आपदा पीड़ितों को अपनी हक की आवाज उठाना पड़ा भारी
एसडीएम नरेन्द्रनगर ने आपदा पीड़ितो पर नेतागीरी करने का लगाया आरोप
ऋषिकेश।
बीते 17 जुलाई को नरेन्द्रनगर के कुमारखेड़ा में आई आपदा ने 250 से अधिक ग्रामीणों की जिंदगी में तूफान ला दिया। आपदा में पहाड़ टूटने के साथ ही कुमारखेड़ा गांव के कई घर क्षतिग्रस्त हो गये थे। पूरे गांव पर सकंट मंडराने लगा तो प्रशासन ने ग्रामीणों को दूसरे स्थान में शिफ्ट कर दिया। लेकिन आपदा पीड़ित जब अपनी मूलभूत जरुरतों के लिए प्रशासन से मदद मांगने गये तो आपदा पीड़ितो पर एसडीएम केके मिश्रा ने नेतागीरी करने का आरोप लगाया। सूत्रों की माने तो एसडीएम ने अपने हक की आवज उठा रहे ग्रामीणों को धमकाने का प्रयास भी किया। मौके पर मौजूद एक टीवी पत्रकार को देख एसडीएम ने उन्हें मर्यादा में रहने की नसीहत भी डे डाली।
आपदा पीड़ितों पर प्रशासन किस तरह मेहरबान है इसका नजारा नरेन्द्रनगर एसडीएम कार्यालय में देखने को मिला। 17 जुलाई को नरेन्द्रनगर के कुमारखेड़ा गांव में पहाड़ी खिसकने से कई गांव में सकंट मडराने लगे तो प्रशासन ने 250 ग्रामीणों को शिफ्ट किया। आपदा पीड़ितो का आरोप है कि प्रशासन ने शिफ्ट कराने के बाद उनकी कोई सुध नही ली है। उनके परिजनों को भंडारे से खाना लाकर खिलाने के अलावा कोई चारा नही है। ऐसे में अपनी मांगों को लेकर जब ग्रामीण एसडीएम कार्यालय पहंुचे तो एसडीएम नरेन्द्रनगर ने उन्हें नेतागीरी नही करने की सलाह डे डाली। ग्रामीणों का आरोप है कि एसडीएम यही तक नही रुके उन्होंने आपदा पीड़ितों को आपबीती सुनाने पर धमकाया और चुप रहने को कहा। मौके पर एक टीवी चैनल पत्रकार पर जब एसडीएम की नजर पड़ी तो उन्होंने मीडियाकर्मी को मर्यादा में रहकर पत्रकारिता करने की नसीहत भी डे डाली। एसडीएम के व्यवहार से ग्रामीणों में काफी आक्रोश बताया जा रहा है।
मामला बढ़ने और मीडिया तक पहुंचने पर एसडीएम नरेन्द्रनगर को अपनी गलती का एहसास भी शीघ्र हो गया। एसडीएम ने गुस्से पर काबू रखते हुए बताया कि आपदा पीड़ितों में गुस्सा था, लेकिन वार्ता करने पर सभी ग्रामीण शांत भी हो गये।