गंगा पर बन रहे बांध के विरोध और गंगा रक्षा के लिये प्रभावी कानून बनाने जाने को लेकर बीते 113 दिनों से अनशन कर रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद (प्रोफेसर गुरुदास अग्रवाल) का एम्स ऋषिकेश में निधन हो गया। विदित हो कि स्वामी सानंद को हरिद्वार प्रशासन ने जबरन एम्स में बुधवार को भर्ती कराया था। वहीं मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने जिला प्रशासन पर सानंद की हत्या करने का आरोप लगया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उनके निधन पर शोक जताया है।
गुरूवार को स्वामी सानंद की मौत के बाद एम्स के चिकित्सकों ने बताया कि स्वामी सानंद के शरीर में पोटेशियम और ग्लूकोज निचले स्तर पर आ गया था, इसकी वजह से दोपहर उन्हें हृदयघात आया। 86 वर्षीय सानंद अविवाहित थे। चूंकि, स्वामी सानंद ने एम्स ऋषिकेश को अपनी देह दान की हुई थी, लिहाजा पार्थिव शरीर को अभी एम्स में ही रखा गया है। शाम को परिजन भी यहां पहुंच गए।
उधर, मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने जिला प्रशासन पर सानंद की हत्या का आरोप लगाया। घोषणा की है कि नवरात्रों के बाद वह स्वयं इस आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे। कहा कि, स्वामी सानंद की हत्या में शामिल अधिकारियों व मंत्रियों को सजा दिलाने की मांग को लेकर कठोर तपस्या (अनशन) करेंगे। उल्लेखनीय है किसात साल पहले मातृसदन के एक अन्य संत निगमानंद ने भी इसी मुद्दे पर 114 दिन के अनशन के बाद दम तोड़ दिया था।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से सेवानिवृत प्रोफेसर गुरुदास अग्रवाल (स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद) मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कांधला मुजफ्फरनगर के रहने वाले थे। 22 जून, 2018 को उन्होंने गंगा की रक्षा के लिए सख्त कानून बनाने और जल विद्युत परियोजनाओं के विरोध समेत विभिन्न मांगों को लेकर मातृसदन में अनशन शुरू किया था, इसे उन्होंने तप नाम दिया था। इस दौरान वे केवल नींबू, शहद, नमक और पानी ले रहे थे। उन्हें मनाने के लिए केंद्रीय मंत्री उमा भारती दो बार खुद मातृसदन आईं, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने पत्र के साथ संदेशवाहक भेजकर उनके आंदोलन खत्म करने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया।
एम्स को दान कर गए अपना शरीर
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश को स्वामी सानंद अपना शरीर दान कर गए हैं। उनकी इस इच्छा का सम्मान करने के लिए एम्स प्रशासन जुट गया है। एम्स में डीन डॉ विजेंद्र सिंह ने बताया कि जब स्वामी सानंद स्वस्थ थे तो उन्होंने अपना शरीर एम्स को दान करने के लिए संकल्प पत्र हमें भिजवाया था। इस संकल्प पत्र का एम्स प्रशासन पालन करेगा और स्वामी सानंद की इस इच्छा का पूरा सम्मान किया जाएगा।
मंगलवार सुबह भी हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक फिर से केंद्रीय मंत्री गडकरी का पत्र लेकर उनके पास पहुंचे थे, जल्द उनकी मांगों पर विचार करने आश्वासन पर सानंद ने सहमति जताई थी, लेकिन शाम होते ही उन्होंने यह कहकर सभी को चौंका दिया कि उन्होंने दोपहर से ही जल त्याग दिया है। इस पर बुधवार शाम को जिला प्रशासन ने उन्हें ऋषिकेश स्थित एम्स में भर्ती करा दिया था। जहां, गुरूवार दोपहर एक बजकर बीस मिनट पर उन्होंने शरीर त्याग दिया।
इससे कुछ देर पहले ही डाक्टरों ने उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया था, तब उनकी हालत स्थिर थी। जल पुरुष राजेंद्र सिंह के अनुसार सुबह उन्होंने भी एम्स पहुंचकर सानंद से मुलाकात की थी, दिल्ली जाते वक्त मुरादाबाद में उन्हें सानंद के देह त्यागने की सूचना मिली। बता दें कि इससे पहले भी 12 जुलाई से 23 जुलाई तक उनका एम्स में उपचार किया गया था। तब भी वह इन्हीं मांगों को लेकर अनशन पर थे। स्वामी शिवानंद (परमाध्यक्ष मातृसदन) ने कहा कि जिस तरह से सात साल पहले मातृसदन के संत उनके शिष्य ब्रह्मचारी निगमानंद की हत्या की गई थी, ठीक उसी प्रकार अब स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की भी हत्या की गई है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के देहावसान का समाचार पाकर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल एम्स पहुंचे। प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद ने गंगा की सेवा के लिए अपना जीवन आहूत किया है। उन्होंने स्वामी सानंद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि गंगा की अविरलता व निर्मलता को लेकर उनकी मांगे जायज थी, जिन पर विचार किया जाना चाहिए था। संभव है कि सरकार की कुछ मजबूरियां रही हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी सानंद का देहावसान किन कारणों से हुआ यह पोस्टमॉर्टम के बाद ही पता चल पाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने स्वामी सानंद का व्रत तुड़वाने के लिए हर संभव प्रयास किया, इसलिए यह कहना गलत है कि केंद्र सरकार स्वामी सानंद के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित नहीं थी।
सीएम बोले सरकार ने दिखाई पूरी संवेदनशीलता
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद (प्रो. जीडी अग्रवाल) के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश मे मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा को लेकर विभिन्न मुद्दों के लिए अनशनरत स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के निधन से उन्हें गहरा दुख पहुंचा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी सानंद की मुख्य मांग थी कि गंगा के लिए अलग से एक्ट बनाया जाए और राज्य में तमाम जलविद्युत परियोजनाओं को रद किया जाए। इस कार्य के अध्ययन और उस पर योजना बनाने में थोड़ा समय लगता है। हमारी सरकार और केंद्र सरकार लगातार उनसे संपर्क में थी, बातचीत होती थी। केंद्रीय पेयजल मंत्री उमा भारती ने उनसे मुलाकात की थी। उसके बाद जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने भी फोन पर उनसे बातचीत की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से भी इस मुद्दे पर पूरी संवेदनशीलता दिखाई गई थी। सरकार के प्रतिनिधि लगातार उनके संपर्क में थे। हरिद्वार के सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक भी उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे। हमारी कोशिश थी कि किसी तरह से उनकी जान बचाई जा सके, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी उन्होंने अनशन तोडने से इन्कार कर दिया। जैसे ही उन्होंने नौ अक्टूबर को जल का त्याग किया, उन्हें तत्काल ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया था। एम्स के डाक्टरों ने भी उनकी जान बचाने का भरसक प्रयास किया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया।