क्या वेंकैया नाडयू फिर फेरेंगे विपक्ष के मंसूबों पर पानी?

नई दिल्ली।
कांग्रेस की अगुवाई में 18 विपक्षी दलों द्वारा गोपाल कृष्ण गांधी को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाए जाने के बाद बीजेपी पर दबाव था कि इस पद के लिए किसी कद्दावर शख्सियत को मैदान में उतारे। आखिरकार बीजेपी ने वेंकैया नाडयू पर दांव खेला। नायडू पार्टी और एनडीए के लिए संकटमोचक रहे हैं फिर भी उनपर उपराष्ट्रपति के लिए दांव खेलने का फैसला बीजेपी का बहुत सोच-समझकर लिया गया फैसला है।
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। ऐसे में नायडू के लंबे संसदीय अनुभव का लाभ मिलेगा। उनकी जीत तय मानी जा रही है। वह अबतक के सभी उपराष्ट्रपतियों में राज्यसभा का सबसे ज्यादा अनुभव रखने वाले होंगे। इसके अलावा वह संसदीय कार्य मंत्री भी रहे हैं। अबतक कोई भी उपराष्ट्रपति संसदीय कार्यमंत्री नहीं रहा है। मोदी सरकार को राज्यसभा के उपसभापति के तौर पर उपराष्ट्रपति पद की संवेदनशीलता का बखूबी अंदाजा है और यह उसके फैसले में भी झलक रहा है।
वेंकैया नायडू 1998 से अब तक लगातार राज्यसभा का सदस्य रहे हैं। उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के बाद उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया है। उन्होंने राज्यसभा में कर्नाटक और राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया है, इस तरह उन्होंने सदन में उत्तर और दक्षिण भारत दोनों का प्रतिनिधित्व किया है। वह बीजेपी के कद्दावर नेता रहे हैं। उनके पास राजनीतिक, संसदीय और प्रशासनिक तीनों अनुभव हैं।
राज्यसभा में अपने सबसे ज्यादा अनुभवी सदस्यों में से एक को उपराष्ट्रपति पद के लिए उतारकर मोदी सरकार ने इस पद की अहमियत को तवज्जो दिया है। इसके अलावा नायडू की ईमानदारी भी संदेह से परे हैं। एक किसान के बेटे वेंकैया नायडू ग्रासरूट लेवल से उठे हैं और आज वह जो कुछ भी हैं उसके पीछे उनकी मेहनत और लगन है।
नायडू विधायक और सांसद रह चुके हैं। एक राष्ट्रीय दल के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह केंद्र में शहरी विकास के साथ-साथ ग्रामीण विकास मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं, इससे वह ग्रामीण भारत और शहरी भारत दोनों के आकांक्षाओं से अच्छी तरह परिचित हैं। नायडू को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने राजनीतिक शख्स को इस उच्च संवैधानिक पद पर बैठाने की अपनी प्रतिबद्धता को दिखाया है। इससे पहले बीजेपी ने लंबे संसदीय जीवन वाले अपने कद्दावर नेता भैरो सिंह शेखावट को इस पद के लिए चुना था।

कौन थे दीनदयाल उपाध्याय के सवाल पर घिरे आईएएस

छत्तीसगढ़।
कांकेर जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ शिव अनंत तायल ने बीते दिनों फेसबुक पर एक सवाल किया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय कौन थे, उनकी उपलब्धि क्या थी? आईएएस का यह सवाल शासन को इतना खटका कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की उपलब्धियों की जानकारी देने के लिए 5 करोड़ की किताबें छपवा दी र्गइं। वह भी बिना टेंडर निकाले।
फेसबुक वॉल की इस टिप्पणी के कारण तायल को कांकेर से हटाकर मंत्रालय में अटैच कर दिया गया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी पर पंचायतों की मूलभूत राशि से 13 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बना दी गई और उनकी जीवनी पर आधारित 15 खंड की किताब भी प्रकाशित करवा दी गई जबकि, नियम के मुताबिक इसके लिए टेंडर निकालना चाहिए था। लेकिन गुपचुप तरीके से 5 करोड़ रुपए खर्च कर 10 हजार 971 पुस्तकों का प्रकाशन दिल्ली के प्रभात प्रकाशन से करा दिया गया। जिम्मेदारों की दलील है, जो भी हुआ है, वह शासन के निर्देश पर ही हुआ है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25 सिंतबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशताब्दी मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके लिए आनन-फानन में एक समिति का गठन भी कर लिया गया। इसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक पुस्तक देने का फैसला किया गया, जिसे पंचायत के आत्मानंद वाचनालय को सौंपा जाएगा।

