हरिद्वार।
उत्तराखंड संस्कृत विवि के छठे दीक्षांत समारोह में महामहिम केके पॉल भी पहुंचे। उन्होंने छात्र-छात्राओं को डिग्री भी बांटी। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए महामहिम राज्यपाल केके पॉल ने कहा कि संस्कृत ओर संस्कृति के संवाहक युवा पीढ़ी को उपाधि व पदक से सम्मानित कर गर्व महसूस हो रहा है। क्योंकि भारतीय संस्कृति को पोषित करने का कार्य विश्वसनीय हाथों में हैं। विश्वास है कि यहां से दीक्षित विद्यार्थी अपने ज्ञान, प्रतिभा ओर संस्कार से देश ओर समाज को लाभान्वित करते हुए अपनी आजीविका सुनिश्चित करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारतवर्ष की अनेकता में एकता की बात जब भी सामने आती है तब भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। पूरब से पश्चिम एंव उत्तर से दक्षिण तक संस्कृत भाषा ने पूरे भारत को एकता के सूत्र में बांधा है। इसलिए संस्कृत केवल एक भाषा नही बल्कि सदियों से हमारे समाज को ज्ञान ओर संस्कारों से समृद्ध कर रही है। साथ ही भारत की उस गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जिसमें आध्यात्म, दर्शन, ज्ञान-विज्ञान ओर श्रेष्ठ साहित्य का अनमोल खजाना संरक्षित है।
कहा कि भारत ही नही विश्व इतिहास में सबसे अधिक मूल्यवान ओर शिक्षाप्रद रचनाएँ,शास्त्रीय भाषा संस्कृत में ही लिखी गयी है। संस्कृत के अध्ययन, विशेष रूप से वैदिक संस्कृति के अध्ययन से हमें मानव इतिहास के बारे में समझने ओर जानने का मौका मिलता है। कहा कि अब तक के सभी अध्ययनों से यह स्पष्ट हो चुका है कि संस्कृत कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे उपयुक्त भाषा है। कहा कि विश्व स्तरीय पत्रिका फोर्ब्स ने 1987 में संस्कृत को कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे सुविधाजनक भाषा बताया। उन्होंने कहा कि संस्कृत का भारतीय संविधान में विशिष्ठ स्थान है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 में साफ तौर पर कहा गया है कि हिन्दी के विकास के लिए आठवीं सूची की भाषा से शब्द लिए जा सकते है लेकिन वरीयता संस्कृत को देनी होगी। इससे स्पष्ट है कि हिन्दी का पोषण संस्कृत के विकास में निहित है।