उत्तराखंड में कोरोना जांच के नाम पर निजी लैब चांदी काट रहे है। राजधानी में एक निजी लैब के सैंपल को सस्पेंड करते हुए शासन ने जांच बैठा दी है। निजी लैब संचालक 50 फीसदी जांच में पाॅजीटिव रिपोर्ट थमा रहे है।
देहरादून के जिलाधिकारी के निर्देश पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अनुज डिमरी ने पैथकाइंड लैब की सैंपलिंग पर रोक लगा दी। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के ये बात गले नहीं उतर र ही थी कि महज आठ कर्मचारी एक दिन में 250 व्यक्तियों के सैंपल कैसे ले सकते हैं। एक ही व्यक्ति का सैंपल लेने के लिए संबंधित व्यक्ति की आइडी बनाने, सैंपल किट तैयार करने, सैंपल लेने में ही अच्छा खासा वक्त लग जाता है। साथ ही लैब की तरफ से रियल टाइम एंट्री भी नहीं की जा रही थी।
इसमें भी अचरज वाली बात ये है कि जो सैंपल दिल्ली भेजे जा रहे हैं, उनकी रिपोर्ट उसी दिन ली जा रही है। वहीं लैब से जांच कराने वालों के दर्ज नंबर व पते भी गलत निकल रहे हैं। ऐसे में कोरोना की स्थिति में मरीजों पर निगरानी रखने में भी दिक्कत है। इस पर मुख्य चिकित्साधिकारी ने लैब प्रबंधकों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। जवाब ने देने पर लैब पर विधिक कार्रवाई भी हो सकती है।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने सचिवालय में हुई समीक्षा बैठक में कहा कि देहरादून में नागरिकों से शिकायतें मिल रही हैं कि कुछ निजी लैब में टेस्ट कराने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है, जबकि सरकारी अस्पताल में उसी व्यक्ति की रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। ये भी शिकायतें आ रही हैं कि देहरादून की कुछ निजी लैब से लगभग 50 प्रतिशत लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी देहरादून को निर्देश दिए कि निजी लैब में पॉजिटिव पाए गए व्यक्तियों का सरकारी लैब में भी टेस्ट कराया जाए। यदि किसी लैब की रिपोर्ट गलत पाई गई तो फिर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।