केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए सख्त नियमों से सोशल मीडिया में सुधार होगा। इस दिशानिर्देश का सबसे बड़ा फायदा ऐसे उपभोक्ताओं को मिलने जा रहा है जिनकी सोशल मीडिया या ओटीपी के खिलाफ शिकायतें अब तक नहीं सुनी जाती थी। सख्त लहजे में सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को कहा है कि भारत में उनका कारोबार का स्वागत है, मगर भारत का संविधान और कानून इन सोशल मीडिया कंपनियों को मानना होगा।
केंद्रीय कानून व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने नए दिशानिर्देशों की घोषणा की है। दोनों ही मंत्रियों ने कहा है कि नए दिशा-निर्देश के तहत संबंधित कंपनियों के लिए शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करना शरारत पूर्व सूचना की शुरुआत करने वाले प्रथम व्यक्ति का खुलासा करने और अश्लील सामग्री तथा महिलाओं की तस्वीरों से छेड़छाड़ जैसी सामग्री को 24 घंटे के भीतर हटाना अनिवार्य कर दिया गया है। कहां कि सोशल मीडिया को दो श्रेणियों में बांटा गया है एक इंटरमीडियरी और दूसरा सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडियरी।
इस तरह होगी निगरानी
– सरकार के बनाए कानूनों और नियमों का अमल सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ एंपलॉयर्स ऑफिसर नियुक्त करना होगा या ऑफिसर भारत में रहने वाला व्यक्ति होना चाहिए।
– एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा जिससे सरकारी एजेंसियां कभी भी संपर्क कर सकें या नोडल ऑफिसर भी भारत में रहने वाले व्यक्ति होना चाहिए।
– बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों को हर महीने कंप्लायंस रिपोर्ट जारी करनी होगी की कितनी शिकायतें आई और उन पर क्या कदम उठाए गए।
आपत्तिजनक पोस्ट अपलोड करने वाले की होगी पहचान
– सोशल मीडिया कंपनियों को सख्त शब्दों में कहा गया है कि आपत्तिजनक पोस्ट के फर्स्ट ओरिजिन को ट्रेस करना होगा यदि भारत के बाहर से इसका ओरिजिन है तो यह पता लगाना कंपनियों को होगा कि यहां सर्वप्रथम सर्कुलेट किसने किया है।