संसदीय नियमों के अनुसार मायावती का इस्तीफा नामंजूर होने के आसार!

राज्यसभा में बोलने की इजाजत न मिलने पर भड़कीं बसपा सुप्रीमो ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। मायावती ने राज्यसभा सभापति के दफ्तर पहुंचकर बाकायदा तीन पेज का इस्तीफा सौंपा. हालांकि, वहां मौजूद कांग्रेस और बीएसपी सांसदों ने उन्हें मनाने की कोशिश की, बावजूद इसके मायावती अपने स्टैंड पर कायम नजर आईं और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। मगर, बड़ा सवाल है कि क्या मायावती का इस्तीफा मंजूर होगा?
ये सवाल इसलिए भी जरुरी है क्योंकि संसद की सदस्यता से इस्तीफा देने के लिए जो नियम हैं, मायावती ने उनका पालन नहीं किया है। नियम है कि संसद के दोनों सदनों का कोई भी सदस्य जब अपनी सदस्यता से इस्तीफा देता है तो महज एक लाइन में लिखकर संबंद्ध चेयरमैन या स्पीकर को सौंपना होता है। जबकि इसके उलट मायावती ने जो इस्तीफा राज्यसभा सभापति के ऑफिस जाकर सौंपा वो तीन पन्नों का है।
नियम के मुताबिक इस्तीफे के साथ न ही कोई कारण बताया जाता है और न ही उस पर कोई सफाई दी जाती है। कोई भी संसद सदस्य इस्तीफा देते वक्त इस्तीफा देने का कारण त्यागपत्र में नहीं लिख सकता है।

पहले भी इस्तीफा हुआ है नामंजूर
रोड रेज की घटना में दोषी पाए जाने के बाद 2006 में तत्कालीन लोकसभा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दिया था। मगर सिद्धू का इस्तीफा तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने नामंजूर कर दिया था। जिसके बाद सिद्धू ने दोबारा बिना कोई कारण बताए अपना त्यागपत्र स्पीकर को दिया, जिसे मंजूर कर लिया गया था।
यही नही, नवंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सतलुज यमुना लिंक नहर पर निर्माण कार्य जारी रखने का फैसला दिया था। इस फैसले से नाराज होकर तत्कालीन कांग्रेस सांसद कैप्टन अमरिंदर सिंह लोकसभा स्पीकर को अपना इस्तीफा भेज दिया था। कैप्टन अमरिंदर ने अपने त्यागपत्र में इस्तीफा देने के कारण की व्याख्या भी की थी, जिसे उपयुक्त न मानते हुए मंजूर नहीं किया गया था।

भाजपा के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे वेंकैया नायडू

बीजेपी ने उपराष्ट्रपति पद के लिए केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी है। लेकिन 31 मई को जब नायडू से उप-राष्ट्रपति उम्मीदवारी को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा था कि वह ना तो राष्ट्रपति बनना चाहते हैं, और ना ही उपराष्ट्रपति वह ऊषा के पति होकर ही खुश हैं। दरअसल, ऊषा वेंकैया की पत्नी का नाम है और नायडू ने अपनी पत्नी के नाम का उदाहरण देकर खबरों पर विराम लगा दिया था। तब नायडू के अलावा लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, नजमा हेपतुल्लाह और शरद यादव सहित कई अन्य नेताओं के नाम रेस में बताए जा रहे थे। हालांकि सोमवार को अपने नाम के ऐलान से ठीक पहले नायडू ने कहा था कि पार्टी अगर उन्हें नाम पर विचार करती है तो उन्हें पार्टी का फैसला मंजूर होगा। भाजपा दक्षिण राज्यों में मजबूत होना चाहती है, इस लिए हाईकमान ने वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है।

