केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जॉलीग्रांट के पंचम दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग किया। उच्च शिक्षा मंत्री डा0 धन सिंह रावत भी उपस्थित थे। केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया।
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जॉलीग्रांट का पंचम दीक्षांत समारोह के अवसर पर कुल 1316 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई। इनमें हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एचआईएमएस) द्वारा 292 छात्रों को एमबीबीएस, 135 छात्रों को पीजी, 270 छात्रों को पैरामेडिकल, 20 छात्रों को क्लिनिकल रिसर्च में उपाधियां प्रदान की गई।
हिमालयन कॉलेज ऑफ नर्सिंग (एचसीएन) में 134 विद्यार्थियों, हिमालयन स्कूल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एचएसएसटी) में 116 विद्यार्थियों, हिमालयन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एचएसएमएस) में 192 विद्यार्थियों, हिमालयन स्कूल ऑफ योगा साइंसेज (एचएसवाईएस) में 36 विद्यार्थियों, हिमालयन स्कूल ऑफ बायो साइंसेज (एचएसबीएस) में 116 विद्यार्थियों, डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) में 05 विद्यार्थियों तथा 24 छात्र-छात्राओं को एकेडमिक अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि दीक्षान्त समारोह शिक्षा का नहीं अपितु संस्कारों का सन्देश देता है। संस्कार जीवन में महत्वपूर्ण हैं। शिक्षा कल्याणकारी अथवा विनाशकारी में से कुछ भी हो सकती है, यह विद्यार्थियों के संस्कारों पर निर्भर करता है। दीक्षान्त समारोह शिक्षा का अन्त नहीं है। सीखने के प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है। जीवन में सफलता और असफलता साथ-साथ चलती रहती है। असफलताओं से डरने के स्थान पर उनसे सीखना आवश्यक है। युवाओं को इस बार के फीफा वर्ल्ड कप से भी सीखना चाहिए। खेल जगत से टीम भावना सबको सीखनी चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भी इसी टीम भावना के साथ देश के लिए कार्य कर रहे है। प्रधानमंत्री जी का ‘‘सबका साथ सबका विकास तथा सबका प्रयास’’ का मंत्र इसी टीम भावना पर आधारित है। देश के विकास एवं प्रगति में सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। इसके कारण आने वाले समय में भारत में अपार संभावनाओं के द्वार खुलने वाले हैं। इस बात को कोई नकार नही सकता कि अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि बढ़ी है। भारत का कद ऊंचा हुआ है। आज भारत के विचारों को अर्न्तराष्ट्रीय मंचों पर गम्भीरता से सुना जा रहा है। केन्द्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी जनरेशन जी से है। आप सभी डिजटल, आई टी, इन्टरनेट की पीढ़ी है। आपके लिए तो आई टी का अर्थ ही इन्फोर्मेशन टेक्नॉलॉजी इंडिया टुडे है। इसलिए आप यह बात बखूबी समझेंगे कि भारत में इन्फोर्मेशन टेक्नॉलॉजी ने बहुत परिवर्तन ला दिया है। अब तो 5 जी का दौर आ गया है। आज भारत डिजिटल टेक्नॉलजी के क्षेत्र में ग्लोबल मैप पर अपने पहचान बना रहा है। 2014 में जहां भारत में 400 से 500 स्टार्टअप हुआ करते थे, आज 2022 में हमारे प्रतिभाशाली युवाओं के कारण अस्सी हजार से अधिक स्टार्ट अप हो चुके है। यह साधारण उपलब्धि नहीं है। भारत में उद्यमी युवाओं ने सौ से अधिक यूनिकॉर्न बनाए हैं। हर महीने 7 से 8 यूनिकॉर्न आ रहे हैं। आज युवा अपनी प्रतिभा, क्षमता और परिश्रम से बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। कुछ दिन पूर्व प्रधानमंत्री जी ने आईएनएस विक्रान्त का लोकार्पण किया। इस प्रकार भारत विश्व का छठा देश बन गया है जो एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने लगा है। हमारे देश के वैज्ञानिकों ने सबसे ताकतवर वॉरशिप निमार्ण का भी कार्य किया है। यह भारत के युवाओं के प्रतिभा, नए आत्मविश्वास से ही संभव हो पाया है। आज विश्व के प्रतिष्ठित कम्पनियों के सीईओ भारतीय तथा भारतीय मूल के हैं।
