अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर आज वायुसेना के बेड़े में हुए शामिल

दुनिया के सबसे घातक हथियारों में शुमार आठ अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर आज भारतीय वायुसेना में आधिकारिक रूप से शामिल हो गए हैं। इन्हें पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर भारतीय वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया है। भविष्य में ऐसे कुल 22 हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना में शामिल होंगे। अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी बोइंग ने इस एएच-64ई अपाचे हेलीकॉप्टर को बनाया है। चार साल पहले भारत ने अमेरिका के साथ 22 अपाचे हेलीकॉप्टर का करार किया था। 2022 तक सभी 22 अपाचे हेलीकॉप्टर वायुसेना के बेड़े में शामिल हो जाएंगे। भारत ने अमेरिका की कंपनी बोइंग के साथ सितंबर 2015 में 22 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर के खरीद का सौदा किया था। इस सौदे की कुल राशि 9600 करोड़ है।
एएच-64ई अपाचे विश्व के सबसे उन्नत लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से एक हैं, जिसे अमेरिका सेना इस्तेमाल करती है। यह बेहद कम ऊंचाई से हवाई और जमीनी हमले में सक्षम है। भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि अपाचे के बेड़े में शामिल होने से उसकी लड़ाकू क्षमताओं में काफी बढ़ोतरी होगी, क्योंकि इनमें भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बदलाव किया गया है।
शुरुआत में इन हेलीकॉप्टरों को हिंडन एयरबेस पर तैनात किया गया था। जहां से आज यानी मंगलवार को कुछ जरूरी उपकरण लगाने के बाद इन्हें पठानकोट एयरबेस पर आधिकारिक तौर पर वायुसेना में शामिल कर लिया गया है। अपाचे रूस निर्मित एमआई-35 हेलीकॉप्टर की जगह लेंगे। अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर में 16 एंटी टैंक एजीएम-114 हेलफायर और स्ट्रिंगर मिसाइल लगी होती है। हेलफायर मिसाइल किसी भी आर्मर्ड व्हीकल जैसे टैंक, तोप, बीएमपी वाहनों को पल भर में उड़ा सकती है। वहीं स्ट्रिंगर मिसाइल हवा से आने वाले किसी भी खतरे का सामना करने में सक्षम है। इसके साथ ही इसमें हाइड्रा-70 अनगाइडेड मिसाइल भी लगा होता है जो जमीन पर किसी भी निशाने को तबाह कर सकता है।

इस हेलीकॉप्टर को दुश्मनों का रडार भी आसानी से पकड़ नहीं पाता है। जिसका प्रमुख कारण हेलीकॉप्टर की सेमी स्टेल्थ टेक्नोलॉजी और कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता है। इसमें अत्याधुनिक लांगबो रडार लगा हुआ है जिससे यह नौसेना के लिए भी मददगार साबित होगा।अपाचे मल्टी रोल फाइटर हेलीकॉप्टर है। इसे लेजर, इंफ्रारेड व नाइट विजन सिस्टम से लैस किया गया है, जिससे यह अंधेरे में भी दुश्मनों का काम तमाम कर सकता है। वायुसेना ने सितंबर 2015 में अमेरिकी सरकार और बोइंग के साथ अपाचे हेलीकॉप्टरों के लिए करोड़ों डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अतिरिक्त रक्षा मंत्रालय ने बोइंग से 2017 में 4168 करोड़ रुपये के हथियारों के साथ छह हेलीकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दी थी। बोइंग ने पूरी दुनिया में 2200 से अधिक अपाचे हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति की है और भारत 16वां देश है, जिसने इसे अपनी वायुसेना के लिए चुना है। अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, इस्राइल, नीदरलैंड्स, सऊदी अरब, जापान और मिस्र की वायुसेना भी इनका इस्तेमाल करती है। एएच-64ई अपाचे ने भारतीय वायुसेना के लिए अपनी पहली सफल उड़ान जुलाई, 2018 में की थी। वायुसेना के पहले दल ने हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण 2018 में अमेरिका में शुरू किया था।

अपाचे पर एक नजर …
– 280 किमी प्रतिघंटे की अधिकतम रफ्तार से भर सकता है उड़ान
– 16 एंटी टैंक एजीएम-114 हेलफायर मिसाइल छोड़ने की क्षमता
– 30 मिलीमीटर की दो गन से लैस
– 1,200 गोलियां भरी जाती है एक बार में