सेक्स रैकेट का अड्डा बन रही राजधानी देहरादून

देहरादून।
पटेल नगर पुलिस थाना क्षेत्र के तेलपुरा में एक मकान से देह व्यापार के एक अड्डे का भंडाफोड किया है। पुलिस ने मौके से रैकेट संचालिका समेत पांच युवतियों को पकडा है। संचालिका दीपा नेगी पत्नी रवि आनन्द निवासी निवासी तेलपुर पटेलनगर देहरादून से प्रारंभिक पूछताछ में पुलिस को पता लगा है कि बंधे ग्राहकों की मांग पर इन युवतियों की व्यवस्था देहरादून से लेकर कोलकाता, नेपाल, दिल्ली और आसाम से व्यवस्था की गई है।
सूचनाओं के आधार पर पुलिस ने देर रात्रि छापा मारा। मकान के अलग-अलग कमरों में कुछ लोगों को युवतियों के साथ आपत्तिजनक दशा में पाया गया। यहां पुलिस दल को सात ग्राहक विक्टर डेनियल पुत्र जोसफ निवासी चूना भट्टा थाना रायपुर देहरादून, विवेक पुत्र सिदम निवासी गंगोह थाना गंगोह जिला सहारनपुर, जोनु दीप पुत्र विश्वास निवासी देवबंद चुंगी के पास जिला सहारनपुर, सतीश श्याम लाल निवासी रोड़ी बेलवाला दीन दयाल पार्क हरिद्वार, रजत शर्मा पुत्र विनोद कुमार शर्मा निवासी वेहट जिला सहारनपुर, कपिल उर्फ चीनू पुत्र किशन लाल निवासी दूंन एन्क्लेब पटेलनगर देहरादून, प्रवीण पुत्र बलवन्त निवासी कंचन जंगा अपार्टमेंट नई दिल्ली, रेैकेट संचालिका दीपा नेगी पत्नी रवि आनन्द निवासी तेलपुर पटेलनगर देहरादून, 03 कण्डोम के पैकेट, 51 हजार एक सौ रूपये, 14 मोबाइल, अलग-अलग कंपनियों के सिम कार्ड और पांच युवतियां जोया खान पुत्री शेख मुशी निवासी कालीबाड़ी थाना काली वाड़ी कलकत्ता उम्र 20 वर्ष, रोशनी पुत्री नरेन्द्र शर्मा निवासी काकर वीटा नेपाल उम्र 22 वर्ष, रूमी पुत्री नरेश निवासी गोवाहाटी आशाम हाल पता जोगीवाला देहरादून उम्र 19 वर्ष, अनु शेख पत्नी प्रदीप निवासी बांग्लादेश, हाल पता कापा शेरा बोडर दिल्ली उम्र 18 वर्ष, रेशमा पुत्री साहजहां निवासी चांदमारी थाना दिसपुर जिला गोवाहाटी आशाम मिली। पुलिस ने इस मामले में अनैतिक देह व्यापार निरोधक अधिनियम मेें मुकदमा दर्ज किया है।