केन्द्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि युवा इंडीविजुवल अचीवमेंट से आगे बढ़कर सोशल बेटरमेंट के बारे में सोचेगे तो बड़ी सफलताएं प्राप्त करेंगे। यदि आप अपने ज्ञान का प्रयोग समाज एवं मानवता के लिए करते हैं तो आपका ज्ञान अमूल्य हो जाता है। हमें अपनी चुनौतियों को अवसरों में बदलना होगा। कोरोना काल में भारत ने अपनी चुनौतियों को वैक्सीन, दवाइयों, ऑक्सीजन प्लान्टस के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होकर अवसरों में बदला है। भारत के वेद, पुराणों के ज्ञान, योग, अध्यात्म को विश्व भर के लोगों ने सहर्ष स्वीकार किया है। हमें अपनी समृद्ध गौरवशाली विरासत पर गर्व होना चाहिए।
केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत में ज्ञान की समृद्धशाली परम्परा रही है। वर्तमान के कई वैज्ञानिक एवं गणितीय सिद्धान्तों की खोज हमारे ऋषि मुनियों ने की। भारत एक समय में विश्व गुरु था। हमें आने वाले समय में पुनः विश्व गुरू का स्थान प्राप्त करना है। इसमें हमारे प्रतिभाशाली युवाओं का अहम योगदान होगा। युवाओं की सबसे बड़ी प्रेरणा स्रोत है, हमारी महान पारम्परिक विरासत। हमारी इन समृद्धशाली विरासत को अन्य देशों ने भी अपनाया है। भारत में विभिन्नताएं कभी संघर्ष का कारण नहीं बनी। हम शिव के भी उपासक हैं और कृष्ण के भी भक्त हैं। हम पूर्णिमा का भी उत्सव मनाते हैं तो अमावस्या का भी उत्सव मनाते हैं। यह अपार संभावनाओं का देश है। यहां साधारण परिवार के व्यक्ति देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी बन जाते हैं। आने वाला समय भारत का है। मुझे पूरा विश्वास है कि 2047 तक भारत आर्थिक क्षेत्र में विश्व में प्रथम स्थान पर होगा। उन्होंने कहा कि वर्गीय समानता बहुत जरूरी है। डिग्री प्राप्त करने वाले डॉक्टर सदैव निर्धन और जरूरतमंदों की सेवा के लिए तत्पर रहे। युवाओं को उपयोगितावाद तथा उपभोक्तावाद से भी दूर रहना होगा। उन्होंने युवाओं को नशे जैसे विनाशकारी प्रवृत्तियों से भी दूर रहने का अनुरोध किया। माता-पिता की सेवा ही परमात्मा की सेवा है। उन्होंने विद्यार्थियों से चरित्र निर्माण के महत्व पर चर्चा की।
दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह अत्यंत गौरव का क्षण है कि स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी की उपस्थिति अविस्मरणीय है। केन्द्रीय रक्षा मंत्री का मार्गदर्शन युवा विद्यार्थियों को नव ऊर्जा और नव चेतना प्रदान करेगा। केन्द्रीय रक्षा मंत्री जी के नेतृत्व में देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अभूतपूर्व कार्य किए जा रहे हैं वह ‘‘भूतो न भविष्यति‘‘ हैं। ‘‘अंत्योदय‘‘ को समर्पित उनका संपूर्ण राजनीतिक जीवन, हम सभी को प्रेरणा प्रदान करता है। भारतीय सेना के क्रांतिपुंज जवानों को सशक्त बनाने हेतु उनकी प्रतिबद्धता अनुकरणीय है। मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि श्रद्धेय स्वामी राम जी की दिव्य प्रेरणा से अलंकृत यह ज्ञान का मंदिर उत्तराखण्ड राज्य में उच्च शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने में अग्रणी है। एक शिक्षित व स्वस्थ समाज के निर्माण के अपने उद्देश्य को सार्थक करने हेतु, स्वामी राम जी ने अपना संपूर्ण जीवन समाज को समर्पित कर दिया। आज यह संस्थान चिकित्सा शिक्षा, जनकल्याण और मानव सेवा के क्षेत्र में नित- नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।
कार्यक्रम में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 विजय धस्माना, विधायक सहदेव सिंह पुण्डीर, खजानदास, मेयर सुनील उनियाल गामा, छात्र-छात्राएं तथा शिक्षक उपस्थित थे।