हें समय-समय पर पुनः प्रशिक्षित किया जाए। स्थानीय स्तर पर आपदा राहत एवं बचाव के लिए आवश्यक उपकरणों की पूर्ण व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम (आईआरएस) को और अधिक सुदृढ़ बनाया जाए। अर्ली वार्निग सिस्टम को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील स्थलों पर विशेष सुरक्षा बरतने के निर्देश दिये। उन्होंने भूकम्प की दृष्टि से अति संवेदनशील संस्थानों को चिन्हित करने एवं उससे बचाव के लिए प्रभावी उपाय तलाशने को कहा। उन्होंने कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों में संचार सुविधा को बढ़ाने के लिए बैलून तकनीक विकसित की जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से रात्रि के समय आपदा राहत एवं बचाव के लिए की जा रही तैयारियों की जानकारी प्राप्त की।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने बैठक के दौरान उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की वेबसाइट व लोगो का विमोचन किया तथा आईआरएस से संबंधित मोबाईल एप्लीकेशन को लॉच किया। इसके अलावा उन्होंने सैन्डई रूपरेखा, आईआरएस के कॉफी टेबल बुक, युवक एवं महिला मंगल दल प्रशिक्षण, एनडीएम के सहयोग से संचालित आपदा सुरक्षा मित्र योजना एवं आईआरएस चेकलिस्ट पुस्तिकाओं का विमोचन भी किया। मुख्यमंत्री ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के लोगो के डिजाइन के लिए कंपीटिशन जीतने वाले नरेन्द्र तोमर को 25 हजार रूपये की धनराशि एवं प्रमाण पत्र प्रदान किया। आपदा में सर्च एवं रेसक्यू में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले युवाओं को सम्मानित भी किया गया।

तेल उत्पादक देशों को खरीददार देशों का भी ख्याल रखना होगा

ऊर्जा क्षेत्र के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन इंटरनेशनल इनर्जी फोरम-16 (आईईएफ-16) का उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अगर समाज के सभी वर्ग को किफायती दरों पर ऊर्जा नहीं उपलब्ध कराया गया, तो तेल उत्पादक देशों का ही घाटा होगा। मोदी जब यह बात कह रहे थे तब उनके आस-पास ओपेक (तेल उत्पादक देशों के संगठन) के महत्वपूर्ण सदस्य सउदी अरब, इरान, नाइजीरिया, कतर के मंत्री बैठे थे। उन्होंने यह भी कहा कि अगले 25 वर्षो तक भारत में ऊर्जा की मांग में सालाना 4.2 फीसद की बढ़ोतरी होगी जो विश्व में और कहीं नहीं होगी।

आईईएफ में वैसे तो 72 देश सदस्य हैं, लेकिन इस बैठक में 92 देशों के सदस्य हिस्सा ले रहे हैं। मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में जहां ऊर्जा क्षेत्र में भारत की बढ़ती अहमियत को मजबूती से रेखांकित किया। वहीं तेल उत्पादक देशों को साफ तौर पर संकेत दिया कि अब तेल खरीददार देशों के हितों का भी ख्याल रखना होगा। सिर्फ तेल उत्पादक देशों के हितों से यह बाजार नहीं चलेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि, बहुत दिनों से तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव चल रहा है। अब हमें कीमत ज्यादा समझदारी से तय करनी होगी जो उत्पादकों के साथ ही ग्राहकों के हितों में हो। ऐसा होने पर ही हम समूचे मानव समाज की ऊर्जा जरुरत को पूरा कर सकेंगे। पूर्व में जब भी तेल कीमतों को बाहरी दबाव बना कर बदला गया है तब यह उत्पादकों के लिए भी उल्टा साबित हुआ है। पीएम मोदी ने देश की ऊर्जा सुरक्षा को संरक्षित रखने के लिए चार सूत्रीय मंत्र भी दिया।

भारत अभी कच्चे तेल का सबसे बड़े खरीददार देशों में है। यहां अभी भी कुल खपत का 80 फीसद से ज्यादा आयात होता है। यह एक वजह है कि तमाम बड़े तेल उत्पादक देश भारत में उम्मीद खोज रहे हैं। तकरीबन चार वर्षो तक क्रूड की कीमतों में नरमी के बाद अभी यह 71 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया है। दो साल पहले यह 42 डॉलर था। इसका असर यह हुआ है कि भारत में अभी पेट्रोल व डीजल की कीमतें पिछले चार वर्षो के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। नई दिल्ली में पेट्रोल 73.98 रुपये प्रति लीटर व डीजल 64.96 रुपये है। इसके लिए उत्पाद शुल्क में भारी वृद्धि भी जिम्मेदार है। जिसे घटाने के लिए सरकार अभी तैयार नहीं दिखती है। यह एक वजह है कि मोदी तेल उत्पादक देशों को भारत में तेल व गैस की बढ़ती मांग का हवाला दे रहे हैं। अगर कीमतें ज्यादा बढ़ेंगी तो इनकी खपत भारत में कम हो सकती है जिसका खामियाजा तेल उत्पादक देशों की मांग पर पड़ेगा।