श्रावणमास में खिले केदारघाटी के व्यापारियों के चेहरे

बाबा का धाम फिर से गुलजार होने लगा है। सावन के महीने में बड़ी संख्या में भक्त केदारनाथ धाम को पहुंच रहे हैं। बरसात और भूस्खलन के आगे श्रद्धा भारी है। तीर्थयात्रियों की आमद बढ़ने से केदारपुरी भी गुलजार होने लगी है और व्यापारियों के चेहरों पर भी मुस्कान लौट आई है। वहीं मंदिर समिति की आय में भी इजाफा हो रहा है।
पिछले कुछ दिनों से बरसात होने के कारण केदारनाथ धाम में भक्तों का अकाल पड़ गया था। यात्रियों की संख्या नगण्य होने से व्यापारियों के चेहरों पर भी उदासी थी और मंदिर समिति की आय में भी कोई इजाफा नहीं हो रहा था। मगर अब सावन के महीने में बाबा का धाम फिर से गुलजार होने लगा है। तीर्थयात्रियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। एक-दो दिनों से केदार धाम पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या एक से दो हजार के पार पहुंच रही है, जबकि पिछले दिनों दो से तीन सौ के करीब तीर्थयात्री ही बाबा के दरबार में पहुंच रहे थे। सोमवार को दो हजार तीन सौ 16 तीर्थयात्रियों ने बाबा केदार के दरबार में पहुंचकर मत्था टेका। जिससे यात्रा का आंकड़ा तीन लाख 81 हजार 154 पहुंच गया है।
केदारनाथ में जलाभिषेक करने का विशेष महातम्य है। जो भक्त सावन मास में यहां पहुंचकर भगवान भोले को जल के साथ ब्रह्मकमल चढ़ाता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती ने कहा कि सावन माह में केदारनाथ बाबा के दरबार में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। भारी बारिश के बावजूद भी तीर्थयात्री केदार धाम को पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाबा केदार के प्रति श्रद्धालुओं की अगाध आस्था है। प्रशासन से यात्रा मार्गों को दुरूस्त करने की मांग की है।

नई करेंसी के छपाई का खर्च छिपा रही केन्द्र सरकार

देहरादून।
जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन ने पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा नोटबंदी लागू किये जाने से लेकर लगभग 6-7 माह तक भी नई करेंशी छपाई के खर्च का ब्यौरा उपलब्ध न होना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है।
पत्रकार वार्ता में रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि नई करेंशी (500 व 2000 रू0 के नोट) की छपाई में आने वाले खर्च का ब्यौरा भारतीय रिजर्व बैंक के पास न होना, बैंक नोट मुद्रणालय, देवाश, मध्य प्रदश के अनुसार नोटों की छपाई के खर्च का आंकलन अभी तक नहीं किया जाना तथा वहीं चालार्थ पत्र मुद्रणालय के अनुसार नई करेंशी के खर्च का ब्यौरा दिये जाने से देश की एकता, अखण्डता, सुरक्षा इत्यादि का खतरा बताकर देश की जनता को गुमराह किया जाना जैसा है। बड़ी हैरानी की बात है कि कितनी संख्या में 500 व 2000 रू0 के नोट छापे गये तथा उनकी छपाई में कितना खर्च आया, नोटबंदी लागू किये जाने सम्बन्धी के पत्र का रिजर्व बैंक के पास न होना सभी बहुत ही गम्भीर स्थितिया हैं। आलम है कि आज रिजर्व बैंक सरकारी बैंक न होकर प्राईवेट बैंक बन चुका है। आज केन्द्र की भाजपा सरकार देश की जनता को गुमराह कर रही है तथा अपने गुनाह/कुकृत्य छिपाने के लिए इन संस्थाओं के हाथ बांध दिये हैं, जो कि बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है।

बिहार के विधायक ने भी उत्तराखंड में वोट डाला

देहरादून।
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सोमवार को देहरादून में विधानसभा भवन में सुबह दस बजे से मतदान का सिलसिला शुरू हो गया था। सतपाल महाराज ने सबसे पहले विधानसभा भवन में मतदान किया। दोपहर करीब 12 बजे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी मतदान किया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राष्ट्रपति के चुनाव में रामनाथ कोविंद की जीत तय है। बिहार के आरजेडी विधायक विरेंद्र कुमार सिन्हा ने भी देहरादून स्थित विधानसभा भवन में मतदान किया। सुबोध उनियाल ने सबसे आखिरी में वोट डाला। दोहपर दो बजे तक सभी 70 विधायकों ने मतदान कर दिया था। बिहार के आरडेजी विधायक के मत को मिलाकर कुल 71 मत पड़े। मतदान में कुल 71 विधायक अपना मताधिकार का प्रयोग किया। जो विधायक उत्तराखंड विधानसभा में सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अपना वोट डाला, उसमें 70 विधायक तो यहां के हैं। वहीं विहार के एक विधायक विरेंद्र कुमार सिन्हा भी दून में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। सिन्हा ने इस संबंध में केंद्रीय निर्वाचन आयोग से पटना के बदले देहरादून में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी। आयोग ने उनको अनुमति प्रदान कर दी है। उत्तराखंड के सभी 70 निर्वाचित विधायक अपने मताधिकार का इस्तेमाल देहरादून और सांसदों ने दिल्ली में किया। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विधानसभा में तैयारी काफी समय पहले से चल रही थी। विधानसभा सचिव जगदीश चंद्र ने बताया कि मतदान के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उपलब्ध कराई गयी विशेष प्रकार की पेन का ही इस्तेमाल किया गया। किसी भी मतदाता को कलम या मोबाइल फोन मतदान कक्ष में ले जाने की अनुमति नहीं थी। मतदान को लेकर विधानसभा की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।

देहरादून का आशियाना बना राष्ट्रपति का सचिवालय

देहरादून।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देहरादून पहुंचकर राजपुर रोड आशियाना स्थित उपभवन का उद्घाटन किया। यहां वह विशिष्ट अतिथियों के साथ भोज में भी शामिल हुए। दिल्ली लौटते वक्त खराब मौसम के चलते उनका हेलीकॉप्टर जीटीसी हेलीपैड से जौलीग्रांट एयरपोर्ट के लिए उड़ान नहीं भर सका। ऐसे में वह सड़क मार्ग से जौलीग्रांट के लिए रवाना हुए।
करीब तीन घंटे देहरादून में बिताने के बाद राष्ट्रपति दिल्ली के लिए रवाना हो गए। खराब मौसम के चलते वह कार से ही जौलीग्रांट रवाना हुए। प्रेसिडेंट के लिए पहले ही से ही कंटीजेंसी प्लान तैयार किया गया था। इसी के तहत वह कार से जौलीग्रांट को रवाना हुए। इससे पहले जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर सेना के विशेष विमान से राष्ट्रपति दोपहर करीब पौने बारह बजे विशेष विमान से पहुंचे। इस मौके पर प्रदेश के राज्यपाल डॉ. केके पॉल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनकी आगवानी की। स्वागत के उपरांत राष्ट्रपति सेना के हेलीकॉप्टर से जीटीसी हेलीपैड पहुंचे। यहां से वह राजपुर रोड स्थित राष्ट्रपति आशियाना में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे।
इस दौरान वह राष्ट्रपति सचिवालय का उद्घाटन करने के साथ ही विशिष्ट अतिथियों के साथ भोज में शामिल हुए। राष्ट्रपति के आगमन को देखते हुए शहर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। जीटीसी हेलीपैड से लेकर आशियाना तक जब उनका काफिला गुजरा तो पूरी सड़क को जीरो जोन कर दिया गया। उनके आशियाना पहुंचने के बाद ही वाहनों की आवाजाही सुचारु हो सकी।

कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर सौंपा ज्ञापन
राष्ट्रपति डॉ. प्रणव मुखर्जी के उत्तराखण्ड आगमन पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिह के नेतृत्व में राष्ट्रपति से उनके निवास आशियाना में शिष्टाचार भेंट कर उन्हें ज्ञापन प्रेषित किया। राष्ट्रपति को सौंपे ज्ञापन में कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि आज सबसे अधिक उपेक्षा देश के अन्नदाता की हो रही है। किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य न मिल पाने, समय पर खाद-बीज न मिल पाने तथा बिजली व सिंचाई सुविधा की परेषानियों के कारण किसान लगातार कर्ज के बोझ से दबता जा रहा है। फसल का उचित मूल्य न मिलने से किसान बैंकों का कर्जा नहीं लौटा पा रहे हैं। देशभर का किसान अपनी समस्याओं के समाधान को लेकर आन्दोलनरत है और अपेक्षा कर रहा है कि केन्द्र सरकार उनकी समस्याओं का निदान करेगी, लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा किसानों के हित में अभी तक कोई भी सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया है। ऐसी स्थिति में देशभर में किसानों की आत्महत्या के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, औसतन प्रतिदिन 35 किसान आत्महत्या कर रहे हैं।

कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने दृष्टि पत्र में राज्य की जनता से वायदा किया था कि सरकार बनने की दषा में किसानों के कर्ज मॉफ किये जायेंगे, किसानों को ब्याज रहित ऋण दिया जायेगा तथा गन्ना किसानों का बकाया भुगतान 15 दिन के अन्दर किया जायेगा। आज राज्य सरकार अपने इन तीनों वायदों से मुकर रही है। देश में किसानों की आत्महत्या से अभी तक अछूती देवभूमि उत्तराखण्ड में भी 16 जून 2017 से किसानें की आत्महत्या का सिलसिला जारी है। बैंक व साहूकारों के कर्ज के बोझ से दबे जनपद पिथौरागढ़, जनपद टिहरी के एवं जनपद उधमसिंहनगर के एक-एक किसान द्वारा आत्महत्या की गई तथा उधमसिंनगर के एक किसान की बैंक की वसूली के नोटिस आने के बाद हृदय घात से मृत्यु हुई। इस प्रकार राज्य में अब तक चार किसानों द्वारा की गई आत्महत्या से इस देवभूमि को शर्मसार होना पड़ा है। उत्तराखण्ड की देवभूमि में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला आगे न बढ़े, इस हेतु राज्य सरकार किसानों की समस्याओं के समाधान की दिषा में गम्भीर नहीं दिखाई दे रही है जो कि चिन्ता का विशय है।
उत्तराखण्ड राज्य में किसानों को उनकी समस्याओं से निजात दिलाने हेतु राज्य सरकार को अविलम्ब ठोस निर्णय लेने की जरूरत है। कांग्रेस ने मांग की है कि उत्तराखण्ड राज्य के किसानों का ऋण माफ किया जाय। फसलों का समर्थन मूल्य घोषित करते हुए लागत से डेढ गुना दाम पर किसानों के उत्पाद को खरीदा जाय। किसानों को कृषि कार्य हेतु ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाय। गन्ना किसानों का बकाया भुगतान शीघ्र किया जाय। मृतक किसानों के आश्रितों को समुचित आर्थिक सहायता प्रदान की जाय। राष्ट्रपति ने प्रतिनिधिमण्डल की बातों को गम्भीरता पूर्वक सुनने के उपरान्त केन्द्र सरकार से इस विषय में वार्ता करने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि किसान हितों की रक्षा देशहित में आवश्यक है। कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, पूर्व मंत्री दिनेश अग्रवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट, पूर्व विधायक राजकुमार शामिल रहे।

आंतकियों ने अमरनाथ यात्रियों को बनाया निशाना, 6 की मौत

जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले की खबर है। इस हमले में छह तीर्थयात्री मारे गए हैं जबकि 12 अन्य घायल हैं। आतंकियों ने पुलिस पार्टी को भी निशाना बनाया। शुरुआती जानकारी के अनुसार तीन अलग-अलग जगहों पर आतंकियों ने अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनया है।
यह हमला अनंतनाग के पास बटेंगू में हुआ जहां यात्रियों से भरी बस पर अतंकियों ने फायरिंग कर दी। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार बालटाल से लौट रही बस पर रात करीब 8.20 बजे यह हमला हुआ। आतंकी हमला करने के बाद फरार हो गए और सुरक्षाबलों ने उनकी तलाश के लिए अभियान शुरू कर दिया है।